रूस से तेल, अमेरिका से गैस! भारत ने एक तीर से किए दो शिकार; जयशंकर ने मास्को में सेट किया एजेंडा

1 hour ago

India Russia Oil deal: भारत ने रूस से सस्ता तेल क्या खरीदा, ट्रंप भारत के पीछे हाथ धोकर पड़ गए. भारत को टैरिफ तो रूस को प्रतिबंध लगाने की धमकियां देने लगे. इस बीच भारत ने डिप्लोमेसी का बेहतरीन मास्टर स्ट्रोक खेला है. विदेश मंत्री जयशंकर ने मास्को में रूसी समकक्ष लावरोव से मुलाकात के बाद मानो मिनट्स ऑफ मीटिंग (MOM) शेयर करते हुए बड़ा कूटनीतिक संदेश दिया है.

एससीओ (SCO) की बैठक से इतर हुई मीटिंग के बाद जयशंकर ने कहा, 'भारत और रूस अगले महीने द्विपक्षीय शिखर सम्मेलन के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की नई दिल्ली यात्रा से पहले कई द्विपक्षीय समझौतों, पहलों और परियोजनाओं को अंतिम रूप देने के लिए काम कर रहे हैं. साझा हितों के इतर हमने अफगानिस्तान, मिडिल ईस्ट और अफगानिस्तान पर भी बात की है.'

अमेरिकी दबाव का निकला तोड़!

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जयशंकर ने कहा, हमारी मीटिंग बहुत जरूरी थी. यहां हर मुद्दे पर बात हुई. दोनों पक्ष 23वें भारत-रूस सालाना समिट के लिए पुतिन की भारत यात्रा की तैयारी कर रहे हैं. हमने विभिन्न क्षेत्रों में कई द्विपक्षीय समझौतों, पहलों और परियोजनाओं पर चर्चा की वो जल्द फाइनल होकर सामने आ सकती है. जयशंकर ऐसे समय में एससीओ के शासनाध्यक्षों की परिषद की बैठक में भाग ले रहे हैं जब भारत, रूसी ऊर्जा उत्पाद (तेल) और मिलिट्री हार्डवेयर की खरीद कम करने के लिए अमेरिका के नए दबाव का सामना कर रहा है.

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बीते कुछ दिनों में भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल की खरीद में कथित तौर पर गिरावट आई है. वहीं भारत ने सोमवार को बताया कि सरकारी कंपनियों ने अमेरिका से 2.2 एमटीपीए एलपीजी गैस आयात करने के लिए एक साल का करार किया है. यानी भारत अमेरिका से गैस तो खरीदेगा लेकिन ट्रंप की जो चाहत है कि भारत रूस से सस्ता तेल न लेकर वाशिंगटन से महंगा तेल खरीदे उस पर अभीतक स्पष्ट बयान नहीं आया है.  

'हमारी दोस्ती दुनिया के हित में'

हालांकि, जयशंकर ने कहा कि भारत-रूस संबंध लंबे समय से अंतर्राष्ट्रीय संबंधों में स्थिरता का कारक रहे हैं. भारत और रूस के संबंधों का विकास और विकास न केवल हमारे पारस्परिक हित में है, बल्कि दुनिया के लिए भी बेहद जरूरी है. जयशंकर लावरोव ने जटिल वैश्विक हालातों पर भी चर्चा की. इसमें यूक्रेन संघर्ष, मध्य पूर्व और अफगानिस्तान की स्थिति पर भी मंथन हुआ. 

जयशंकर ने यूक्रेन में संघर्ष के संदर्भ में कहा, 'भारत शांति स्थापना के प्रयासों का समर्थन करता है. उम्मीद है कि सभी पक्ष इस मकसद को पूरा करने के लिए रचनात्मक रूप से आगे बढ़ेंगे'.

लावरोव ने भारत से साझेदारी को रूस की सर्वोच्च प्राथमिकता बताते हुए कहा कि 'मॉस्को, दिल्ली के साथ आर्थिक सहयोग के लिए कदम उठा रहा है. रूस पर लगे पश्चिमी प्रतिबंधों के बीच दोनों ये तय करने के लिए ऐसा सिस्टम बना रहे हैं जिससे हमारे ट्रेड में किसी के नाजायज दखल का असर न हो.'

अफगानिस्तान और यूक्रेन क्यों?

धरती के किसी भी कोने में अगर कोई जंग छिड़ती है तो उसका प्रत्यक्ष या परोक्ष असर सबपर पड़ता है. अफगानिस्तान में भारत दशकों से विकास योजनाएं चला रहा है. तालिबान राज में भी नई दिल्ली-काबुल के बीच संतुलन बना हुआ है. अफगान विदेश मंत्री मुत्ताकी ने अपने हालिया भारत दौरे पर दिल्ली के साथ काम करने पर सहमति जताई थी. ट्रंप अफगानिस्तान का बगराम बेस लेने के लिए काबुल को धमका रहे हैं. वहीं अमेरिका की एक 'कमजोर नस' (यूक्रेन) रूस ने दबा रखी है. मास्को और कीव की लड़ाई में यूक्रेन को जो नुकसान होता है उसका चोट अमेरिका तक को लगती है. लिहाजा ट्रंप युद्ध रुकवाकर यूक्रेन में अमेरिकी टैक्सपेयर्स के पैसे से चल रहा 'फायर शो' रोककर फंड बचाना चाहते हैं.

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