Last Updated:August 05, 2025, 15:29 IST
BrahMos Supersonic Cruise Missile: ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की मिलिट्री पर कहर बनकर टूटने के बाद अब ब्रह्मोस मिसाइल को लेकर भारत बड़ा दांव खेलने जा रहा है. डिफेंस मिनिस्ट्री जल्द ही एक हाई-लेवल मीटिंग में भारतीय वायुसेना और नौसेना के लिए ब्रह्मोस मिसाइलों की अब तक की सबसे बड़ी खरीद को मंजूरी दे सकती है. यह सौदा सिर्फ सामान्य खरीद नहीं होगा. यह भारत की रणनीतिक स्ट्राइक कैपेबिलिटी को पूरी तरह बदल देगा.

ऑपरेशन सिंदूर के पहले फेज में, जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को निशाना बनाया था, तब ब्रह्मोस मिसाइल भारत की पहली पसंद थी. जैश-ए-मोहम्मद और लश्कर-ए-तैयबा जैसे आतंकी संगठनों के हेडक्वार्टर पर सीधे और सटीक हमले किए गए.

ब्रह्मोस की रफ्तार और मारक क्षमता इतनी घातक थी कि पाकिस्तानी एयरबेस और आर्मी कैंटोनमेंट में भारी नुकसान हुआ. इसके बाद पाक आर्मी ने जवाबी हमला करने की कोशिश की, लेकिन तब तक भारत संदेश दे चुका था - अब आतंकी ढांचे की हिफाजत करना आसान नहीं.

इस नए सौदे के तहत ब्रह्मोस मिसाइल के तीनों वर्जन खरीदे जाएंगे. एयर-लॉन्च वर्जन, जो भारतीय वायुसेना के Su-30 MKI फाइटर जेट्स पर तैनात होगा. शिप-बेस्ड वर्जन, जो भारतीय नौसेना के वीर-क्लास वॉरशिप्स को ताकत देगा. साथ ही, ग्राउंड-बेस्ड वर्जन, जिससे दुश्मन के ठिकानों पर लॉन्ग-रेंज से हमला किया जा सकेगा डिफेंस सूत्रों के अनुसार, इन तीनों ब्रांच की कोऑर्डिनेटेड स्ट्राइक पावर भारत को चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधियों के खिलाफ बेहद एडवांस बढ़त देगी.

ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है, जिसकी रफ्तार करीब Mach 2.8 से Mach 3 तक होती है यानी आवाज की गति से लगभग तीन गुना तेज. इसकी रेंज अब बढ़ाकर 500+ किलोमीटर तक की जा चुकी है. सटीकता ऐसी कि यह टारगेट से कुछ मीटर की दूरी के अंदर ही वार करती है. यही कारण है कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान इसे पाकिस्तान के सेंसिटिव मिलिट्री लोकेशंस पर इस्तेमाल किया गया.

हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ब्रह्मोस की खुलकर तारीफ की. उन्होंने कहा, 'ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने हमारे स्वदेशी हथियारों की ताकत देखी. हमारी एयर डिफेंस सिस्टम, मिसाइल और ड्रोन ने ‘आत्मनिर्भर भारत’ की शक्ति को साबित किया है, खासकर ब्रह्मोस मिसाइल ने.' यह बयान केवल एक सराहना नहीं था, बल्कि एक स्ट्रैटजिक मैसेज था. भारत अब अपने दम पर हाई-क्लास डिफेंस टेक्नोलॉजी तैयार कर सकता है और उसे इस्तेमाल भी कर सकता है.

हालांकि ब्रह्मोस के हमले अभी तक पाकिस्तान तक सीमित रहे हैं, लेकिन इसकी तैनाती नॉर्थ-ईस्टर्न बॉर्डर पर चीन के खिलाफ भी की जा रही है. अरुणाचल और सिक्किम में ब्रह्मोस बैटरियों को तैनात करने का काम पिछले दो सालों से चल रहा है. अब जब एयरफोर्स और नेवी की जॉइंट स्ट्राइक कैपेबिलिटी में ब्रह्मोस जुड़ रहा है, तो यह पूरे इंडो-पैसिफिक रीजन में भारत की सैन्य ताकत को एक नया आयाम देगा.