भाई-बहन का प्‍यार कराएगा 17000 करोड़ का बिजनेस, सबसे ज्‍यादा खर्जा किस पर?

3 days ago

Last Updated:August 07, 2025, 16:02 IST

Happy Rakshabandhan : भाई-बहन के प्रेम का त्‍योहार रक्षाबंधन कारोबार का भी बड़ा अवसर लेकर आया है. खुदरा कारोबारियों के संगठन कैट ने बताया है कि इस बार राखी पर करीब 17 हजार करोड़ रुपये के कारोबार का अनुमान है.

भाई-बहन का प्‍यार कराएगा 17000 करोड़ का बिजनेस, सबसे ज्‍यादा खर्जा किस पर?कैट ने रक्षाबंधन पर हजारों करोड़ के कारोबार का अनुमान लगाया है.

नई दिल्‍ली. राखी के त्‍योहार में केवल दो ही दिन रह गए हैं और देश के ज्‍यादातर बाजार स्‍वागत के लिए पूरी तरह सजधज कर तैयार हैं. खुदरा व्‍यापारियों के सबसे बड़े संगठन कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) का मानना है कि इस साल देशभर में राखी के त्‍योहार पर लगभग 17 हजार करोड रुपये के व्यापार की उम्मीद है. संगठन का मानना है कि राखी वाले दिन 9 अगस्त को ही भारत छोड़ो आंदोलन की तिथि भी है और इस बार भाई-बहन के प्‍यार के साथ देशभक्ति की भावना भी उफान पर रहेगी.

कैट के राष्ट्रीय महामंत्री प्रवीन खंडेलवाल का कहना है कि ऑपरेशन सिंदूर के बाद से ही देशभक्ति की भावना ऊफान पर है और अब रक्षाबंधन के मौके पर भाई-बहन के प्रेम के साथ देशभक्ति का प्रेम भी साफ दिखाई देगा. उन्‍होंने अनुमान लगाया कि इस रक्षाबंधन पर मिठाई, फल और गिफ्ट आदि के रूप में लगभग 4 हजार करोड़ रुपये से भी ज्‍यादा के कारोबार का अनुमान है. इसके अलावा अन्‍य चीजों की खरीद पर भी हजारों करोड़ रुपये खर्च किए जाने की उम्‍मीद है.

इनोवेशन वाली राखियों की धूम
कैट महासचिव ने बताया कि इस बार राखी के इनोवेशन वाली राखियों की धूम है जिसमें अन्य राखियों के अलावा वोकल फॉर लोकल’ से ‘डिजिटल राखी’ और ऑपरेशन सिंदूर से लेकर मोदी राखी, आत्मनिर्भर भारत राखी, जयहिंद राखी, भारत माता की जय, विकसित भारत, वंदेमातरम राखी जैसी अनेक प्रकार की आकर्षक राखियों की बाजार में बड़ी मांग है. बाजार में पारंपरिक राखियों के साथ नवाचार से भरी ‘थीम बेस्ड’ राखियां धूम मचा रही हैं. इसमें इको-फ्रेंडली राखियां जैसे मिट्टी, बीज, खादी, बांस व कपास से बनी राखियों की भी बड़ी शृंखला दिख रही है.

हर प्रदेश की अपनी-अपनी थीम
खंडेलवाल ने बताया कि भाई-बहन की फोटो और नाम के साथ वाली कस्‍टमाइज राखियों की भी बाजार में धूम है. इसके अलावा देश के विभिन्न क्षेत्रों की कला और संस्कृति को समेटे हुए ‘वसुधैव कुटुंबकम’ थीम पर आधारित राखियों में कोसा राखी (छत्तीसगढ़), जूट राखी (कोलकाता), रेशम राखी (मुंबई), खादी राखी (नागपुर), सांगानेरी राखी (जयपुर), बीज राखी (पुणे) बांस राखी (झारखंड), चाय पत्ती राखी (असम), मधुबनी राखी (बिहार) आदि भी प्रमुख रूप से बिक रही हैं. खंडेलवाल ने बताया कि इनमें से कई राखियां स्थानीय महिला उद्यमियों, स्वयं सहायता समूहों और कारीगरों द्वारा बनाई गई हैं, जिससे महिला सशक्तिकरण और स्थानीय उद्योग को भी प्रोत्साहन मिल रहा है.

Pramod Kumar Tiwari

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें

प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्‍वेस्‍टमेंट टिप्‍स, टैक्‍स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

August 07, 2025, 16:02 IST

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