महिलाओं को गुलाम बनाने के लिए...सुप्रीम कोर्ट जज ने शादी पर कही बड़ी बात

5 hours ago

Last Updated:October 17, 2025, 12:10 IST

Justice Surya Kant: जस्टिस सूर्यकांत ने दिल्ली में आयोजित एक सेमिनार में कहा कि विवाह का इतिहास महिलाओं के दमन से जुड़ा है, लेकिन कानूनी सुधारों से अब यह समानता और सम्मान की साझेदारी बन रहा है.

महिलाओं को गुलाम बनाने के लिए...सुप्रीम कोर्ट जज ने शादी पर कही बड़ी बातसुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत ने शादी के दुरुपयोग पर बड़ी बात कही है.

Justice Surya Kant: सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस सूर्यकांत ने शादी के दुरुपयोग को लेकर बड़ी बात कही है. उन्‍होंने कहा कि विवाह जैसी सामाजिक संस्था का इतिहास बताता है कि इसे अक्‍सर महिलाओं को अधीन रखने के साधन के रूप में इस्तेमाल किया गया है. देश की राजधानी दिल्‍ली में आयोजित एक सेमिनार ‘क्रॉस-कल्चरल परिप्रेक्ष्य: इंग्लैंड और भारत में पारिवारिक कानून में उभरते रुझान और चुनौतियां’ में बोलते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि विवाह अपने स्वभाव से ही दोनों पक्षों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन इतिहास गवाह है कि विभिन्न महाद्वीपों, संस्कृतियों और युगों में इसे अक्सर महिलाओं के दमन के लिए इस्तेमाल किया गया है.

जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि यह एक असुविधाजनक सत्य है, परंतु समकालीन कानूनी और सामाजिक सुधारों ने विवाह को असमानता के स्थल से बदलकर गरिमा, पारस्परिक सम्मान और संवैधानिक समानता के मूल्यों पर आधारित एक पवित्र साझेदारी में बदलने की दिशा में कदम बढ़ाया है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि भारत में न्यायपालिका और विधायिका दोनों ने महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए सशक्त कानूनी ढांचे तैयार किए हैं. उन्होंने बताया कि सुप्रीम कोर्ट ने विदेशी तलाक डिक्री की मान्यता को लेकर भी स्पष्ट दिशानिर्देश जारी किए हैं.

सुप्रीम केर्ट के जज ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट यह तय कर चुका है कि विदेश में दिया गया कोई भी वैवाहिक निर्णय भारत में तभी मान्य होगा, जब वह धोखाधड़ी से प्राप्त न किया गया हो, प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का उल्लंघन न करता हो और भारत के प्रासंगिक कानूनों के अनुरूप हो. विदेशी विवाह विवादों पर बोलते हुए जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि वैश्विक आपसी संपर्क बढ़ने के साथ ही सीमापार वैवाहिक विवाद बढ़ रहे हैं, क्योंकि कई दंपती अलग-अलग देशों में रहते हैं. ऐसे मामलों में न्यायालयों के बीच ‘कॉमिटी ऑफ कोर्ट्स’ के सिद्धांत का पालन करते हुए परस्पर सम्मान और सहयोग बनाए रखना जरूरी है.

जस्टिस सूर्यकांत ने आगे कहा कि जब ऐसे मामलों में बच्चे शामिल होते हैं, तो जटिलता कई गुना बढ़ जाती है. इसलिए अदालतों का पहला दायित्व बच्चों के कल्याण और भलाई की रक्षा करना होना चाहिए. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि बच्चों की सुरक्षा और उनके हितों की रक्षा का सिद्धांत वैश्विक स्तर पर मान्य है और इस संदर्भ में भारत और इंग्लैंड का दृष्टिकोण काफी हद तक समान है. जस्टिस सूर्यकांत ने कहा कि विवाह एक साझेदारी होनी चाहिए, अधीनता का प्रतीक नहीं. उन्‍होंने आगे कहा कि समाज तभी आगे बढ़ सकता है, जब विवाह समानता और सम्मान के मूल्यों पर आधारित हो.

Manish Kumar

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

October 17, 2025, 11:57 IST

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