Last Updated:November 18, 2025, 10:21 IST
EV vs Fuel Vehicle : दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण की वजह वाहनों के धुएं को बताया जाता है, फिर भी आखिर क्यों इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री नहीं बढ़ रही है. कॉमर्शियल सेक्टर में तो ई-वाहनों की संख्या बढ़ी है, लेकिन पर्सनल यूज वाले वाहनों की संख्या कम ही है.
इलेक्ट्रिक वाहनों पर सब्सिडी के बावजूद बिक्री कम हो रही है. नई दिल्ली. दिल्ली में प्रदूषण किस कदर लोगों को परेशान कर रहा है, यह बताने वाली बात नहीं रही. एक्सपर्ट इसका सबसे बड़ा कारण वाहनों से निकलने वाले धुएं को मान रहे हैं. वाहनों के प्रदूषण से बचने के लिए ही इलेक्ट्रिक वाहनों का निर्माण हुआ है, लेकिन आखिर क्या वजह है कि आज भी ई-वाहन, पेट्रोल और डीजल वाहनों के मुकाबले रेस में पीछे छूट रहे हैं. सरकार की ओर से सब्सिडी सहित तमाम प्रोत्साहनों के बावजूद आलम यह है कि जब पेट्रोल-डीजल के 10 वाहन बिकते हैं, तब एक इलेक्ट्रिक वाहन की बिक्री होती है.
इलेक्ट्रिक वाहनों की संख्या बढ़ भी रही है तो पर्सनल यूज के लिए नहीं. इसमें तीन पहिया वाहनों, माल ढुलाई वाले वाहनों, ई-बसों और ई-रिक्शा जैसी श्रेणियों में उछाल आ रहा है. बावजूद इसके इनकी पैठ पेट्रोल और डीजल वाहनों के मुकाबले बहुत कम है. सरकार के वाहन डेटा द्वारा थिंक टैंक एनवायरोकैटलिस्ट्स के आंकड़ों पर नजर डालें तो जनवरी से सितंबर, 2024 तक दिल्ली में करीब 2.7 लाख पेट्रोल दोपहिया वाहनों का पंजीकरण हुआ, जबकि इस दौरान 26,613 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहन पंजीकृत किए गए. इसी तरह, साल 2025 के आंकड़े देखें तो पेट्रोल वाले दोपहिया वाहनों की संख्या 3.2 लाख रही, जबकि 27,028 इलेक्ट्रिक दोपहिया वाहनों का रजिस्ट्रेशन किया गया.
कॉमर्शियल सेक्टर में ई-वाहन की डिमांड
पर्सनल यूज वाले सेक्टर में भले ही इलेक्ट्रिक वाहनों की डिमांड न हो, लेकिन कॉमर्शियल सेक्टर में इसकी डिमांड लगातार बढ़ रही है. दिल्ली में ई-बसों की संख्या 779 से बढ़कर 1,093 हो गई, जबकि डीजल बसों की संख्या 686 से बढ़कर 730 ही पहुंची है. माल ढुलाई वाले इलेक्ट्रिक तीन पहिया वाहनों का पंजीकृत इस साल 11,331 रहा, जो पिछले वर्ष 8,379 था. यहां तक कि इस श्रेणी में सीएनजी वाहनों की संख्या में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई. हालांकि, डेटा से पता चलता है कि पिछले वर्ष 1,198 इलेक्ट्रिक तीन पहिया यात्री (मुख्य रूप से ई-ऑटो) पंजीकृत किए गए थे.
चार पहिया वाहनों में पेट्रोल-डीजल का दबदबा
बात करते हैं पर्सनल यूज वाली चार पहिया गाडि़यों की. यहां पेट्रोल आधारित वाहनों का प्रभुत्व जारी है. हालांकि, निजी इलेक्ट्रिक चार पहिया वाहनों की संख्या 3,848 से बढ़कर 9,905 हो गई, लेकिन ईवी का हिस्सा पेट्रोल आधारित कारों की तुलना में बहुत कम था. इसी तरह, 2025 में केवल 466 इलेक्ट्रिक चार पहिया यात्री वाहन पंजीकृत किए गए, जबकि 2024 में 1,748 थे.
क्यों नहीं बढ़ रही ई-कारों की बिक्री
एनवायरोकैटलिस्ट्स के संस्थापक और प्रमुख विश्लेषक सुनील दहिया ने कहा कि वाहनों की संख्या में समग्र वृद्धि अभी भी पेट्रोल और सीएनजी वाहनों द्वारा संचालित है. इसमें दोपहिया, चार पहिया कार और माल वाहन श्रेणियां शामिल हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली में इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ाने के लिए दो चीजों पर जोर देना होगा. पहला, हमें लक्षित नीतियों और बुनियादी ढांचे के माध्यम से ईवी की पैठ को तेजी से बढ़ाना होगा. इससे प्रदूषणकारी वाहनों के हिस्से को कम करने में मदद मिलेगी, जिससे कुल ईंधन खपत और उत्सर्जन में कमी आएगी. दूसरा, इसका उपयोग सार्वजनिक परिवहन और गैर-मोटर चालित परिवहन को मजबूत करने के लिए करना होगा.
स्पेयर पार्ट हैं सबसे बड़ी समस्या
यह पूछे जाने पर कि सितंबर तक कोई ई-ऑटो क्यों पंजीकृत नहीं हुआ, दिल्ली ऑटो चालक संघ के अध्यक्ष और ई-ऑटो चालक अंकित शर्मा ने बताया कि मुख्य समस्या उनके स्पेयर पार्ट्स जैसे बैटरी और कंट्रोलर हैं. यह पार्ट केवल कंपनी आधारित निर्माताओं के पास उपलब्ध हैं. इनकी कीमत 1 लाख रुपये से अधिक है, जो ऑटो चालकों के लिए बहुत महंगी है. इसके विपरीत, सीएनजी आधारित ऑटो का रखरखाव सस्ता है.
क्यों अपनानी चाहिए ईवी
इंटरनेशनल काउंसिल ऑन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन के एमडी (भारत) अमित भट्ट ने कहा कि किसी भी नई तकनीक को अपनाने में समय लगता है. दिल्ली-एनसीआर में प्रदूषण को नियंत्रित करने के लिए हमें शून्य उत्सर्जन वाले परिवहन ईवी की ओर स्विच करना होगा. लोग हरे नंबर प्लेट के लिए या नई तकनीक का उपयोग करने की इच्छा से ईवी खरीद सकते हैं. हालांकि, ईवी खरीदने वाले लोगों को छूट देना पर्याप्त नहीं है, क्योंकि हमें अन्य देशों से सीखने की आवश्यकता है, ताकि बड़े पैमाने पर ईवी का उपयोग सुनिश्चित किया जा सके. चीन, लंदन और कैलिफोर्निया में मूल उपकरण निर्माताओं के लिए उनके कुल बिक्री का एक निश्चित हिस्सा ईवी के रूप में बेचने का प्रावधान है और यह 2035 तक 100% हो सकता है.
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...और पढ़ें
प्रमोद कुमार तिवारी को शेयर बाजार, इन्वेस्टमेंट टिप्स, टैक्स और पर्सनल फाइनेंस कवर करना पसंद है. जटिल विषयों को बड़ी सहजता से समझाते हैं. अखबारों में पर्सनल फाइनेंस पर दर्जनों कॉलम भी लिख चुके हैं. पत्रकारि...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 18, 2025, 10:21 IST

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