Last Updated:September 01, 2025, 14:30 IST
नीतीश कुमार मुख्यमंत्री की पसंद के मामले में तेजस्वी यादव और प्रशांत किशोर से लगातार पिछड़ रहे थे, लेकिन ताजा सर्वेक्षण में नीतीश कुमार के साथ एनडीए भी मजबूत स्थिति में उभर कर सामने आया है. यह सब संभव हुआ है नी...और पढ़ें

बिहार में चुनाव से पहले हर पार्टी तरह-तरह के प्रलोभन दे रही है. आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने सबसे पहले मुफ्त वाली लुभावनी घोषणाएं कीं तो लगा कि वे ऐसा करने वाले बिहार की पहली पार्टी के नेता हैं, जो जनता के लिए सोच रहे हैं. तब किसी को अनुमान नहीं था कि नीतीश कुमार की तर्कश में इतने तीर हैं कि बेधना चाहें तो शायद ही कोई उनके आगे टिके. सभी यही सोच रहे थे कि मुफ्त के मामले में नीतीश कंजूस हैं. पर, किसी ने यह नहीं सोचा कि समझदार व्यक्ति बदलाव की बयार से कभी अछूता नहीं रहता. समय के साथ और उसी के अनुरूप चलता है.
नीतीश कुमार ने जैसे ही मुफ्त की ओर कदम बढ़ाया, विपक्षी महागठबंधन का दांव फेल होने लगा. 125 यूनिट फ्री बिजली, 400 से 1100 रुपये की सामाजिक सुरक्षा पेंशन, 1 करोड़ लोगों को नौकरी-रोजगार, सवा रोड़ से अधिक महिलाओं का जीविका दीदी के रूप में नीतीश से जुड़ना और 2.97 करोड़ परिवारों की एक-एक महिला को 10 हजार की आर्थिक मदद जैसे कामों से नीतीश लोगों से सीधे मुखातिब हुए हैं. मसलन मदद और राहत के पैसे सीधे डायरेक्ट बेनिफिट ट्रासंफर (DBT) से अकाउंट में भेजकर नीतीश कुमार ने बड़े पैमाने पर लोगों से सीधा संवाद स्थापित किया है.
यह गणित समझिए
बिहार में 2.97 करोड़ परिवार हैं. नीतीश सरकार अगले महीने से हर परिवार की महिला को 10 हजार रुपये मदद देगी, ताकि वे कोई रोजगार शुरू कर सकें. इसे लौटाने की कोई शर्त सरकार ने नहीं रखी है. अगली किस्त जिन्हें चाहिए, उन्हें सरकार 2 लाख का लोन देगी. इसकी वापसी करनी पड़ेगी. लोन पर कितना ब्याज लगेगा, कितनी सब्सिडी मिलेगी, इस बाबत निर्णय अभी बाकी है. इसी तरह बिजली उपभोक्ताओं को 125 यूनिट फ्री बिजली और सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि बढ़ाकर नीतीश कुमार ने 2 करोड़ से अधिक लोगों को सीधे लाभ पहुंचाया है. सवा करोड़ से अधिक महिलाएं जीविका दीदी के रूप में लाभ उठा रही हैं. बिहार में करीब 8.25 करोड़ मतदाता हैं. इनमें नीतीश सरकार से लाभान्वित होने वालों की संख्या 6 करोड़ से अधिक हो गई है. नीतीश सरकार के इन या ऐसे प्रयासों का एनडीए को कितना चुनावी लाभ मिलेगा, इसका अनुमान लगाया जा सकता है.
योजनाएं और उसका असर
योजना | लाभान्वित संख्या |
महिला रोजगार योजना | 2.97 करोड़ |
125 यूनिट फ्री बिजली | 1.67 करोड़ |
पेंशन में 800 की वृद्धि | 1.11 करोड़ |
जीविका दीदी का नेटवर्क | 1.25 करोड़ |
एनडीए को फायदा!
