Last Updated:November 18, 2025, 10:23 IST
Khesarilal Yadav News: छपरा विधानसभा सीट पर भोजपुरी स्टार खेसारीलाल यादव की हार उतनी सीधी नहीं थी, जितनी दिखती है. चुनावी नतीजों के पीछे उन विवादों और बयानबाज़ियों की भी लंबी फेहरिस्त है, जिनसे उनकी छवि और अभियान दोनों को नुकसान हुआ. स्टारडम वोट नहीं दिला सका और अंत में खेसारी अपनी ही गलतियों के जाल में फंसकर छपरा की लड़ाई हार गए. आइए जरा उन गलतियों की पड़ताल करते हैं.
छपरा में क्यों हार गए खेसारीलाल यादव? छपरा. बिहार विधानसभा चुनाव में भोजपुरी सुपरस्टार खेसारी लाल यादव (असली नाम शत्रुघ्न कुमार यादव) की राजनीतिक पारी की शुरुआत ही अच्छी साबित नहीं हुई. छपरा विधानसभा सीट से राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के टिकट पर लड़े खेसारी को भाजपा की छोटी कुमारी ने 7,600 वोटों के अंतर से हरा दिया. छोटी कुमारी को 86,845 वोट मिले, जबकि खेसारी को 79,245 मत मिले. यह हार तेजस्वी यादव की उम्मीदों पर पानी फेरने वाली थी, क्योंकि खेसारी को स्टार पावर से आरजेडी की परंपरागत यादव वोट बैंक मजबूत करने का जिम्मा सौंपा गया था. लेकिन, विवादित बयानों और रणनीतिक चूक ने उनकी हार सुनिश्चित की. यहां यह भी बता दें कि छपरा की जनता ने खेसारी को सुना, देखा और परखने के बाद आखिर तक उन पर भरोसा नहीं कर सकी. छपरा की कड़ी टक्कर में भोजपुरी सुपरस्टार खेसारीलाल यादव को हार ने चौंका दिया. सिर्फ स्थानीय राजनीति की कमजोर पकड़ ही नहीं, बल्कि उनकी कुछ विवादास्पद टिप्पणियां और रणनीतिक गलतियां ने उनको चुनाव हरा दिया.
राम मंदिर पर विवादित बयान, सबसे बड़ी चूक
खेसारी की सबसे बड़ी गलती वह बयान था जिसमें उन्होंने कहा कि राम मंदिर पढ़ाई-लिखाई करके नौकरी नहीं देता. धार्मिक मुद्दों पर संवेदनशील छपरा के मतदाताओं को यह बात खटक गई. विरोधियों ने इसे ‘भगवान पर सवाल’ कहकर प्रचारित किया. यह बयान इतना असरदार साबित हुआ कि उनके बाकी मुद्दे पीछे छूट गए. कई समर्थक भी इस टिप्पणी से असहज दिखे.
‘जंगलराज’ की वकालत ने हवा और बिगाड़ी
दूसरा विवाद तब खड़ा हुआ जब खेसारी ने कहा कि- जंगलराज में गरीब कम से कम जिंदा थे. यह टिप्पणी आरजेडी कार्यकर्ताओं के लिए तो उत्साहजनक थी, लेकिन आम मतदाता को इससे पुराने दिनों की याद आ गई- जब अपराध और कानून-व्यवस्था को लेकर बिहार बदनाम रहता था. विपक्ष ने इसे ऐसे पेश किया कि खेसारी उसी दौर की वापसी चाहते हैं. यह बयान उनकी विश्वसनीयता पर बड़ा हमला बन गया.
स्थानीय संगठन और मुद्दों से दूरी भी बनी वजह
छपरा में खेसारी पूरी तरह अपने स्टारडम के भरोसे उतरे. स्थानीय नेताओं से कमजोर तालमेल, बूथ मैनेजमेंट की कमियां और जनसंपर्क की कमी उनके अभियान को कमजोर करती रहीं. मतदाताओं में यह धारणा बनती गई कि खेसारी बाहरी हैं और चुनाव के बाद इलाके से दूर हो जाएंगे. चूंकि छपरा में स्थानीय नेटवर्क और जमीनी संगठन सबसे अहम रहते हैं, खेसारी का स्टारडम वहीं का काम नहीं आया.
भोजपुरी इंडस्ट्री पर अंड-बंड बोलने की गलती
चुनाव के दौरान खेसारी भोजपुरी इंडस्ट्री के साथी कलाकारों पर भी टिप्पणियों में उलझते रहे. उन्होंने कई कलाकारों पर पक्षपात और गिरोहबाज़ी के आरोप लगाए. इसका सीधा असर यह हुआ कि इंडस्ट्री का बड़ा वर्ग उनसे दूर होता गया. अभिनेता की छवि वाली सीटों पर अक्सर पूरी इंडस्ट्री की ‘सॉफ्ट सपोर्ट’ अहम होती है जो खेसारी को नहीं मिला.
स्टारडम नहीं चला, जनता ने नकार दिया
स्थानीय स्तर पर बूथ प्रबंधन, समुदायों से जुड़ाव और नियमित संपर्क में कमी रही. साथ ही विरोधियों ने आसानी से यह संदेश फैला दिया कि छपरा को ‘बाहरी’ या ‘स्टार’ नहीं, स्थानीय नेता चाहिए. इन सब विवादों, गलत बयानों और स्थानीय स्तर पर कमजोर पकड़ के कारण खेसारीलाल यादव चुनाव हार गए. संकेत साफ है कि चर्चाओं और वायरल वीडियो से चुनाव नहीं जीते जाते-जमीन और भरोसा ही सबसे बड़ी ताकत है.
तेजस्वी का दांव उल्टा, खेसारी की गलतियां उजागर
एक मज़बूत वजह उनकी फिल्मों और गानों को लेकर बढ़ती आलोचना रही. खेसारी पर अश्लीलता और महिलाओं के प्रति अनुचित प्रस्तुति के आरोप लगे. कुछ विरोधियों और समर्थक कलाकारों के बीच चले तकरारों ने भी उनका चुनावी पैनल प्रभावित किया. खेसारी ने इन आरोपों का बचाव तो किया, पर यह बहस वोटरों के नजरिये में भारी पड़ गई.नतीजा यह हुआ कि खेसारीलाल यादव लोकप्रियता के बावजूद वोटिंग में पिछड़ गए और सीट छोटी कुमारी के हाथ में चली गई.
पत्रकारिता क्षेत्र में 22 वर्षों से कार्यरत. प्रिंट, इलेट्रॉनिक एवं डिजिटल मीडिया में महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वहन. नेटवर्क 18, ईटीवी, मौर्य टीवी, फोकस टीवी, न्यूज वर्ल्ड इंडिया, हमार टीवी, ब्लूक्राफ्ट डिजिट...और पढ़ें
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First Published :
November 18, 2025, 10:23 IST

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