छोटा देश, बड़ी चाल: मंगोलिया से भारत की दोस्ती, रणनीति उड़ा रही ड्रैगन की नींद

1 day ago

मंगोलिया. एक छोटा और शांत देश, लेकिन भारत की रणनीति में इसकी जगह बहुत बड़ी होती जा रही है. उलानबातार के स्पेशल फोर्सेज ट्रेनिंग सेंटर में भारत और मंगोलिया की मिलिट्री एक्सरसाइज ‘नोमैडिक एलिफेंट 2025’ शुरू हो चुकी है. पहली नजर में ये एक सामान्य अभ्यास लग सकता है, लेकिन असल मायनों में ये एक कड़ा संदेश है. सीधे चीन के लिए. इस एक्सरसाइज में भारत की तरफ से 45 जवान शामिल हुए हैं, जिनमें ज्यादातर अरुणाचल स्काउट्स से हैं. ये वही यूनिट है जो अरुणाचल प्रदेश में तैनात रहती है. मतलब भारत ने बेहद सोच-समझकर यह टुकड़ी भेजी है, ताकि चीन को ये साफ बता सके- जो तुम अपना हिस्सा बताते हो, हम वहीं से सैनिक भेज रहे हैं, और अब तुम्हारे पड़ोस में ट्रेनिंग करवा रहे हैं.

मंगोलिया की सीमाएं सिर्फ दो देशों से लगती हैं, रूस और चीन. भारत वहां भौगोलिक रूप से मौजूद नहीं है, लेकिन अब वहां की ज़मीन पर भारतीय सेना अभ्यास कर रही है. यह स्थिति चीन के लिए चिंता का कारण है, क्योंकि भारत अब सिर्फ अपने बॉर्डर तक सीमित नहीं रहना चाहता. वह अब उस मोर्चे पर भी सक्रिय है, जहां चीन को अब तक कोई चुनौती नहीं मिलती थी.

भारत और मंगोलिया के बीच 17वां संयुक्त सैन्य अभ्यास Nomadic Elephant 2025 उलानबातार के स्पेशल फोर्सेस ट्रेनिंग सेंटर में 13 जून 2025 तक चलेगा. (Photo : ADGPI/X)

मंगोलिया में भारत की ‘सॉफ्ट पावर’

भारत और मंगोलिया का रिश्ता सिर्फ सैन्य नहीं, बल्कि आध्यात्मिक और सांस्कृतिक भी है. मंगोलिया एक बौद्ध बहुल राष्ट्र है और भारत ने पिछले एक दशक में यहां गहरी सांस्कृतिक पकड़ बनाई है. प्रधानमंत्री मोदी 2015 में मंगोलिया गए थे और बौद्ध ग्रंथ भेंट किए थे. मठों के जीर्णोद्धार में सहयोग दिया था. चीन जहां ताकत से दबाव बनाता है, वहीं भारत ने यहां ‘सॉफ्ट पावर’ से असर डाला है.

नोमैडिक एलिफेंट एक्सरसाइज में आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन, पहाड़ी इलाकों में मिशन प्लानिंग, संयुक्त राष्ट्र शांति अभियान जैसी स्थितियों की प्रैक्टिस, रूम इंटरवेंशन, रिफ्लेक्स शूटिंग, साइबर वॉर और चट्टानों पर युद्ध कौशल जैसे आधुनिक सैन्य अभ्यास शामिल हैं. ये दिखाता है कि दोनों देश अब सिर्फ कागज़ी दोस्त नहीं हैं, बल्कि मिलिट्री को-ऑपरेशन के जरिए भरोसे का रिश्ता बना रहे हैं.

भारत ने मंगोलिया को 1 बिलियन डॉलर की आर्थिक मदद दी है. रेलवे नेटवर्क, ऊर्जा और यूरेनियम सेक्टर में भी सहयोग किया है. इससे चीन की पकड़ मंगोलिया में कमजोर हो रही है. अब वहां भारत का आर्थिक और सैन्य दोनों प्रभाव बढ़ रहा है. चीन के लिए यह ट्रिपल झटका है- सांस्कृतिक, रणनीतिक और आर्थिक.

हर तरफ से घिरेगा चीन

भारत की रणनीति अब एकदम साफ है, चारों दिशाओं से चीन को काउंटर करना. पश्चिम में पाकिस्तान और अफगानिस्तान फ्रंट, पूर्व में इंडो-पैसिफिक और क्वाड साझेदारी, दक्षिण में अंडमान-निकोबार और चाबहार पोर्ट और अब उत्तर में मंगोलिया. यानी भारत ने एक तरह से चीन को घेरे में लेना शुरू कर दिया है. और यह घेराबंदी सिर्फ सेना से नहीं, कूटनीति और आध्यात्मिक प्रभाव से भी हो रही है.

Exercise #NomadicElephant 2025

The opening ceremony of the 17th edition of the Joint Military Exercise #NomadicElephant 2025 between #India and #Mongolia was held today at the Special Forces Training center #Ulaanbaatar. The Exercise is scheduled to be conducted from 31 May to… pic.twitter.com/jlcA1sSYtx

— ADG PI – INDIAN ARMY (@adgpi) June 1, 2025

चीन अब तक अपने पड़ोसियों को डराकर नियंत्रित करता रहा है. लेकिन मंगोलिया जैसे देश अब भारत की ओर देख रहे हैं. उन्हें भारत में स्थिरता, सम्मान और साझेदारी दिखती है. मंगोलिया का झुकाव भारत की तरफ चीन की एशिया पॉलिसी के लिए खतरे की घंटी है. और ये बदलाव भारत की लंबी रणनीति का नतीजा है, जिसमें उसने धीरे-धीरे इस क्षेत्र में भरोसा और उपस्थिति बनाई है.

इस पूरी एक्सरसाइज का सबसे अहम पहलू यह है कि यह सिर्फ हथियारों की बात नहीं करती, यह रिश्तों की बुनियाद मजबूत करती है. यह ड्रैगन को यह याद दिलाती है कि भारत सिर्फ बॉर्डर डिफेंडर नहीं, अब जियो-स्ट्रैटेजिक प्लेयर भी है.

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