Last Updated:August 05, 2025, 15:22 IST
सुप्रीम कोर्ट ने 18 महीने की शादी के लिए 18 करोड़ रुपये एलिमनी की मांग को अव्यवहारिक बताते हुए खारिज कर दिया. कोर्ट ने कहा कि जो व्यक्ति काम करने योग्य है, वह जानबूझकर बेरोजगार नहीं रह सकता और वो भी सिर्फ इसलिए...और पढ़ें

हाइलाइट्स
सुप्रीम कोर्ट ने 18 करोड़ एलिमनी की मांग खारिज की.महिला को 4 करोड़ या फ्लैट लेने का विकल्प दिया.महिला MBA पास, कोर्ट ने नौकरी करने को कहा.सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एलिमनी के एक मामले में काफी अहम फैसला सुनाया है. दरअसल, यह मामला एक महिला द्वारा अपने पूर्व पति से भारी-भरकम गुजारा भत्ते की मांग से जुड़ा था. महिला ने 12 करोड़ रुपये नकद और मुंबई की एक हाई-प्रोफाइल हाउसिंग सोसायटी में स्थित फ्लैट की मांग की थी. हालांकि, कोर्ट ने इन मांगों को अव्यावहारिक मानते हुए महिला को एक विकल्प दिया कि या तो वह उस फ्लैट को स्वीकार करे, या फिर 4 करोड़ रुपये की एकमुश्त राशि लेकर समझौता करे.
क्या था मामला?
इस केस की सुनवाई सुप्रीम कोर्ट की बेंच जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस के. विनोद चंद्रन द्वारा की जा रही थी. महिला ने दावा किया कि उसे एलिमनी के रूप में 12 करोड़ रुपये नकद और मुंबई के पॉश इलाके में स्थित ‘कल्पतरू सोसायटी’ का एक फ्लैट मिलना चाहिए. बता दें कि यह हाउसिंग प्रोजेक्ट मुंबई के टॉप हाउसिंग सोसायटियों में गिना जाता है.
कोर्ट ने जब इस मांग की समीक्षा की तो पाया कि पति-पत्नी की शादी मात्र 18 महीने ही चली थी. इस पर चीफ जस्टिस बीआर गवई ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा “आप 18 महीने की शादी के बदले 18 करोड़ रुपये मांग रही हैं, मतलब हर महीने के लिए एक करोड़ रुपये?”
कोर्ट ने महिला की योग्यता पर भी उठाए सवाल
सुनवाई के दौरान जब महिला से उसकी योग्यता के बारे में पूछा गया, तो उसने बताया कि वह MBA पास आउट है और आईटी सेक्टर में भी काम कर चुकी है। इस पर अदालत ने पूछा “जब आप इतनी पढ़ी-लिखी हैं, और आईटी सेक्टर में काम कर चुकी हैं, तो आप नौकरी क्यों नहीं कर रही हैं? आप बेंगलुरु या हैदराबाद जैसे शहरों में आसानी से काम कर सकती हैं.”
चीफ जस्टिस ने स्पष्ट किया कि जो व्यक्ति काम करने योग्य है, वह जानबूझकर बेरोजगार नहीं रह सकता और वो भी सिर्फ इसलिए कि एलिमनी की मोटी रकम मिलती रहे. उन्होंने कहा कि “आप इस पैसे के भरोसे नहीं रह सकतीं. आपको खुद की कमाई से अपनी गरिमा के साथ जीवन बिताना चाहिए.”
पिता की संपत्ति पर नहीं कोई हक
महिला ने जिन संपत्तियों पर दावा किया था, उनमें से एक उस फ्लैट पर भी थी जो पति के पिता के नाम पर था. कोर्ट ने इस मांग को सिरे से खारिज करते हुए साफ कहा “आप उस संपत्ति पर दावा नहीं कर सकतीं जो आपके पति की नहीं बल्कि उसके पिता की है.”
इनकम टैक्स डिटेल से तय हुई एलिमनी
कोर्ट ने मामले की निष्पक्षता बनाए रखने के लिए पूर्व पति की इनकम टैक्स डिटेल मंगाई, ताकि यह पता किया जा सके कि वह कितनी एलिमनी देने में सक्षम है. इस आधार पर ही अदालत ने यह फैसला सुनाया कि महिला या तो कल्पतरू सोसायटी में स्थित फ्लैट ले ले, या एकमुश्त 4 करोड़ रुपये की राशि स्वीकार कर ले.
First Published :
August 05, 2025, 15:22 IST