Russia-US Tension: अमेरिका लगातार रूस पर यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को खत्म करने का दबाव बना रहा है. रूस पर दबाव बनाने के लिए अमेरिका ने उस पर आर्थिक प्रतिबंध और उसके समर्थन करने वाले देशों के खिलाफ टैरिफ वॉर से लेकर अब न्यूक्लियर हथियारों तक सारे दांव खेल दिए हैं. इस बीच रूस ने एक बड़ा ऐलान किया और अमेरिका के साथ 1987 में की गई 38 साल पुरानी परमाणु संधि इंटरमीडिएट-रेंज परमाणु बल (INF) संधि से खुद को बाहर कर लिया है. दोनों देशों के बीच बनी ये संधि इस बात को लेकर थी कि ये छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों की तैनाती नहीं करेंगे. वहीं, रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री अनातोलियेविच मेदवेदेव ने NATO की रूस विरोधी नीतियों को लेकर अमेरिका पर तंज कसा है.
रूस ने परमाणु मिसाइलों की तैनाती पर रोक लगाने वाली संधि से खुद को बाहर करने के साथ ही अपनी सुरक्षा पर प्रत्यक्ष खतरा पैदा करने के लिए की गई कार्रवाइयों के लिए पश्चिमी देशों को जिम्मेदार बताया है. रूस ने यह कदम तब उठाया है, जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने रूस के नजदीक दो परमाणु पनडुब्बियों की तैनाती कर दी है. अमेरिका के इस कदम के बाद रूस के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि सोवियत काल में हुई इस संधि का पालन करने वाली शर्तें अब नहीं रहीं. ऐसे में मॉस्को भी अब अपने ऊपर लगाए गए संधि के प्रतिबंधों का पालन नहीं करेगा.
रूस ने तोड़ी 38 साल पुरानी संधि, पश्चिमी देशों को दी चेतावनी
रूस ने इस परमाणु संधि के औपचारिक समझौते से खुद को बाहर करते हुए ऐलान किया कि वो अब पहले से अपने ऊपर लगाए गए प्रतिबंधों के लिए बाध्य नहीं है. इसके पीछे रूस के पूर्व राष्ट्रपति मेददेव ने NATO की रूस विरोधी नीतियों को जिम्मेदार बताया. इससे पहले अमेरिका 2 अगस्त 2019 को ही रूस पर इसका उल्लंघन करने का आरोप लगाते हुए इस संधि से अलग हो गया था. जबकि, रूस ने अपने ऊपर लगाए गए प्रतिबंधों को जारी रखा था. पूर्व रूसी राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा, 'यह एक नई वास्तविकता है, जिसका हमारे सभी विरोधियों को सामना करना पड़ेगा. भविष्य में उठाए जाने वाले फैसलों के लिए इंतजार करें.'
क्या है INF परमाणु संधि?
INF परमाणु संधि 38 साल पहले साल 1987 में रूस और अमेरिका के बीच हुई थी. उस समय तत्कालीन सोवियत रूस के नेता मिखाइल गोर्बाचेव और तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन ने इस संधि पर हस्ताक्षर किए थे. अमेरिका और रूस 500 से 5500KM की रेंज वाली मिसाइल लॉन्चर, ग्राउंड-लॉन्च बैलिस्टिक मिसाइलों और क्रूज मिसाइलों की तैनाती नहीं करेंगे. लेकिन, अमेरिका साल 2019 में इस समझौते से अलग हो गया था.