पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना जिले का संदेशखाली एक बार फिर से चर्चा में है. कभी शांत रहने वाला ग्रामीण इलाका, अब फिर से राजनीतिक अखाड़ा बना हुआ है. कभी ममता के चहेते और तृणमूल कांग्रेस के स्थानीय दबंग नेता शेख शाहजहां ने यहां कि जर (धन), जोरू (महिलाएं) और जमीन पर कब्जा जमा लिया था. 2011 से शुरू हुई यह कहानी 2024 में उजागर हुई, जब महिलाओं ने क्रूरता के खिलाफ खुलकर बोलाना शुरू किया. शाहजहां और उसके गुर्गों ने सालों तक यौन शोषण किया, जमीनें छीनीं और विरोध करने वालों को पीटा, जिसे सहन करना उनके लिए मुश्किल हो गया था.
उसी साल मनी लॉन्ड्रिंग मामले छापेमारी करने जा रही ईडी की टीम पर हमला हो गया. इसके बाद शेख फरार हो गया. हालांकि, राजनीतिक दबाव बढ़ने के बाद उसकी गिरफ्तारी हो गई, जिसके बाद मामला और भी गरमा गया. अब इस साजिश ने एक नया रूप ले लिया है. दरअसल, बुधवार को मुख्य गवाह भोलानाथ घोष, जो शाहजहां के खिलाफ गवाही देने जा रहे थे, की कार को एक ट्रक ने कुचल दिया. उनके बेटे और ड्राइवर की मौत, जबकि घोष एक निजी अस्पताल में जिंदगी मौत से जूझ रहे हैं. क्या यह न्याय की राह में बाधा है या राजनीतिक खेल? संदेशखाली की महिलाओं का संघर्ष अब और गहरा हो गया है, जहां डर और दमन की छाया अभी भी मंडरा रही है.
संदेशखली में TMC नेता शाहजहां शेख के घर पर ED अधिकारियों ने रेड के बाद नोटिस चिपकाए.
चलिए, संदेशखाली हिंसा पूरी कहानी जानने और समझने की कोशिश करते हैं.
कौन है शेख शाहजहां?
संदेशखाली में राजनीतिक बदलाव 2011 में शुरू होती है, तब ममता का बंगाल में उद्भव हुआ था. तृणमूल कांग्रेस (TMC) के स्थानीय नेता शाहजहां शेख से, जो 2011 से गांव में अपनी सत्ता जमा चुके थे. शेख, राजनीति में कदम रखने से पहले मछली पालन और रेत खनन के कारोबार में सक्रिय थे. हालांकि, बढ़ते दबदबे के साथ क्रूरता भी बढ़ती चली गई. उन पर स्थानीय महिलाओं का यौन शोषण, जमीनें कब्जाने और विरोधियों को दबाने का आरोप लगा. 13 सालों तक यानी कि 2024 तक सतही तौर सब शांत था. चूंकि शेख की ग्रामीण इकाई के अध्यक्ष थे और ममता बनर्जी सरकार के करीब माने जाते थे, इसलिए उनके डर से गांव की महिलाएं चुप थीं.
ईडी पर हमला
कहानी का टर्निंग पॉइंट आया जनवरी 2024 में. प्रवर्तन निदेशालय (ED) की टीम शेख के घर पर छापा मारने जा रही थी. उन पर मनी लॉन्ड्रिंग और अवैध रेत खनन के आरोप थे. लेकिन, 5 जनवरी को ईडी टीम पर हमला हो गया. करीब 1,000 लोगों की भीड़ ने अधिकारियों पर पत्थरबाजी की, गाड़ियां तोड़ीं, जिसमें ईडी अधिकारी सत्यजीत बिस्वास गंभीर रूप से घायल हो गए. ईडी की टीम पहुंचने से पहले शेख फरार हो कर अंडरग्राउंड हो गए. रिपोर्ट में बताया गया कि बताया गया कि शेख के समर्थकों ने उनके कहने पर जांच की टीम पर हमला किया था. विपक्ष (BJP, CPI(M)) ने ममता सरकार पर जमकर हमला बोला. उन्होंने इसे राजनीतिक संरक्षण का नतीजा बताया. हालांकि, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने इसे ईडी की साजिश बताया.
