मुझे समझ नहीं आता... SIR पर ये क्यों बोले जस्टिस सूर्यकांत, मान ली EC की बात

4 hours ago

Last Updated:September 01, 2025, 13:49 IST

SC Hearing on Bihar SIR: आरजेडी सहित कई विपक्षी दलों ने डाफ्ट वोटर लिस्ट के खिलाफ दावे और आपत्तियां दर्ज करने की समयसीमा 1 सितंबर से बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और साफ कहा कि ...और पढ़ें

मुझे समझ नहीं आता... SIR पर ये क्यों बोले जस्टिस सूर्यकांत, मान ली EC की बातसुप्रीम कोर्ट ने आपत्तियां दर्ज कराने की समयसीमा बढ़ाने की विपक्षी दलों की मांग को खारिज कर दिया. (News18)

बिहार में चुनाव आयोग के विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर दायर याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट ने विपक्षी दलों को बड़ा झटका दिया है. आरजेडी सहित कई विपक्षी दलों ने डाफ्ट वोटर लिस्ट के खिलाफ दावे और आपत्तियां दर्ज करने की समयसीमा 1 सितंबर से बढ़ाने की मांग की थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे खारिज कर दिया और साफ कहा कि चुनाव आयोग की तय प्रक्रिया ही लागू रहेगी.

सुनवाई के दौरान जस्टिस सूर्यकांत ने विपक्षी दलों से सवाल करते हुए कहा, ‘मुझे समझ नहीं आता कि आधार पर इतना ज़ोर क्यों दिया जा रहा है. हम कोर्ट आदेश से आधार को कोई अतिरिक्त वैधानिक दर्जा नहीं दे सकते.’ उन्होंने कहा कि वोटर रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया में पारदर्शिता ज़रूरी है, लेकिन अदालत चुनाव आयोग की व्यवस्था में अनावश्यक हस्तक्षेप नहीं करेगी.

वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत भूषण और कपिल सिब्बल ने आरजेडी की ओर से दलील दी कि बड़ी संख्या में लोग अभी दावे और आपत्तियां दर्ज करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि बिहार में बाढ़ की स्थिति के चलते लोग आवेदन समय पर नहीं कर पाए हैं. उन्होंने कोर्ट से समयसीमा 10 सितंबर तक बढ़ाने की अपील की.

हालांकि चुनाव आयोग की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राकेश द्विवेदी ने तर्क दिया कि, ‘अगर तारीखें लगातार बढ़ाई जाएंगी तो यह प्रक्रिया अंतहीन हो जाएगी. आयोग ने पहले ही आदेश का पालन करते हुए सूचियां वेबसाइट और अखबारों में प्रकाशित की हैं. 30 सितंबर के बाद भी दावे और आपत्तियां स्वीकार की जाएंगी और उन पर विचार होगा.’

कोर्ट में पेश आंकड़ों के अनुसार, अब तक 65 लाख नामों की जांच में सिर्फ 33,326 व्यक्तियों और 25 दलों की आपत्तियां दर्ज की गईं. वहीं 1.34 लाख से अधिक लोगों ने खुद अपना नाम मतदाता सूची से हटाने का आवेदन दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बिहार लीगल सर्विस अथॉरिटी पैरा लीगल वॉलंटियर्स को इस प्रक्रिया में सहयोग के लिए लगाए, ताकि मतदाताओं को फॉर्म भरने और आपत्तियां दर्ज कराने में मदद मिल सके. साथ ही अदालत ने स्पष्ट किया कि अंतिम तिथि के बाद भी अगर कोई आवेदन करता है, तो आयोग उस पर विचार करेगा.

अदालत ने यह भी दर्ज किया कि आरजेडी और अन्य दलों के अधिकृत प्रतिनिधियों (BLA) ने बेहद कम आपत्तियां दाखिल की हैं. जस्टिस सूर्यकांत ने टिप्पणी की कि राजनीतिक दलों को केवल समय सीमा बढ़ाने की मांग करने के बजाय अपने प्रतिनिधियों को सक्रिय सहयोग के लिए लगाना चाहिए.

Saad Omar

An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें

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Location :

New Delhi,Delhi

First Published :

September 01, 2025, 13:45 IST

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