नीतीश कुमार सरकार के कल्याणकारी प्रयासों का एनडीए को बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में काफी फायदा मिलने की संभावना है. हालांकि यह लाभ पूर्ण रूप से निर्भर करेगा कि ये योजनाएं कितनी प्रभावी ढंग से लागू होती हैं और विपक्ष (महागठबंधन) कितना मजबूत काउंटर-नैरेटिव बना पाता है. बिहार की राजनीति जाति-आधारित गठबंधनों, विकास और कल्याण पर टिकी हुई है. नीतीश कुमार की महिला-केंद्रित व महिला सशक्तिकरण वाली योजनाएं लंबे समय से उनकी ताकत रही हैं.
नीतीश कुमार ने हाल के महीनों में (जून-जुलाई-अगस्त 2025) कई बड़े ऐलान किए हैं, जो मुख्य रूप से महिलाओं, गरीबों, बुजुर्गों और ग्रामीण उपभोक्ताओं को लक्षित करते हैं. ये योजनाएं चुनावी लाभ के लिए डिजाइन की गई लगती हैं. बिहार में महिलाएं (करीब 4 करोड़ मतदाता) हैं. इनमें गरीब तबके (EBC, SC/ST, OBC) की मतदाताओं का बड़ा हिस्सा हैं. करीब 6 करोड़ से अधिक लोग इन योजनाओं से लाभान्वित हो चुके हैं, जो कुल मतदाताओं के 72% से ज्यादा है.
महिलाओं पर मेहरबान
सभी जानते हैं कि नीतीश कुमार ने शुरू से ही महिलाओं के सशक्तिकरण पर ध्यान दिया है. उनके लिए तरह-तरह की योजनाएं उन्होंने बनाईं और काफी हद तक उन पर सही ढंग से अमल भी हुआ है. महिलाओं के लिए नीतीश कुमार की ताजा स्कीम मुख्यमंत्री महिला रोजगार योजना के तहत हर परिवार की एक महिला को 10 हजार रुपये की सहायता. हर परिवार की एक महिला को रोजगार शुरू करने के लिए 10,000 रुपये की पहली किस्त (बिना वापसी की शर्त के) साथ दी जाएगी. 6 महीने बाद मूल्यांकन पर 2 लाख तक अतिरिक्त सहायता (लोन के रूप में, ब्याज/ सब्सिडी पर निर्णय बाकी) मिलेगी. इसमें 2.97 करोड़ परिवार कवर होंगे. करीब 1.25 करोड़ से अधिक जीविका दीदियां पहले से ही नीतीश सरकार की योजनाओं का लाभ ले रही हैं.
यह योजना नीतीश के कोर वोट बैंक (महिलाएं) को मजबूत करेगी. 2020 चुनाव में NDA ने महिलाओं के बीच 50%+ वोट शेयर हासिल किया था. हालिया सर्वे (India Today-CVoter, अगस्त 2025) में NDA का वोट शेयर 50% है, जबकि INDIA का 44%. यह योजना 5-7% वोट स्विंग दे सकती है, खासकर EBC और OBC महिलाओं में. हालांकि विपक्ष (तेजस्वी यादव) इसे ‘चुनावी जुमला’ बता रहा है, क्योंकि कार्यान्वयन सितंबर 2025 से शुरू होगा.
125 यूनिट फ्री बिजली
इस योजना की जुलाई 2025 में घोषणा हुई और यह 1 अगस्त 2025 से लागू है. इससे 1.67 करोड़ परिवारों को लाभ मिल रहा है. कुल 1.86 करोड़ घरेलू उपभोक्ताओं में से 90% लाभ के दायरे में हैं. यानी ग्रामीण गरीब इस योजना से लाभान्वित हो रहे हैं. बिजली बिलों पर औसतन 500-800 रुपये की बचत हो रही है. ग्रामीण बिहार में जहां बिजली की समस्या पुरानी है, यह योजना नीतीश को ‘विकास पुरुष’ के रूप में मजबूत करेगी. 2020 में NDA का ग्रामीण वोट शेयर 40% था, नीतीश की योजनाओं के प्रभाव से यह 45-50% तक बढ़ सकता है. लेकिन विपक्ष इसे RJD की 200 यूनिट फ्री बिजली वादे की नकल बता रहा है.
