धराली में बादल फटा, राहत बचाव में सेना जुटी, एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर स्टैंडबाय

5 hours ago

Last Updated:August 05, 2025, 20:06 IST

Uttarakhand cloud burst: बादल फटने और फिर लैंडस्लाइड के बाद से राहत बचाव का तेज है. सेना, ndrf, sdrf सहित राज्य सरकार ग्राउंड जीरो पर है. सेने के हेलिकॉप्टर सबह से अपने ऑपरेशन को अंजाम देंगे. मौसम खराब होने के ...और पढ़ें

धराली में बादल फटा, राहत बचाव में सेना जुटी, एयरफोर्स के हेलिकॉप्टर स्टैंडबायभारतीय वायुसेना तैयार है

हाइलाइट्स

धराली में बादल फटने से सेना राहत बचाव में जुटी.वायुसेना के हेलिकॉप्टर स्टैंडबाय पर हैं.सेना ने अब तक 20 लोगों को रेस्क्यू किया है.

Uttarakhand cloud burst: मंगलवार दोपहर 1 बजकर 45 मिनट के करीब उत्तराखंड के हर्षिल के पास धराली गांव में बादल फटा. तेजी से पानी और मलबा नीचे की तरफ आया और उसकी चपेट में पूरा गांव आ गया. सेना को इसकी जानकारी मिलते ही 10 मिनट में वो धराली गांव पहुंच कर राहत बचाव के काम में जुट गई. देहरादून में रक्षा मंत्रालय के प्रवक्ता कर्नल मनीष श्रीवास्तव ने बताया कि सेना ने अब तक 20 लोगों को रेस्क्यू किया है. बाकी लापता लोगों की तलाश जारी है. इस राहत बचाव के काम में सेना के 150 से ज्यादा जवान जुटे हुए हैं. यह घटना हर्षिल में आर्मी कैंप से 4 किलोमीटर दूर हुई. एंबुलेंस और डॉक्टर की टीम मौके पर मौजूद है. इस राहत बचाव ऑपरेशन के लिए भारतीय वायुसेना भी तैयार है.भारतीय वायुसेना के हेलिकॉप्टर स्टैंडबाय पर रखे गए हैं. मौसम खराब होने के चलते फिलहाल एयर ऑपरेशन शुरू नहीं हो सका है. सरसावा, चंडीगढ़ और बरेली एयरबेस से हर्षिल जाएगी फिर जरूरत के हिसाब से ऑपरेशन को अंजाम दिया जाएगा. वायुसेना के 2 चिनूक, 2 Mi-17V5, 2 चीता और एक ALH ऑपरेशन के लिए पूरी तरह से तैयार हैं.

जानिए इन हेलिकॉप्टरों की खासियत

 हेविलिफ्ट हेलिकॉप्टर चिनूक
चिनूक एक हेवी लिफ्ट हेलिकॉप्टर है. इसे भारतीय वायुसेना ने अमेरिका की बोइंग कंपनी से खरीदा है. फिलहाल भारतीय वायुसेना के पास 15 चिनूक हेलिकॉप्टर हैं. साल 2019 में यह भारतीय वायुसेना में शामिल हुआ था. इसकी सबसे बड़ी खासियत है इसकी वजन उठाने की क्षमता.एक बार में यह 10 से 12 टन का लोड उठा सकता है. इसके जरिए सेना के भारी भरकम हथियारों और सैन्य साजो सामान को एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जाया जा सकता है. भारत ने अमेरिका से M-777 हॉवित्सर की खरीद की है. इन्हीं चिनूक हेलिकॉप्टर के जरिए ही हाई एल्टिट्यूड और दुर्गम जगह पर पहुंचाया गया है. इस हेलिकॉप्टर में दो रोटर हैं, एक आगे और एक पीछे, जिससे इस हेलिकॉप्टर को ज्यादा स्थिरता मिलती है. इसकी रफ्तार 300 किलोमीटर प्रति घंटा है. यह एक मल्टी रोल हेलिकॉप्टर है जिसे ट्रूप मूवमेंट, राहत बचाव और लोड को ढोने के काम आता है. यह हेलिकॉप्टर हिमालय के ऊँचे और दुर्गम इलाकों में आसानी से ऑपरेट कर सकता है.

