Last Updated:November 26, 2025, 17:53 IST
Exercise Garuda 2025: फ्रांस के आसमान में अभ्यास गरुड़ 2025 के दौरान भारतीय Su-30MKI और फ्रांसीसी राफेल ने एक साथ उड़ान भरी. 7,000 किलोमीटर दूर हुई यह हवाई जुगलबंदी देख लोग हैरान रह गए. एक तरफ फ्रांस की आधुनिक तकनीक का भरोसा तो दूसरी तरफ रूसी मशीनरी की ताकत.
सुखोई राफेल एक साथExercise Garuda 2025: फ्रांस के आसमान में आज जो उड़ान दिखी, वह केवल दो लड़ाकू विमानों की नहीं थी- यह दो महान इंजीनियरिंग धाराओं का मिलन था. एक तरफ रूस की Su-30MKI की विरासत थी, जो अपनी दृढ़ता और अप्रत्याशित पैंतरेबाज़ी (Manoeuvrability) के लिए जानी जाती है. वहीं दूसरी तरफ फ्रांसीसी राफेल का दम था, जो अपनी अत्याधुनिक एवियोनिक्स और सटीक मारक क्षमता का प्रतीक है. जब ये दोनों जेट मोंट-डे-मार्सां एयरबेस से एक साथ आसमान में धूल छोड़कर उठे, तो उन्होंने सामरिक तालमेल का अद्भुत नजारा पेश किया. सुखोई की विशालता और राफेल की चालाकी, एक-दूसरे की कमियों को पाटते हुए, एक मजबूत हवाई कवच की कहानी लिख रहे थे.
अभ्यास गरुड़ 2025 का आठवां संस्करण
यह जुगलबंदी तकनीकी सीमाओं को मिटाक बताती है कि रणनीति में विश्वास हो तो दो अलग-अलग देश और दो विपरीत तकनीकी स्कूल भी मिलकर एक सुर में उड़ान भर सकते हैं. एक-दूसरे को चुनौती देते हुए, एक-दूसरे को समझते हुए, और एक-दूसरे से सीखते हुए. यह दोस्ती का वह जौहर है जो रक्षा संबंधों को गहरा करता है. जब दोस्ती की उड़ान होती है, तो सरहदें मायने नहीं रखतीं. 6900 किलोमीटर दूर, फ्रांस के आसमान में आज भारत और फ्रांस के लड़ाके नहीं बल्कि दो दोस्त अपने इरादों को हवा दे रहे थे. भारत और फ्रांस की वायु सेनाओं के बीच चल रहा अभ्यास गरुड़ 2025 का आठवां संस्करण वर्तमान में फ्रांस के मोंट-डे-मार्सां एयर बेस पर आयोजित किया जा रहा है.
यह न केवल एक सैन्य युद्धाभ्यास है बल्कि यह रणनीतिक विश्वास और तकनीकी तालमेल का एक ज्वलंत उदाहरण भी है. यह अभ्यास द्विपक्षीय रक्षा संबंधों की गहराई को दर्शाता है, जहां भारत के रूस-मेड Su-30MKI और फ्रांसीसी वायु सेना (FAF) के राफेल जैसे अत्याधुनिक जेट एक जटिल सामरिक परिदृश्य में एक साथ उड़ान भरते नजर आए.
यह तालमेल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि:
1. रणनीतिक लचीलापन (Strategic Flexibility): राफेल और Su-30MKI दोनों ही बेहद सक्षम लेकिन अलग-अलग डॉक्ट्रिन पर आधारित लड़ाकू प्लेटफॉर्म हैं. एक-दूसरे की शक्तियों और सीमाओं को समझने से दोनों सेनाओं को भविष्य में किसी भी बहुराष्ट्रीय गठबंधन में अधिक प्रभावी ढंग से काम करने की क्षमता मिलती है.
2. बेस्ट प्रैक्टिस का आदान-प्रदान (Exchange of Best Practices): भारतीय पायलटों को राफेल विमान का उपयोग करने वाली एक नाटो-सहयोगी वायु सेना की रणनीति, ट्रेनिंग और रखरखाव की प्रक्रियाओं को समझने का अवसर मिला. वहीं, फ्रांसीसी पायलट Su-30MKI जैसे रूस-निर्मित प्लेटफॉर्म की परिचालन गतिशीलता को समझते दिखे.
3. ऑपरेशनल टेम्पो बनाए रखना: IAF ने स्वयं ट्वीट किया है कि उच्च ऑपरेशनल टेम्पो को बनाए रखते हुए, चालक दल उत्कृष्ट दक्षता और प्रोफेशनलिज्म का प्रदर्शन कर रहे हैं. इससे पता चलता है कि यह अभ्यास केवल दिखावा नहीं बल्कि गंभीर और जटिल मिशनों का पूर्वाभ्यास है.
मजबूत होती रक्षा साझेदारी का प्रतीक
फ्रांस, भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक भागीदार रहा है, जिसका प्रमाण राफेल सौदे और ‘मेक इन इंडिया’ के तहत रक्षा प्रौद्योगिकी के आदान-प्रदान से मिलता है. गरुड़ अभ्यास इस साझेदारी को जमीन से आसमान तक ले जाता है. यह युद्धाभ्यास यह पुष्टि करता है कि द्विपक्षीय संबंध केवल खरीद-बिक्री तक सीमित नहीं हैं, बल्कि तकनीकी ज्ञान और रणनीतिक सहयोग पर आधारित हैं. यह अभ्यास भारत की वैश्विक पहुंच (Global Reach) को भी मजबूत करता है. भारतीय वायुसेना के बेड़े का इतनी दूर सफलतापूर्वक परिचालन और एक प्रमुख पश्चिमी शक्ति के साथ सामरिक मिशनों को अंजाम देना, IAF की उच्च परिचालन क्षमता का प्रमाण है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
November 26, 2025, 17:53 IST

14 minutes ago
