बिक रहे नॉर्मल पेट्रोल में कितने फीसदी एथनॉल, असर वाहन के इंजनों पर कितना

8 hours ago

पेट्रोल पंप में अगर आप अपने वाहन में नॉर्मल पेट्रोल भरवा रहे हैं तो क्या आपको मालूम है कि उसमें कितना एथनॉल है और उसका असर आपके वाहन के इंजन पर पड़ता है. भारत में कुछ समय पहले तक नॉर्मल पेट्रोल (91 RON या E0 पेट्रोल) में 10 फीसदी एथनॉल मिलाया जा रहा था लेकिन अब ये स्थिति बदल गई है. आप कह सकते हैं कि आमतौर पर नॉर्मल के नाम से बेचा जाने वाला पेट्रोल एथनॉल और पेट्रोल का मिश्रण होता है.

हालिया सूचनाओं के अनुसार अब जब आप पेट्रोल पंप जाकर अपने वाहन में पेट्रोल भरवाएंगे और अगर आपने नॉर्मल का आप्शन तय किया तो आपको जो पेट्रोल मिलेगा वो ई20 होगा यानि 20% एथनॉल वाला पेट्रोल, जिसे नॉर्मल के नाम से आपके वाहनों में भरा जाएगा. हालांकि अभी कई जगह 20 फीसदी एथनॉल वाला तेल मिलना शुरू नहीं हुआ है लेकिन वो जल्दी राष्ट्रीय स्तर पर हो जाएगा.

सवाल – क्या आपका वाहन 20 फीसदी एथेनॉल वाला पेट्रोल बर्दाश्त कर सकता है?

– जो भी नए वाहन तैयार किए जा रहे हैं, उन्हें 20 फीसदी एथेनॉल की कंपेटीबिलिटी के साथ ही बनाया गया है वर्ष 2023 के बाद बनी गाड़ियां इसी हिसाब से डिजाइन की गई हैं लेकिन पुराने मॉडलों में समस्या हो सकती है.

सवाल – सरकारी दावे क्या कहते हैं कि ई20 नॉर्मल पेट्रोल वाहनों के लिए कैसा रहेगा?

– सरकारी दावों के अनुसार, ई20 पेट्रोल से पुराने वाहनों को कोई गंभीर नुकसान नहीं होगा. पेट्रोलियम मंत्रालय और ARAI जैसी संस्थाएं बताती हैं कि उचित टेस्टिंग प्रोटोकॉल में ये पाया गया कि उसका वाहन पर कोई खास प्रभाव नहीं हुआ.

मंत्रालय ने दावा किया कि E20 पर वैश्विक रिपोर्टों ने उत्पन्न शक्ति और टॉर्क तथा ईंधन की खपत में कोई महत्वपूर्ण अंतर नहीं दिखाया है। ये अध्ययन वाहनों के यांत्रिक, ऊर्जा और पर्यावरणीय प्रदर्शन पर आधारित थे, जिसमें कार्बोरेटेड और ईंधन-इंजेक्टेड वाहनों का उनके पहले 1,00,000 किलोमीटर के दौरान हर 10,000 किलोमीटर पर परीक्षण किया गया. उसके बयान में कहा गया है कि E20 ईंधन ने इंजन को बिना किसी नुकसान के गर्म और ठंडे स्टार्टेबिलिटी परीक्षणों को सफलतापूर्वक पार कर लिया.

वैसे मंत्रालय इस बात से सहमत था कि E10 के लिए डिज़ाइन किए गए और E20 के लिए कैलिब्रेट किए गए चार पहिया वाहनों के माइलेज में 1-2% की मामूली कमी आई है. अन्य में ये कमी करीब 3-6% की है. लेकिन बेहतर इंजन ट्यूनिंग और E20 कंपेटबिल सामग्रियों के उपयोग से इस समस्या का समाधान किया जा सकता है.

सवाल – यानि ये बात सही है कि अब नॉर्मल पेट्रोल का मतलब 20 फीसदी एथनॉल है?

– हां, अब पेट्रोल पंप पर मिलने वाले नॉर्मल पेट्रोल का मतलब 20 एथनॉल ब्लेंडिंग तेल है. अगर आप विशेष रूप से पेट्रोलिंग स्टेशन से एथनॉल ब्लेंडिंग का प्रतिशत जानना चाहते हैं, तो सीधे पूछें कि वो E10 दे रहे हैं या E20.

सवाल – सरकार ने ये काम क्यों किया है?

– सरकार का कहना है कि इस मिश्रण के जरिए देश की एनर्जी सुरक्षा मजबूत होती है. क्रूड ऑयलआयात पर निर्भरता कम होगी. इससे कॉर्बन उत्सर्जन में कमी आएगी और किसानों की आय बढ़ेगी.

सवाल – क्या आने वाले समय पेट्रोल में एथनॉल और बढ़ाया जाएगा?

– हां, सरकार ने 2025‑26 तक 20% ब्लेडिंग वाला पेट्रोल देने का टारगेट रखा था. हालांकि इसे बाद में 27% तक बढ़ाने की रणनीति बनाई गई है. सरकार और तेल कंपनियां मिलकर मार्च 2021 से इंजनों को ई20‑अनुकूल बनाने संबंधी उपाय कर रही हैं.

सवाल – अब आपको क्या करना चाहिए?

