यूपीआई से पेमेंट क्‍यों नहीं ले रहे छोटे दुकानदार, ग्राहक जान लें इनकी मंशा

4 hours ago

Last Updated:July 18, 2025, 14:22 IST

UPI vs Cash Payment : बैंगलुरू से छोटे दुकानदारों ने फिर से कैश में पेमेंट लेना शुरू कर दिया है. इन दुकानदारों ने यूपीआई भुगतान लेने से इनकार कर दिया है और सिर्फ कैश में लेनदेन का बोर्ड लगा दिया है. इससे ग्राहक...और पढ़ें

यूपीआई से पेमेंट क्‍यों नहीं ले रहे छोटे दुकानदार, ग्राहक जान लें इनकी मंशा

बैंगलुरु में छोटे दुकानदारों ने जीएसटी नोटिस के डर से यूपीआई लेने से इनकार कर दिया है.

हाइलाइट्स

छोटे दुकानदारों ने UPI भुगतान से इनकार किया.टैक्स नोटिस और जांच के डर से कैश में लेनदेन.UPI से दूरी बनाकर GST नोटिस से नहीं बच सकते.

नई दिल्‍ली. बैंगलुरु शहर में छोटे दुकानदारों ने यूपीआई से भुगतान लेने से इनकार कर दिया है. उन्‍होंने साफ-साफ बोर्ड लगा दिए हैं कि अब सिर्फ कैश में ही लेनदेन होगा. इससे आम आदमी की मुसीबतें बढ़ गई हैं और एक बार फिर कैश ही बाजार का किंग बन रहा है, जिससे डिजिटल इकनॉमी बनने का सरकार का सपना पीछे छूट सकता है. कैश के इस खेल में छोटे दुकानदार ही नहीं, रेहड़ी-पटरी वाले और वेंडर्स भी शामिल हो गए हैं. आखिर इस कदम के पीछे उनका मकसद क्‍या है.

इकनॉमिक टाइम्‍स के अनुसार, बैंगलुरु के छोटे दुकानदारों ने यूपीआई से भुगतान लेने से इनकार कर दिया है, क्‍योंकि उन्‍हें टैक्‍स नोटिस और जांच का डर है. शहर के तमाम विक्रेताओं ने दुकान पर ‘कोई UPI नहीं, केवल नकद’ के बोर्ड लगा दिए हैं. उनका मानना है कि डिजिटल लेनदेन से उन्‍हें जीएसटी नोटिस आ सकता है, क्‍योंकि इस तरह के भुगतान से उन पर जीएसटी विभाग की नजर होगी और अधिकारी उन्‍हें बेवजह परेशान करेंगे.

कई दुकानदारों को मिले हैं नोटिस
रिपोर्ट में बताया गया है कि यूपीए लेने से इनकार करने वालों में छोटे दुकानदारों के साथ सड़क किनारे रेहड़ी लगाने वाले भी शामिल हैं. इन दुकानदारों को जीएसटी नोटिस मिले हैं, जिनमें कई को तो लाखों रुपये के नोटिस मिले हैं. इसके बाद दूसरे विक्रेताओं को भी डर है कि उन्‍हें टैक्‍स अधिकारी परेशान कर सकते हैं और भविष्‍य में उनका कारोबार भी बंद किया जा सकता है. लिहाजा टैक्‍स अधिकारियों की नजर से बचने के लिए कैश में लेनदेन करना बेहतर होगा.

क्‍या कहता है जीएसटी का नियम
जीएसटी के नियम को देखें तो इसमें साफ कहा गया है कि अगर किसी कारोबार का टर्नओवर 40 लाख रुपये से अधिक है तो उसे जीएसटी के तहत पंजीकरण कराना होगा और इसका भुगतान भी करना होगा. सर्विस सेक्‍टर से जुड़े कारोबारियों को 20 लाख रुपये के सालाना टर्नओवर पर ही पंजीकरण कराना और जीएसटी भुगतान करना जरूरी होगा. कॉरेपोरेट टैक्‍स विभाग ने भी स्‍पष्‍ट किया है कि इस नियम से दुकानदारों को डरने की जरूरत नहीं है. जीएसटी नोटिस सिर्फ उन्‍हीं कारोबारियों को जारी किया गया है, जिनका टर्नओवर तय लिमिट से ज्‍यादा रहा है. ऐसे कारोबारियों को जीएसटी के तहत पंजीकरण कराना जरूरी है.

अधिकारियों को ही करना होगा साबित
कर्नाटक के पूर्व अतिरिक्‍त कॉरपोरेट टैक्‍स आयुक्‍त एचडी अरुण कुमार का कहना है कि अगर अधिकारियों ने ऐसे दुकानदारों को नोटिस जारी किया है तो उनकी कमाई तय लिमिट से ज्‍यादा साबित करने की जिम्‍मेदारी भी इन्‍हीं अधिकारियों की होती है. अधिकारियों को जीएसटी नोटिस जारी करने से पहले इस बात को साबित करना होगा. ऐसे में दुकानदारों को इस बात से डरने की जरूरत नहीं है और न ही अधिकारी उन्‍हें परेशान कर सकते हैं.

दूसरे राज्‍यों में भी हो सकती है दिक्‍कत
एक्‍सपर्ट का मानना है कि अगर टैक्‍स अधिकारी इस बात को साबित करने में विफल रहते हैं और उनसे जीएसटी की वसूली नहीं हो पाती है तो दूसरे राज्‍यों के दुकानदार भी ऐसा ही कर सकते हैं. कर्नाटक के टैक्‍स अधिकारियों पर चालू वितत्‍वर्ष में 1.20 लाख करोड़ रुपये राजस्‍व जुटाने का दबाव है. इसे पूरा करने के लिए जीएसटी वसूली का दायरा बढ़ाया जा रहा है. इसके अलावा राज्‍य की कांग्रेस सरकार 52 हजार करोड़ रुपये की कल्‍याणकारी योजनाओं के खर्चे के लिए भी पैसे चाहती है. इन सभी का दबाव होने की वजह से छोटे दुकानदारों पर शिकंजा कसा जा रहा है.

टैक्‍स विभाग ने क्‍या कहा
कर्नाटक टैक्‍स विभाग का कहना है कि जीएसटी नोटिस सिर्फ यूपीआई के लेनदेन पर ही नहीं, बल्कि प्‍वाइंट ऑफ सेल मशीन, बैंक ट्रांसफर और डिजिटल प्‍लेटफॉर्म से लेनदेन को मिलाकर जारी किया जाता है. सिर्फ यूपीआई से बचकर ही दुकानदार जीएसटी से अपना बचाव नहीं कर सकते हैं. जीएसटी विभाग किसी भी तरह के लेनदेन पर जीएसटी लागू कर सकता है, इसके लिए सिर्फ यूपीआई एक जरिया नहीं है. लिहाजा छोटे दुकानदारों को यह समझना होगा कि वे यूपीआई से दूरी बनाकर जीएसटी नोटिस से नहीं बच सकते हैं. अगर उनका टर्नओवर 40 लाख से अधिक है तो उन्‍हें निश्चित रूप से जीएसटी पंजीकरण और टैक्‍स भुगतान करना चाहिए.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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