लोनार से लेकर रामगढ़ तक, भारत की इन 4 झीलों का कनेक्शन सीधा अंतरिक्ष से है

26 minutes ago

Last Updated:November 26, 2025, 20:39 IST

भारत की चार विशिष्ट झीलें लोनार, रामगढ़, लूना और धाल अंतरिक्षीय टकरावों के जीता-जागता उदाहरण हैं। ये स्थल लाखों साल पहले उल्कापिंडों के टकराने से बने। यह दुर्लभ भूवैज्ञानिक घटना दर्शाती है कि कैसे ब्रह्मांडीय ऊर्जा ने पृथ्वी के परिदृश्य को स्थायी रूप से बदल दिया, जिससे ये अनूठी झीलें बनीं, जो विज्ञान और इतिहास का अद्भुत संगम हैं.

1. लोनार झील महाराष्ट्र: यह भारत की सबसे प्रसिद्ध और एकमात्र पूर्णतः प्रमाणित उल्कापिंड क्रेटर झील है. इस झील का सीधा संबंध अंतरिक्ष से है क्योंकि इसका निर्माण लगभग 50,000 से 5,70,000 साल पहले एक उच्च वेग वाले उल्कापिंड के टकराने से हुआ था. यहां "मास्केलिनाइट" (Maskelynite) जैसे दुर्लभ, दबाव-निर्मित खनिजों की उपस्थिति, जो केवल अत्यधिक झटके (Extreme Shock) के तहत बनते हैं, इसके बाह्य-अंतरिक्षीय मूल की पुष्टि करती है.

2. रामगढ़ क्रेटर, राजस्थान: यह स्थल इस बात का प्रमाण है कि पृथ्वी पर कभी-कभी विनाशकारी अंतरिक्षीय टकराव होते रहे हैं. अत्यधिक अपरदन (Erosion) के बावजूद, यहां झटका लगे क्वार्ट्ज (Shocked Quartz) और इम्पैक्ट ब्रेशिया जैसे भूवैज्ञानिक साक्ष्य मिलते हैं, जो उल्कापिंड के टकराने से इसके बनने की पुष्टि करते हैं. इसके भीतर मौजूद पार्वती कुंड (एक खारी और क्षारीय मौसमी झील) संभवतः मूल क्रेटर का ही हिस्सा है.

3. लूना क्रेटर , गुजरात: गुजरात के कच्छ में स्थित यह क्रेटर वैज्ञानिकों के लिए महत्वपूर्ण है. यहां वैज्ञानिकों को ग्लासी इम्पैक्ट टुकड़े और कोएसाइट तथा स्टिशोवाइट जैसे उच्च-दबाव वाले खनिज मिले हैं. ये खनिज स्पष्ट रूप से इंगित करते हैं कि इस स्थल पर एक बहुत ही तेज़ उल्कापिंड ने टक्कर मारी थी, जिससे यहाँ लगभग 1 वर्ग किलोमीटर की उथली झील बनी, जो गर्मियों में सूख जाती है.

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4. धाल क्रेटर, मध्य प्रदेश: यह भारत की सबसे बड़ी (11 किमी व्यास अनुमानित) और एशिया के सबसे पुराने ज्ञात उल्कापिंड प्रभाव स्थलों में से एक है, जो 2 अरब वर्ष से भी अधिक पुराना है. हालांकि अत्यधिक अपरदन के कारण अब यहां कोई स्पष्ट, स्थायी झील नहीं है, इसका विशाल आकार और प्राचीन उत्पत्ति इसे ब्रह्मांडीय घटनाओं का एक असाधारण ऐतिहासिक रिकॉर्ड बनाती है.

.<br />5. दुर्लभ पारिस्थितिकी और विज्ञान का मिश्रण: लोनार झील की एक अनूठी पारिस्थितिकी है, जिसमें इसका अत्यधिक क्षारीय और खारा पानी शामिल है, जो इसे पृथ्वी पर एक दुर्लभ भौगोलिक प्रयोगशाला बनाता है. ये क्रेटर न केवल भूवैज्ञानिक जिज्ञासा का विषय हैं, बल्कि यह भी दर्शाते हैं कि लाखों वर्षों में प्रकृति ने इन विनाशकारी अंतरिक्षीय निशानों के साथ कैसे अनुकूलन किया है.

6. विविधता और चुनौतियाँ: भारत में कई अन्य ज्ञात प्रभाव स्थल हैं जिनमें अब स्थायी झीलें नहीं हैं (जैसे कि धाल). कई स्थानों पर जल निकाय केवल उथले, अल्पकालिक (Ephemeral) या आर्द्रभूमि (Wetlands) के रूप में मौजूद हैं. यह इस बात पर प्रकाश डालता है कि अंतरिक्ष से बने इन क्रेटरों में स्थायी झीलों का होना कितना दुर्लभ और विशिष्ट भूवैज्ञानिक संयोग है.

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First Published :

November 26, 2025, 20:39 IST

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लोनार से लेकर रामगढ़ तक, भारत की इन 4 झीलों का कनेक्शन सीधा अंतरिक्ष से है

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