Last Updated:July 03, 2025, 10:05 IST
Incredible Story of Kargil War: लहुलुहान शरीर के साथ वह टाइगर हिल में बैठा हुआ था. सिर्फ ढाई साल की नौकरी थी, अंदाजा ही नहीं था कि किधर पाकिस्तान है और किधर हिंदुस्तान. आखिर में एक रहस्यमयी आवाज ने रास्ता द...और पढ़ें

हाइलाइट्स
आधा बिस्कुट खाकर 72 घंटे तक लड़ता रहा भारतीय जांबाज.बुरी तरह से लहुलुहान होने के बावजूद नहीं टूटी थी हिम्मत.एक हाथ से आधा दर्जन दुश्मनों का कर दिया खात्मा.Incredible Story of Kargil War: अब तक दुश्मन के दो ग्रेनेड शरीर पर आकर फट चुके थे. एक ग्रेनेड से घुटने से नीचे का एक पैर बुरी तरह से जख्मी हो गया था, दूसरे ग्रेनेड ने नाक से कार तक चीरा लगा दिया था. यातना यहीं पर खत्म नहीं हुई. वह मरा कि नहीं, यह जानने के लिए पाकिस्तानी सैनिकों ने पहली गोली बाजू पर, दूसरे गोली जांघ पर और तीसरी गोली सीने पर चला दी. दो ग्रेनेड और इतनी गोलियां झेलने के बाद किसी का भी बचना असंभव सा था. लेकिन उस दिन ऊपर वाले को कुछ और ही मंजूर था. असंभव न केवल संभव हुआ, ऐसी हालत में भारतीय सेना के इस जांबाज ने पाकिस्तान के आधा दर्जन सैनिकों को मौत के घाट उतार दिया.
इसके बाद, वह इस आस में रेंगते हुए किसी तरह आगे बढ़ा कि शायद कोई जिंदा हो, लेकिन सबके सब देश के लिए अपने प्राणों का सर्वोच्च बलिदान दे चुके थे. वह काफी देर तक अपने साथियों के शवों को अपनी गोद में रखकर रोता रहा. इसी बीच, उसके दिन में एक नई चेतना आई और वह किसी तरह रेंगते हुए फिर आगे बढ़ा. अब उसके आंखों के साथ जो था, उसे देखकर वह चौंक गया. सामने दुश्मन के कई टेंट लगे हुए थे. कहीं दुश्मन का लंगर चल रहा था, तो कहीं हथियारों और गोला-बारूद का जखीरा भरा हुआ था. अभी भी दुश्मन की तादाद सोच से कई गुना ज्यादा थी. उस वक्त दिल में एक ही ख्याल आया.
तभी रहस्यमयी आवाज आई- बेटा इस नाले में कूद जा…
नीचे मौजूद भारतीय सेना फिर हमला करने की तैयारी कर रही होगी. क्या उनके साथ भी हमारे जैसा…. दिल से फिर एक आवाज आई- नहीं नहीं… मुझे ही कुछ करना होगा. मैं अपने साथियों की जान ऐसे जया होने नहीं दे सकता. इसके बाद वह एक बार फिर रेंगते हुए आगे बढ़ा और ऐसी जगह पर पहुंच गया, जहां से यह समझ नहीं आ रहा था कि किधर जाऊं. किधर भारत है और किधर पाकिस्तान. दुविधा के कुछ पल बीते ही होंगे, तभी एक पहाड़ों से एक रहस्यमयी आवाज आई- बेटा! इस नाले में कूद जा. इस रहस्यमीय आवाज सुनने के बाद कुछ समय में नहीं आया और वह नाले में कूद गया.
लेकिन, दिन में अभी भी इस बात का डर बना हुआ था कि कहीं मैं पाकिस्तानी दुश्मन के चंगुल में फंस जाए. ऐसा हुआ तो अपने साथियों की मदद कैसे कर पाऊंगा. तभी कुछ लोग सामने दिखे. उनमें से कुछ जाने पहचाने से चेहरे थे. दिल को एक तसल्ली हुई कि अरे यह तो मेरे अपने साथी है. सभी ने मुझे सहारा दिया और फस्टेड देना शुरू किया. सभी को लगा मैं अब बच नहीं पाऊंगा. अब तक गोलियों का असर अपने चरम पर पहुंचने लगा था. आंखों के सामने सबकुछ धुंधला हो चुका था. शरीर ठंढ से कांपने लगा था. ऐसा लगा शायद अब वक्त आ गया है. तभी भागे भागे डॉक्टर आए और ग्लूकोज की पूरी बोतल पिला दी.
साहब! 72 घंटे में आधा बिस्कुट खाया था, आधा…
इलाज भी शुरू हो चुका था. थोड़ी थोड़ी चेतना फिर वापस आने लगी थी. तभी कान में एक आवाज गूंजी. बेटा कुछ पहचानता है. जवाब में वह बोला- साहब! कुछ नजर नहीं आ रहा, सिर्फ आवाज सुनाई दे रही है. सामने से फिर आवाज आई- बेटा! मैं तेरा कमांडिंग ऑफिसर कर्नल खुशाल चंद्र ठाकुर. बेटा! कुछ बता सकता है क्या? जवाब मिला- हां साहब बता सकता हूं. फिर एक-एक कर उसने ऊपर के पूरे हालात बयां किए. कर्नल साहब ने फिर पूछा- ऊपर जरूरत क्या क्या है? जवाब मिला- साहब! सिर्फ एम्युनिशन और फील्ड पट्टी. क्यों खाने के लिए कुछ नहीं चाहिए, कर्नल साहब ने पूछा.
जवाब आया- साहब! भूख ही नहीं लगती. बीते 72 घंटे में सिर्फ आधा बिस्कुट खाया था, आधा तो बैलेंस ही रह गया था…. जी हां, रोंगटे खड़े करने वाली यह कहानी है ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव की. जिनकी बहादुरी की वजह से कारगिल के युद्ध को एक नया मोड़ मिला और असंभव सी दिखने वाली जीत को संभव कर दिया गया. 4 जुलाई 1999 को ग्रेनेडियर योगेंद्र सिंह यादव का अदम्य साहस, बहादुरी और युद्ध कौशल देखने के बाद उन्हें भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया. महज 19 साल की उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले वह पहले भारतीय सैनिक हैं.
Anoop Kumar MishraAssistant Editor
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 3 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...और पढ़ें
Anoop Kumar Mishra is associated with News18 Digital for the last 3 years and is working on the post of Assistant Editor. He writes on Health, aviation and Defence sector. He also covers development related to ...
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