Mi-17 V5 हेलिकॉप्टर
दुनिया के सबसे सुरक्षित और भरोसेमंद हेलिकॉप्टरों में रूसी Mi-17 V5 हेलिकॉप्टर का माना जाता है. भारतीय वायुसेना Mi-17 हेलिकॉप्टर के कई वेरियंट का इस्तेमाल कर चुकी है. फिलहाल वायुसेना के पास 60 के करीब Mi-17 हेलिकॉप्टर हैं. इसके अलावा भारतीय वायुसेना के पास सबसे उन्नत मीडियम लिफ्ट हेलिकॉप्टर के तौर पर रूस से लिए तकरीबन 140 Mi-17V5 हेलिकॉप्टर शामिल हैं. यह एक मल्टी रोल मीडियम लिफ्ट हेलिकॉप्टर है. यह 4,000 किलोग्राम तक का पेलोड आसानी से लेकर उड़ान भर सकता है इसके अलावा 4,500 किलो तक का भार बाहरी स्लिंग से ले जा सकता है. एक बार में इस हेलिकॉप्टर में 20 से 24 लोगों को आसानी से एक जगह से दूसरी जगह तक ले जाया जा सकता है. जितनी भी आपदा चाहे वह केदारनाथ आपदा हो या फिर कश्मीर फ्लड या फिर देश के जिस भी हिस्से में कोई आपदा आई है, जब भी भारतीय वायुसेना को राहत बचाव के लिए बुलाया जाता है उसमें Mi-17V5 हेलिकॉप्टर जरूर शामिल होता है. यह हेलिकॉप्टर एडवांस एवियोनिक्स और नाइट विजन क्षमता से लैस है.

सेना के लाइफलाइन चीता हेलिकॉप्टर
चीता हेलिकॉप्टर दुनिया में इकलौता हेलिकॉप्टर है जो सियाचिन के हाई ऑल्टिट्यूड में आसानी से उड़ान भरते हुए लैंड और टेकऑफ भी कर सकता है. सियाचिन की इसे लाइफ लाइन भी कहा जाता है. 1970 के दशक से यह भारतीय वायुसेना का हिस्सा है. आकार में छोटा होने के चलते इससे बहुत ज्यादा सामान तो ढोया नहीं जा सकता, लेकिन जिन दुर्गम इलाकों में यह उड़ान भरता है, दुनिया का कोई लाइट यूटिलिटी हेलिकॉप्टर नहीं कर सकता. सियाचिन में 20 हजार फीट की ऊंचाई में आसानी से ऑपरेट कर सकता है. एक पायलट के साथ इस हेलिकॉप्टर में 3 से 4 लोगों को ही बिठाया जा सकता है. इसकी रफ्तार 220 किलोमीटर प्रति घंटा के करीब है. चूंकि यह बहुत पुराने हो चुके हैं, लिहाजा इसमें आधुनिक नेविगेशन सिस्टम भी नहीं है.कैजुअल्टी इवैक्यूशन, रसद पहुंचाना और रेकी के लिए इनका इस्तेमाल किया जाता है. जल्द ही इन चीता हेलिकॉप्टरों को स्वदेशी लाइट यूटिलिटी हेलीकॉप्टर LUH से बदला जाएगा.

ALH फिर से भर रहा है उड़ान
ध्रुव हेलिकॉप्टर की सबसे बड़ी खासियत यह है कि यह पूरी तरह से स्वदेशी है. इसे किसी भी मौसम में इस्तेमाल किया जा सकता है. यह समंदर के ऊपर भी उड़ सकता है तो हाई एल्टिट्यूड के इलाके में 15,000 फीट के ऊपर भी उड़ान भर सकता है. ALH रात में भी आसानी से ऑपरेशन को अंजाम दे सकता है. पोरबंदर में हुए कोस्टगार्ड के हेलिकॉप्टर क्रैश के बाद सेना में शामिल सभी 330 ध्रुव हेलिकॉप्टरों को ग्राउंड कर दिया गया था. ऑपरेशन सिंधु के दौरान फिर से ALH उड़ान भर रहे हैं. अगर हम नंबरों की बात करें तो भारतीय थल सेना सबसे ज्यादा 145 ALH को ऑपरेट करती है. इनमें 75 इसके वेपेनाइज्ड वर्जन ALH MK 4 रुद्र हैं. थलसेना ने 25 अतिरिक्त ALH मार्क 3 का ऑर्डर HAL को दिया है. भारतीय वायुसेना के पास 70 के करीब ध्रुव हैं तो नौसेना के पास 18 ALH मौजूद हैं.

First Published :

August 05, 2025, 20:06 IST

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