सामाजिक सुरक्षा पेंशन
नीतीश कुमार ने जून 2025 में सामाजिक सुरक्षा पेंशन की राशि 400 से बढ़ाकर 1,100 रुपये मासिक कर दी. जुलाई 2025 से यह लागू है. 1.11 करोड़ लाभार्थी (बुजुर्ग, विधवा, दिव्यांग) इसके दायरे में आते हैं. बुजुर्ग वोटर (करीब 20% मतदाता) NDA के पक्ष में खड़े हो सकते हैं. 2020 में NDA ने बुजुर्गों में 55% वोट हासिल किया था. यह योजना SC/ST और EBC को साधेगी, जहां NDA पहले से मजबूत है. पहले जहां 400 रुपये की मामूली राशि का भी लोग इंतजार करते थे, अब वह राशि तकरीबन तिगुनी बढ गई है तो इसके प्रभाव का अनुमान लगाया जा सकता है.
NDA को होगा लाभ!
हालिया सर्वे (India Today-CVoter, अगस्त 2025) में NDA के वोट शेयर 50% (130-140 सीटों), INDIA के 44% (90-100 सीटों) का अनुमान लगाया गया है. वर्ष 2020 में NDA का वोट शेयर 37% था. नीतीश सरकार की लोकलुभावन योजनाओं-घोषणाओं से वोट शेयर में 5-10% का स्विंग हो सकता है. महिलाओं में NDA का शेयर 55-60% हो सकता है. NDA का सामाजिक गठबंधन भी मजबूत होगा. इसलिए पिछड़ी-अति पिछड़ी और दलित जाति की महिलाएं नीतीश की योजनाओं से अधिक प्रभावित होंगी. नीतीश की योजनाएं महादलित और EBC को बांधे रखेंगी. चिराग पासवान (LJPR) और जीतन राम मांझी (HAM) दलित वोट साधने के लिए तो दलित चेहरे के रूप में पहले से ही एनडीए के साथ हैं.
कार्नायन्वयन बड़ी चुनौती
नीतीश कुमार ने योजनाएं तो अच्छी बनाई हैं और इसका लाभ भी एनडीए को मिलना चाहिए. पर, यह इस बात पर निर्भर करेगा कि योजनाओं का कार्यान्वयन कितना सही ढंग से हो पाता है. अगर या गड़बड़ी हुई तो ये ‘जुमला’ ही साबित होंगी, जैसा विपक्ष आरोप लगा रहा है. नीतीश के बारे में दूसरी नकारात्मक छवि उनकी उम्र (74 वर्ष) और स्वास्थ्य को लेकर बनती है. गठबंधन बदलने का उनका इतिहास युवाओं में असंतोष पैदा कर सकता है. प्रशांत किशोर की जन सुराज युवा/मुस्लिम वोट काट सकती है. इससे 6-10 सीटें प्रभावित होने का अनुमान है.
प्रभात खबर, हिंदुस्तान और राष्ट्रीय सहारा में संपादक रहे. खांटी भोजपुरी अंचल सीवान के मूल निवासी अश्क जी को बिहार, बंगाल, असम और झारखंड के अखबारों में चार दशक तक हिंदी पत्रकारिता के बाद भी भोजपुरी के मिठास ने ब...और पढ़ें
प्रभात खबर, हिंदुस्तान और राष्ट्रीय सहारा में संपादक रहे. खांटी भोजपुरी अंचल सीवान के मूल निवासी अश्क जी को बिहार, बंगाल, असम और झारखंड के अखबारों में चार दशक तक हिंदी पत्रकारिता के बाद भी भोजपुरी के मिठास ने ब...
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First Published :
September 01, 2025, 14:27 IST