कोलकाता में संदेशखली केस के आरोपी तृणमूल कांग्रेस नेता शेख शाहजहां को सीबीआई अधिकारियों द्वारा ले जाने के बाद सुरक्षाकर्मियों ने भवानी भवन का मेन गेट बंद कर दिया.
एक महीने बाद फिर फूटा गुस्सा
फरवरी 2024 में संदेशखाली में आग भड़क उठी. महिलाओं ने शाहजहां शेख के खिलाफ खुलकर बोलना शुरू किया. उन्होंने शेख और उनके साथियों शिबू हाजरा, उत्तम सरदार पर आरोप लगाए कि वे 2011 से महिलाओं का यौन उत्पीड़न कर रहे थे, जमीनें छीन रहे थे और विरोध करने वालों को पीटते थे. एक महिला ने कहा तो यह कहते हुए कांपने लगी थी कि शेख की हवेली में रातें काफी डरावनी थीं. विपक्षी पार्टी बीजेपी ने ममता सरकार पर हमला बोलते हुए इसे ‘बंगाल की बेटियों का अपमान’ बताया. भाजपा नेता स्मृति ईरानी समेत कई नेताओं ने उस क्षेत्र का दौरा किया था. हालांकि, टीएमसी ने आरोप नकारे, लेकिन दबाव में शिबू और उत्तम को गिरफ्तार किया गया. शेख अभी भी फरार थे, लेकिन 29 फरवरी को मिनाखान से गिरफ्तार हो गए. कलकत्ता हाईकोर्ट के आदेश पर सीबीआई ने जांच अपने हाथ में ली. हाईकोर्ट ने राज्य पुलिस पर पक्षपात का आरोप लगाया था.
क्या-क्या आरोप लगा?
शाहजहां शेख की गिरफ्तारी के बाद मामले ने नया मोड़ लिया. अप्रैल 2024 में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की. इसमें शेख पर महिलाओं के अपहरण, बलात्कार, लैंड ग्रैबिंग और ED पर हमले के आरोप थे. 50 से ज्यादा महिलाओं ने शाहजहां शेख के खिलाफ गवाही दी. शेख ने जमानत की अपील की, लेकिन कोर्ट ने खारिज कर दी. शेख को अपनी पार्टी से तगड़ा झटका तब लगा लगा, जब उनको निष्कासित कर दिया गया. मई 2024 में में संदेशखाली में एक बार फिर से हिंसा भड़की. टीएमसी और बीजेपी कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें, जिसमें 5 लोग घायल हुए. वहीं, इस मामले में राष्ट्रीय महिला आयोग (NCW) ने रिपोर्ट दी कि ‘राजनीतिक संरक्षण में, यह संगठित अपराध था.’
गिरफ्तारी, एक्शन के बाद अब एक ई साजिश
जून 2024 में ईडी ने शेख की ईडी ने मछली फार्म, रेत खदानें, होटल समेत 1,200 करोड़ की संपत्ति जब्त की. अगस्त में CBI ने 42 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया, जिसमें शेख मुख्य आरोपी शेख था. अब, जब मुख्य गवाह भोलानाथ घोष शेख के खिलाफ गवाही देने जा रहे थे, तब उनकी कार को 10 दिसंबर को एक ट्रक ने टक्कर मार दी. बसंती हाईवे पर यह हादसा हुआ, जिसमें घोष का बेटा सत्यजीत (32) और ड्राइवर शहनूर मोल्ला (27) की मौके पर मौत हो गई. घोष खुद एक अस्पताल में जिंदगी मौत की जंग लड़ रहे हैं. घोष के परिवार ने जानलेवा हमले के लिए शेख पर आरोप लगाया है.

3 hours ago
