Last Updated:July 03, 2025, 16:49 IST
Lajpat Nagar Murder News: दिल्ली के लाजपत नगर में मुकेश पासवान ने अपनी मालकिन रुचिका सिवानी और उनके बेटे कृष की हत्या कर दी. यह घटना मालिक-नौकर के विश्वास और सामाजिक असमानता पर सवाल उठाती है. मनोवैज्ञानिक इस घट...और पढ़ें

लाजपत नगर डबर मर्डर का आरोपी कहां का रहने वाला है?
हाइलाइट्स
मुकेश पासवान ने मालकिन और बेटे की हत्या की.घटना मालिक-नौकर के विश्वास पर सवाल उठाती है.मुकेश को उत्तर प्रदेश में गिरफ्तार किया गया.नई दिल्ली. दिल्ली के लाजपत नगर में 2 जुलाई 2025 की रात एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे देश को झकझोर दिया. एक 24 वर्षीय नौकर, मुकेश पासवान, ने अपनी मालकिन रुचिका सिवानी (42) और उनके 14 वर्षीय बेटे कृष सिवानी की गला रेतकर हत्या कर दी. यह वारदात कथित तौर पर इसलिए हुई क्योंकि रुचिका ने मुकेश को काम के लिए डांटा था. यह घटना न केवल एक क्रूर अपराध की कहानी है, बल्कि विश्वास, सामाजिक संरचना और शहरी जीवन की जटिलताओं पर गहरे सवाल उठाती है. देश के विभिन्न शहरों में रहने वाले लोग इस घटना को अपने नजरिए से देख रहे हैं, और यह कहानी उनके लिए कई सबक छिपाए हुए है.
रुचिका सिवानी और उनके पति कुलदीप सिवानी लाजपत नगर मार्केट में एक गारमेंट की दुकान चलाते थे, जहां मुकेश ड्राइवर और सहायक के रूप में काम करता था. 2 जुलाई की रात, कुलदीप ने घर लौटने पर सीढ़ियों पर खून के धब्बे देखे और दरवाजा बंद पाया. उनकी पत्नी और बेटे से संपर्क न होने पर उन्होंने पुलिस को सूचित किया. पुलिस ने दरवाजा तोड़कर देखा तो रुचिका का शव बेडरूम में और कृष का शव बाथरूम में पड़ा था. दोनों की गला रेतकर हत्या की गई थी. मुकेश, जो घटना के बाद फरार हो गया था, को उत्तर प्रदेश के चंदौली में मगध एक्सप्रेस ट्रेन से गिरफ्तार किया गया. उसने पूछताछ में कबूल किया कि डांट से नाराज होकर उसने इस जघन्य अपराध को अंजाम दिया.
देश के इन शहरों से नजरिया
दिल्ली, मुंबई, कोलकाता, चेन्नई, बेंगलुरु जासे शहरों में घरेलू सहायकों पर निर्भरता आम है. यह घटना मालिक और नौकर के बीच विश्वास के टूटने का प्रतीक बन गई है. मुंबई और बेंगलुरु में रहने वाले मध्यमवर्गीय परिवार अब अपने घरेलू कर्मचारियों की पृष्ठभूमि की जांच और उनके साथ व्यवहार को लेकर सतर्क हो रहे हैं. सोशल मीडिया पर चर्चा में लोग कह रहे हैं कि छोटी-सी डांट इतना बड़ा अपराध कैसे ट्रिगर कर सकती है? यह मानसिक स्वास्थ्य और तनाव प्रबंधन की कमी को भी उजागर करता है.
छोटे शहरों के निवासी क्या सोचते हैं?
छोटे शहरों में, जहां सामुदायिक रिश्ते मजबूत होते हैं, लोग इस घटना को विश्वासघात के रूप में देख रहे हैं. पटना के निवासियों को यह घटना बिहार के बाहुबली युग की याद दिलाती है, जहां छोटे विवाद बड़े अपराधों में बदल जाते थे. जयपुर में लोग इसे सामाजिक असमानता और नौकरों के प्रति मालिकों के व्यवहार से जोड़कर देख रहे हैं. कई लोगों का मानना है कि सम्मानजनक व्यवहार और संवाद इस तरह की त्रासदियों को रोक सकता है.
मनोवैज्ञानिक इस घटना को कैसे देखते हैं?
यह घटना कई स्तरों पर समाज को आईना दिखाती है. पहला, यह मालिक और कर्मचारी के बीच संवाद की कमी को उजागर करती है. मुकेश ने डांट को व्यक्तिगत अपमान के रूप में लिया, जो उसके मानसिक तनाव या असुरक्षा को दर्शाता है. मनोवैज्ञानिकों का मानना है कि ऐसी घटनाएं दमित गुस्से और सामाजिक असमानता की भावना से उपज सकती हैं. दूसरा, यह शहरी मध्यमवर्ग की घरेलू सहायकों पर निर्भरता और उनकी पृष्ठभूमि की जांच की कमी को रेखांकित करता है. तीसरा, यह अपराध की प्रकृति जैसे गुस्से में हत्या हिंसा की संस्कृति और भावनात्मक नियंत्रण की कमी को दर्शाती है.
सबक और सुझाव
घरेलू कर्मचारियों को नियुक्त करने से पहले उनकी पृष्ठभूमि की जांच अनिवार्य होनी चाहिए. दिल्ली पुलिस ने इस दिशा में जागरूकता अभियान चलाने की बात कही है. दूसरी तरफ नौकरी पर रखने वालों को भी कर्मचारियों के साथ सम्मानजनक और संवेदनशील व्यवहार करना चाहिए. डांट की जगह रचनात्मक आलोचना बेहतर हो सकती है. कर्मचारियों, खासकर ग्रामीण पृष्ठभूमि से आने वाले युवाओं के लिए मानसिक स्वास्थ्य सहायता उपलब्ध होनी चाहिए.
कुलमिलाकर लाजपत नगर की यह घटना केवल एक अपराध की कहानी नहीं, बल्कि विश्वास, सामाजिक असमानता और मानवीय संबंधों की जटिलता की कहानी है. दिल्ली, मुंबई, पटना या किसी छोटे गांव में रहने वाले लोग इस घटना से सबक ले सकते हैं.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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