Last Updated:October 17, 2025, 13:06 IST
HMT is Back : आजादी के बाद से देश की सेवा कर रही कंपनी एचएमटी को एक बार शुरू करने की तैयारी है. सरकार ने इस कंपनी को दोबारा शुरू करने का डीपीआर भी तैयार कर लिया है और अब इस पर आने वाले खर्चे का अनुमान लगाया जा रहा है.

नई दिल्ली. समय ने एक बार फिर करवट ली है और 10 साल पहले बंद हो चुकी सरकारी कंपनी हिंदुस्तान मशीन टूल्स (HMT) को दोबारा शुरू करने पर काम चल रहा है. केंद्रीय भारी उद्योग एवं इस्पात मंत्री एचडी कुमारस्वामी ने कहा है कि देश की प्रतिष्ठित कंपनी एचएमटी की फैक्टरी का पुनरुद्धार करने के लिए एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) तैयार की जा रही है. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में एचएमटी और भद्रावती स्थित सर एम विश्वेश्वरैया लौह एवं इस्पात संयंत्र (वीआईएसएल) का पुनरुद्धार करने के लिए प्रयास जारी हैं.
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इस विषय में कई दौर की चर्चा हो चुकी है. नीति आयोग के सदस्य डॉ. वीके सारस्वत ने एचएमटी के पुनरुद्धार संबंधी एक महत्वपूर्ण रिपोर्ट सौंपी है. इस संबंध में दिल्ली में भारी उद्योग मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों, एचएमटी के प्रबंध निदेशक और डॉ. सारस्वत के बीच उच्चस्तरीय बैठकें हुई हैं. कुमारस्वामी ने कहा कि उन्होंने राज्य सरकार से सहयोग मांगा है और मांड्या में उद्योग स्थापित करने के संबंध में दिल्ली में कई उद्योगपतियों के साथ भी चर्चा की है.
अभी पूरी तहर बंद नहीं हुई कंपनी
HMT ने भले ही घड़ी बनाना बंद कर दिया है, लेकिन अभी तक कंपनी को पूरी तरह बंद नहीं किया गया है. इसकी सब्सिडियरी के कुछ सेक्शन आज भी ऑपरेशनल हैं, लेकिन कंपनी घाटे में चल रही है. कंपनी ने साल 2016 से घड़ी बनाना बंद कर दिया था. आपको बता दें कि यह कंपनी सिर्फ घड़ी ही नहीं बनाती, बल्कि हैवी मशीन का भी निर्माण करती है. इंडस्ट्री में इस्तेमाल होने वाले मशीन टूल्स बनाने के लिए ही इस कंपनी की स्थापना साल 1953 में की गई थी. बाद में इसने घड़ी बनाना भी शुरू किया और 80-90 के दशक में एचएमटी की घडि़यों का देशभर में बोलबाला था.
कंपनी पर कितने पैसे खर्च करने की तैयारी
सरकार ने वैसे तो कोई आंकड़ा नहीं दिया है, लेकिन साल 2006 में जब इसके रिवाइवल का प्लान बनाया गया था, तब 830 करोड़ रुपये खर्च करने का अनुमान था, जिसे पूरे समूह के लिए 1,200 करोड़ रुपये खर्च किए जाने थे. अगले साल 2007 में 880 करोड़ रुपये का ग्रांट भी हो गया था. इसके बाद साल 2013 में एक बार फिर इसके लिए कैबिनेट ने 1,083 करोड़ रुपये के पैकेज को अप्रूव किया था.
आज कितना पैस लगने का अनुमान
सरकार ने भले ही अभी तक खर्च का अनुमान नहीं लगाया है, लेकिन रिवाइवल के लिए इसकी जमीनें बेचकर जो पैसे जुटाए गए हैं, वह बैंगलुरु में 70 एकड़ जमीन के लिए करीब 600 करोड़ रुपये था. इन पैसों के अलावा केंद्र और राज्य सरकारें भी इसके रिवाइवल पर मोटा पैसा लगा सकती हैं. कंपनी का मौजूदा मार्केट कैप करीब 1,300 करोड़ रुपये है. वित्तवर्ष 2023-24 में कंपनी का राजस्व करीब 163 करोड़ रुपये था, लेकिन इसके सभी सेक्शन अभी नहीं चल रहे जिससे कंपनी लगातार घाटे में चल रही है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
October 17, 2025, 13:06 IST