– अपने वाहन की मैनुअल बुक में देखें, क्या वह ई20 कंपेटीबल है. यदि आपकी कार/बाइक 2023 या उसके बाद की है, तो E20 से कोई दिक्कत नहीं होगी. यदि पुरानी गाड़ी है (खासकर 2015 से पहले की) तो E20 से हल्की पर्फामेंस या माइलेज की दिक्कत हो सकती है.

सवाल – अगर आप अपने वाहन में एथनॉल युक्त पेट्रोल नहीं डलवाना चाहते तो क्या विकल्प है?

– पेट्रोल पंपों पर नॉर्मल पेट्रोल के अलावा दो तीन तरह के पेट्रोल और होते हैं. Speed 97 / XP100 नाम से बिकने तेल में एथनॉल की मौजूदगी 5 से 10 फीसदी होता है. वैसे XP100 को “भारत का सबसे शुद्ध प्रीमियम पेट्रोल” कहा जाता है. कई जगह ये एथनॉल-मुक्त या न्यूनतम एथनॉल युक्त होता है. ये बहुत महंगा होता है (₹150–₹170 प्रति लीटर तक). केवल बड़े शहरों के चुनिंदा पंपों पर उपलब्ध होता है.

सवाल – एथनॉल क्या होता है, ये कहां से मिलता है?

– एथनॉल एक अल्कोहल-आधारित ईंधन है, जो आमतौर पर गन्ने जैसी फसलों से प्राप्त होता है, ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करने वाला माना जाता है.

सवाल – एथनॉल कहां और कैसे पेट्रोल में मिलाया जाता है, क्या इसकी क्वालिटी बिल्कुल शुद्ध होती है?

– आज भारत में पेट्रोल में एथनॉल मिलाना एक राष्ट्रीय नीति का हिस्सा है. एथनॉल (C₂H₅OH) एक प्रकार का शुद्ध अल्कोहल होता है, वही जो शराब में भी होता है, लेकिन ईंधन ग्रेड एथनॉल को पीने लायक नहीं बनाया जाता (इसमें डिनैचुरेंट मिलाया जाता है)।
यह बायोफ्यूल है, जो प्राकृतिक स्त्रोतों से बनता है. पूरे भारत में 800 से ज़्यादा ऐसी फैक्ट्रियां हैं जो गन्ने और अनाज से एथनॉल बनाती हैं. इसे फ्यूल ग्रेड एथनॉल के रूप में तैयार किया जाता है.
इस एथनॉल को इंडियन ऑयल, भारत पेट्रोलियम, हिंदुस्तान पेट्रोलियम जैसी तेल कंपनियां खरीदती हैं. फिर इसे तेल रिफाइनरी या टर्मिनल पर पेट्रोल में मिलाया जाता है, न कि पेट्रोल पंप पर. एक बार ब्लेंड होने के बाद वही पेट्रोल ट्रक में भरकर पेट्रोल पंपों तक पहुंचता है. रही बात एथेनॉल की गुणवत्ता की तो भारत में इसकी गुणवत्ता के लिए सख्त मानक तय हैं. फ्यूल ग्रेड एथनॉल 99.5% शुद्ध होता है.

सवाल – क्या दुनिया में पेट्रोल में एथनॉल मिलाने का काम किसी और देश में भी हो रहा है?

– हां, दुनिया के कई देश पेट्रोल में एथनॉल मिलाने का काम भारत से भी पहले और बड़े पैमाने पर कर चुके हैं. ये ट्रेंड वैश्विक है. इसके पीछे मुख्य कारण पर्यावरण सुरक्षा, तेल आयात पर निर्भरता कम करना, किसानों को आय का नया साधन देना और पेट्रोल की कीमत नियंत्रित करना है.

ब्राजील में ये काम 1970 के दशक से हो रहा है. वहां 70 के दशक में तेल संकट पैदा हुआ, उसके बाद ये काम शुरू किया गया. वहां पेट्रोल में 27 फीसदी एथनॉल मिलाया जाता है. वहां ऐसी गाड़ियां भी हैं जो 100% एथनॉल पर भी चलती हैं. ब्राज़ील दुनिया में सबसे सफल बायो-एथनॉल मॉडल माना जाता है.

अमेरिका में भी यही हो रहा है. वहां ये काम 1990 के दशक में शुरू हुआ. वहां मक्के से एथनॉल निकाला जाता है. सामान्य पेट्रोल में ये 10 फीसदी तक मिलाया है जाता है लेकिन कुछ जगह 15 फीसदी तो कुछ स्थितियों में 85 फीसदी तक. अमेरिका के “Flex-Fuel” वाहन E85 (85% एथनॉल) तक झेल सकते हैं. अमेरिका दुनिया में सबसे ज़्यादा एथनॉल उत्पादन करता है.

यूरोपियन यूनियन में भी पेट्रोल में एथनॉल ब्लेंडिंग हो रही है. फ्रांस में 10 फीसदी, जर्मनी में 5 फीसदी और स्वीडन में 85 फीसदी तक. जब 85 फीसदी एथनॉल ब्लेंड होता है तो फ्लेक्स फ्यूल तैयार होता है. इस पर चलने वाले वाहन अलग तरह के होते हैं. यूरोप में पर्यावरण नियम सख्त हैं, इसलिए एथनॉल-ब्लेंडिंग को ग्रीन फ्यूल के रूप में बढ़ावा दिया गया है.
चीन में भी 2017 में सरकार ने सभी गाड़ियों के लिए E10 लागू करने की घोषणा की थी. अब ये चीन में अनिवार्य हो चुका है. थाईलैंड में भी E10, E20, E85 के तीनों विकल्प उपलब्ध हैं.

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