बदले की आग, सियासत की राख, चुनावी मैदान... जेल से फिर दहाड़ेगा 'शेर'?

7 hours ago

Last Updated:July 03, 2025, 15:53 IST

Munna Shukla Crime News: मुन्ना शुक्ला का जीवन किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं. जन्म मुजफ्फरपुर के एक प्रभावशाली भूमिहार परिवार में हुआ. बड़े भाई छोटन शुक्ला थे खतरनाक गैंगस्टर तो खुद कैसे बन गए तीन बार विधायक...और पढ़ें

बदले की आग, सियासत की राख, चुनावी मैदान... जेल से फिर दहाड़ेगा 'शेर'?

क्या जेल से ही दहाड़ेगा यह बाहुबली नेता?

हाइलाइट्स

मुन्ना शुक्ला की दबंगई क्या बिहार चुनाव 2025 में दिखाई देगा?मुन्ना शुक्ला क्या जेल से ही सरकार चलाएंगे?क्या वैशाली में इस बार मुन्ना शुक्ला की परचम लहराएगा?

बिहार चुनाव 2025 : बिहार की राजनीति में बाहुबली कभी रिटायर नहीं होते, सिर्फ भूमिकाएं बदल जाती हैं. बिहार में राजनीति और अपराध का डेडली कॉम्बिनेशन है. बिहार की राजनीतिक इतिहास बाहुबली नेताओं की कहानियों से भरा पड़ा है. ऐसे में लोग उन चेहरों को चुनावी मौसम में याद करने लगते हैं, जिनकी कभी इलाके और सीटों पर धमक और दहाड़ गूंजा करता था. इन्हीं चेहरों में से एक प्रमुख चेहरा हैं विजय कुमार शुक्ला उर्फ मुन्ना शुक्ला. वैशाली के लालगंज इलाके में चाय की दुकानों से लेकर पार्टी मीटिंग्स में नेताओं के मन में एक ही सवाल तैर रहे हैं कि क्या मुन्ना शुक्ला की पत्नी अन्नू शुक्ला जीतेंगी या सिर्फ मुन्ना शुक्ला की यादों को ही जिंदा रख पाएंगी?

मुन्ना शुक्ला की कहानी अपराध, प्रतिशोध और सियासत का एक जटिल मिश्रण है, जो बिहार के बाहुबली युग की क्रूर सच्चाई को उजागर करती है. बिहार चुनाव 2025 की सुगबुगाहट के बीच मुन्ना शुक्ला का दरबार पटना के बेउर जेल में लगने लगा है. कहा जा रहा है कि लोकसभा चुनाव 2024 का चुनाव आरजेडी के टिकट पर लड़ने वाले मुन्ना शुक्ला की पत्नी अन्नु शुक्ला विधान सभा का चुनाव लड़ने जा रही हैं. ऐसे में क्या जेल में बंद ‘शेर’ की दहाड़ बिहार चुनाव में भी दिखाई देगा?

जेल से चुनाव, जेल से बयान, जेल से दबदबा

मुन्ना शुक्ला का जन्म मुजफ्फरपुर के एक प्रभावशाली भूमिहार परिवार में हुआ था. उनके पिता रामदास शुक्ला एक वकील थे, लेकिन मुन्ना और उनके भाइयों का रास्ता अपराध और सियासत की ओर गाहे-बगाहे मुड़ गया. मुन्ना चार भाइयों में तीसरे नंबर पर थे. उनके बड़े भाई कौशलेंद्र शुक्ला उर्फ छोटन शुक्ला 1990 के दशक में उत्तर बिहार के कुख्यात गैंगस्टर थे. छोटन शुक्ला ने लंगट सिंह कॉलेज मुजफ्फरपुर में पढ़ाई के दौरान ही अपराध की दुनिया में कदम रखा था. वह ठेकेदारी और गैंगवार में शामिल होकर क्षेत्र में दहशत का पर्याय बन गए. छोटन की बाहुबली छवि को बिहार पीपल्स पार्टी के नेता आनंद मोहन सिंह का समर्थन प्राप्त था. लेकिन 4 दिसंबर 1994 को छोटन शुक्ला की हत्या ने मुन्ना के जीवन की दिशा बदल दी.

16 अक्टूबर 2024 को मुन्ना ने पटना सिविल कोर्ट में सरेंडर कर दिया.

जेल में बंद शेर की दहाड़ बाहर सुनाई देगी?

इस हत्या का आरोप तत्कालीन राबड़ी सरकार के मंत्री बृज बिहारी प्रसाद पर लगा. मुन्ना के मन में भाई की हत्या का प्रतिशोध भड़क उठी. छोटन की हत्या के बाद मुन्ना ने अपराध की दुनिया में पूरी तरह कदम रखा. आरोप है कि छोटन की शव यात्रा के दौरान मुन्ना ने भीड़ को उकसाया, जिसके परिणामस्वरूप गोपालगंज के डीएम, दलित आईएएस अधिकारी जी. कृष्णैया की 5 दिसंबर 1994 को पीट-पीटकर हत्या कर दी गई. इस मामले में मुन्ना शुक्ला, आनंद मोहन और उनकी पत्नी लवली आनंद सहित कई लोग आरोपी बने. हालांकि, मुन्ना को बाद में जमानत मिल गई, लेकिन यह घटना उनके आपराधिक इतिहास का एक काला अध्याय बन गई.

उस दिन का बदला… आज भी गूंजता है

प्रतिशोध की यह आग यहीं नहीं थमी. 13 जून 1998 को बृज बिहारी प्रसाद को पटना के इंदिरा गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान में गोली मारकर हत्या कर दी गई. सीबीआई जांच में पता चला कि इस हत्या की साजिश बेऊर जेल में रची गई थी, जहां मुन्ना शुक्ला, सूरजभान सिंह और अन्य बाहुबलियों ने मिलकर योजना बनाई. अभियोजन पक्ष के गवाहों ने दावा किया कि यह हत्या छोटन शुक्ला की हत्या का बदला थी. निचली अदालत ने 2009 में मुन्ना समेत आठ आरोपियों को उम्रकैद की सजा सुनाई, लेकिन 2014 में पटना हाईकोर्ट ने सभी को बरी कर दिया. लेकिन 4 अक्टूबर 2024 को सुप्रीम कोर्ट ने मुन्ना शुक्ला और मंटू तिवारी को दोषी ठहराते हुए उम्रकैद की सजा बरकरार रखी.

जेडीयू के टिकट पर तीन बार विधायक बने और 2024 में राजद के टिकट पर वैशाली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा.

कई हाई-प्रोफाइल मर्डर के बाद आए थे चर्चा में

16 अक्टूबर 2024 को मुन्ना ने पटना सिविल कोर्ट में सरेंडर कर दिया. अभी हाल ही में सुप्रीम कोर्ट में उनकी पनर्विचार याचिका खारिज कर दी. मुन्ना शुक्ला की सियासी यात्रा भी कम रोचक नहीं है. अपराध की दुनिया से निकलकर उन्होंने 2000 में हाजीपुर जेल से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में लालगंज विधानसभा सीट जीती. बाद में वह जेडीयू के टिकट पर तीन बार विधायक बने और 2024 में राजद के टिकट पर वैशाली लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, हालांकि हार गए. जेल में रहते हुए भी उनकी राजनीतिक धमक बरकरार रही. समर्थकों का काफिला और उनके बयान, जैसे “हमारी सरकार बनेगी तो जेल से भी बंगले पर बैठक होगी,” उनकी बाहुबली छवि को दर्शाते हैं.

रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें

भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...

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