Last Updated:July 03, 2025, 12:49 IST
ANPR कैमरे ऑटोमेटिक नंबर प्लेट रेकोनाइजेशन कैमरे होते हैं. ये विशेष प्रकार के कैमरे होते हैं जो वाहनों की नंबर प्लेट को आटोमेटिक रूप से पढ़ने के लिए डिजाइन किए गए हैं.

हाइलाइट्स
ANPR कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट पढ़ने के लिए डिज़ाइन किए गए हैंदिल्ली में 500 पेट्रोल पंपों पर ANPR कैमरे लगाए गए हैंपुराने वाहनों की पहचान कर उन्हें स्क्रैप के लिए भेजा जा रहा हैएनएनपीआर कैमरे खास तरह के कैमरे होते हैं, ये खासतौर पर हाई-वे के टोल बूथ पर लगे होते हैं. ये विशेष तरह के ऐसे कैमरे होते हैं जो तुरंत किसी भी वाहन की नंबर प्लेट के जरिए उनके डिजिटल डेटा का पता लगा लेते हैं. इन्हें वाहनों की नंबर प्लेट को आटोमेटिक तौर पर पढ़ने और पहचानने के लिए ही डिज़ाइन किया गया है. दिल्ली की 10 और 15 साल पुरानी गाड़ियों को इसी के जरिए पता लगाया जा रहा है, उसके बाद उन्हें जब्त करके स्क्रैप के लिए भेजा जा रहा है.
इस समय ये कैमरे दिल्ली और एनसीआर के पेट्रोल पंपों पर लगाए जा रहे हैं, जिससे जब 10 साल पुराने डीजल वाहन और 15 साल पुरानी पेट्रोल से चलने वाली गाड़ियां वहां आएं, तो उनका तुरंत पता लग जाए. उसके बाद उनके खिलाफ वैधानिक कार्रवाई की जा सके. दिल्ली के 500 पेट्रोल पंपों पर ये कैमरे लगा दिए गए हैं. इसके बाद एनसीआर में नोएडा, ग्रेटर नोएडा, गुड़गांव के पेट्रोल पंपों पर भी इन्हें लगाने का काम चल रहा है.
ये कैमरे ऑप्टिकल कैरेक्टर रिकग्निशन (OCR) तकनीक का उपयोग करते हैं ताकि नंबर प्लेट पर लिखे अक्षरों और संख्याओं को डिजिटल डेटा में बदल सकें. ये तुरंत बता देंगे कि इस वाहन का रजिस्ट्रेशन कब हुआ. ये कितने सालों से दिल्ली एनसीआर की सड़कों पर चलाया जा रहा है. हालांकि इन कैमरों का काम इतना ही नहीं है. ये कई कामों में इस्तेमाल होते हैं.
किन जगहों पर होता है एएनपीआर कैमरों का इस्तेमाल
ट्रैफिक प्रबंधन – सड़क पर वाहनों की गति, ट्रैफिक नियमों का उल्लंघन (जैसे रेड लाइट तोड़ना) और भीड़भाड़ का विश्लेषण करने के लिए.
कानून व्यवस्था में – चोरी हुए वाहनों की पहचान, अपराधियों का पीछा करने, या नियम तोड़ने वाले वाहनों पर जुर्माना लगाने के लिए.
पार्किंग प्रबंधन – पार्किंग स्थलों में वाहनों की एंट्री और निकास को ट्रैक करने और स्वचालित भुगतान प्रणाली के लिए.
टोल संग्रह – टोल बूथ पर वाहनों की नंबर प्लेट पढ़कर स्वचालित टोल वसूली.
सुरक्षा – निजी या सार्वजनिक क्षेत्रों में अनधिकृत वाहनों की निगरानी और सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए.
ये कैमरे कैसे काम करते हैं?
– उच्च रिज़ॉल्यूशन वाला कैमरा नंबर प्लेट की तस्वीर खींचता है.
– कैमरे के साथ जुड़ा OCR सॉफ्टवेयर तस्वीर से नंबर प्लेट के टेक्स्ट को निकालता है.
– पढ़े गए नंबर को डेटाबेस से मिलाया जाता है ताकि वाहन की जानकारी (जैसे मालिक, रजिस्ट्रेशन) प्राप्त हो सके.
– डेटा का उपयोग ट्रैफिक निगरानी, अपराध रोकथाम, या अन्य उद्देश्यों के लिए किया जाता है.
इसके फायदे और नुकसान क्या हैं
– ये समय की बचत करने वाला स्वचालित सिस्टम है.
– मानवीय त्रुटियों को कम करता है.
– इसमें 24/7 निगरानी की क्षमता है.
– गोपनीयता संबंधी चिंताएं रहती हैं, क्योंकि ये वाहनों और उनके मालिकों की जानकारी इकट्ठी करता है.
– खराब मौसम या कम रोशनी में इसकी सटीकता कम हो सकती है.
एक कैमरा कितने का होता है
ANPR कैमरों की कीमत भारत में 20 हजार रुपए से लेकर 50 हजार रुपयों तक है. हालांकि हाई रेजोल्यूशन वाले कैमरे ज्यादा महंगे होते हैं
सरकार ये कैमरे दिल्ली एनसीआर में पेट्रोल पंपों पर क्यों लगा रही है
दिल्ली-एनसीआर में सरकार द्वारा पेट्रोल पंपों पर ANPR कैमरे लगाने का मुख्य कारण वायु प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए पुराने वाहनों को सड़क से हटाना है.
दिल्ली में 15 साल से पुराने पेट्रोल वाहनों और 10 साल से पुराने डीजल वाहनों को एंड-ऑफ-लाइफ वाहन (ELVs) यानि जिनकी उम्र खत्म हो गई हो, माना जाता है, क्योंकि ये वाहन पुराने उत्सर्जन मानकों के कारण अधिक प्रदूषण फैलाते हैं.
2018 के सुप्रीम कोर्ट के फैसले और 2015 के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) के आदेश के अनुसार, ऐसे वाहनों का दिल्ली में संचालन और सार्वजनिक स्थानों पर पार्किंग प्रतिबंधित है. ANPR कैमरे इन वाहनों की पहचान करने और ईंधन आपूर्ति रोकने में मदद करते हैं. यह सिस्टम मैनुअल जांच की तुलना में अधिक प्रभावी और पारदर्शी है, क्योंकि यह वास्तविक समय में डेटा विश्लेषण करता है.
– ANPR कैमरे ELV वाहनों को तुरंत पहचानकर उनके जब्तीकरण और स्क्रैपिंग की प्रक्रिया को आसान बनाते हैं. उल्लंघन करने वाले वाहनों पर ₹10,000 (चार-पहिया) और ₹5,000 (दो-पहिया) का जुर्माना लगाया जाता है, साथ ही वाहन को स्क्रैपिंग सेंटर भेजा जा सकता है.
यह नीति दिल्ली के साथ-साथ अन्य NCR क्षेत्रों (जैसे गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद, नोएडा) में भी चरणबद्ध रूप से लागू होगी. दिल्ली में करीब 62 लाख ELV वाहन हैं (41 लाख दो-पहिया और 18 लाख चार-पहिया). NCR में 44 लाख और ELV हैं.
संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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