Last Updated:November 26, 2025, 19:36 IST
नए साल से सांसदों को खास सुविधाएं मिलेंगी. (फाइल फोटो)जैसे ही देश नए साल में कदम रख रहा है, भारत के सांसद एक बिल्कुल बदले हुए कार्य परिवेश में प्रवेश करने की तैयारी कर रहे हैं-जहां तकनीक, सुविधा और देखभाल पहले से कहीं अधिक सहज रूप से एक साथ आएंगे. लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने चुपचाप कई महत्वाकांक्षी सुधारों को अंतिम रूप दे दिया है, जो सांसदों के कामकाज को और अधिक सुरक्षित, सुगम और आधुनिक बनाने का वादा करते हैं.
कल्पना कीजिए-एक सांसद देर रात की उड़ान में हों, किसी हाईवे पर फंसे हों, या देश के किसी दूरदराज़ इलाके में अचानक बीमार पड़ जाएं-और उनके पास 24 घंटे, सातों दिन उपलब्ध एक समर्पित हेल्पलाइन हो. यही सुविधा नए साल से शुरू होने जा रही है. 1 जनवरी से सांसदों को 24×7 इमरजेंसी और सपोर्ट लाइन मिलेगी, जो तुरंत मार्गदर्शन से लेकर परिवहन सुविधाओं तक हर तरह की सहायता उपलब्ध कराने में सक्षम होगी. गंभीर परिस्थितियों में एयर एंबुलेंस की सुविधा भी तुरंत उपलब्ध कराई जा सकेगी.
लेकिन यह बदलाव सिर्फ आपात स्थितियों तक सीमित नहीं है. यह संसद के कामकाज को पूरी तरह डिजिटल युग में ले जाने की दिशा में एक बड़ा कदम है. सालों से सांसद भारी-भरकम दस्तावेज़ों, फाइलों और मानव अनुवादकों पर निर्भर रहे हैं. अब सभी संसदीय सामग्री डिजिटल रूप में उपलब्ध होगी. संसदीय पुस्तकालय-जो ज्ञान का भंडार माना जाता है-अब वर्चुअल रूप में सुलभ होगा. सांसद चाहे किसी भी भारतीय भाषा में भाषण दें, उसका लाइव AI अनुवाद उपलब्ध होगा-अब अनुवादकों को पहले से सूचना देने की जरूरत नहीं होगी. इससे बहसें अधिक सहज, व्यापक और समावेशी बनेंगी.
इस बड़े बदलाव का एक और महत्वपूर्ण हिस्सा है-सांसदों का स्वास्थ्य. लंबे कामकाजी घंटे, यात्रा और लगातार तनाव वाले इस पेशे में अब सांसद साल में दो बार निःशुल्क मेडिकल चेक-अप के हकदार होंगे. ये जाँच अत्याधुनिक तकनीक और आधुनिक लैब सुविधाओं के साथ होंगी. संसद परिसर में उपलब्ध मेडिकल सेंटर को भी अपग्रेड किया जा रहा है, ताकि सांसदों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएँ मिल सकें.
ये सभी पहलें इस बात का संकेत हैं कि संस्था अब अपने निर्वाचित प्रतिनिधियों के स्वास्थ्य, दक्षता और गरिमा को नई प्राथमिकता दे रही है. लोकसभा सचिवालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार, नए साल के पहले दिन से ही ये सुविधाएँ शुरू करने की तैयारी पूरी रफ्तार पर है.
लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला लगातार सांसदों से फीडबैक लेते रहे हैं-चाहे वह संसद में मिलने वाले भोजन की गुणवत्ता हो या उनके लिए उपलब्ध सुविधाएं. यह संवेदनशीलता उनके व्यक्तिगत अनुभव से आती है-एकाधिक बार सांसद रहने के कारण उन्होंने खुद इन व्यावहारिक चुनौतियों का सामना किया है. जानकारी रखने वालों का कहना है कि इन सुधारों को समय पर लागू कराने के पीछे उनका व्यक्तिगत प्रयास है, क्योंकि उनका अटूट विश्वास है कि संसद, सदस्यों की ही है. भारत के सांसदों के लिए 2026 सिर्फ नई राजनीतिक चुनौतियों का साल नहीं है-यह एक अधिक संवेदनशील, डिजिटल और मानवीय संसदीय व्यवस्था में कदम रखने का वर्ष भी है.
पायल मेहताएसो. एडिटर
पायल मेहता CNN News18 में एसोसिएट एडिटर हैं. पिछले एक दशक से बीजेपी और एनडीए की गतिविधियों की कवरेज कर रही है. केंद्र सरकार के नीतिगत मसलों पर उनकी खासी पकड़ है. दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के राज्यों की गतिविधिय...और पढ़ें
पायल मेहता CNN News18 में एसोसिएट एडिटर हैं. पिछले एक दशक से बीजेपी और एनडीए की गतिविधियों की कवरेज कर रही है. केंद्र सरकार के नीतिगत मसलों पर उनकी खासी पकड़ है. दक्षिण भारत और पूर्वोत्तर के राज्यों की गतिविधिय...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 26, 2025, 19:36 IST

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