Last Updated:August 05, 2025, 15:49 IST
सुप्रीम कोर्ट ने योगी सरकार के 'उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025' पर सवाल उठाए हैं. कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाई और सुनवाई 8 अगस्त तक स्थगित की.

हाइलाइट्स
योगी सरकार का बांके बिहारी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश विवादित.सुप्रीम कोर्ट ने 8 अगस्त तक सुनवाई स्थगित की.सरकार का उद्देश्य मंदिर प्रशासन में पारदर्शिता लाना है.नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार के हालिया कदम पर सुप्रीम कोर्ट ने आंखें तरेरी हैं. सरकार ‘उत्तर प्रदेश श्री बांके बिहारी जी मंदिर ट्रस्ट अध्यादेश, 2025’ लेकर आई. लेकिन सुप्रीम कोर्ट में इस अध्यादेश पर सवाल उठने के बाद विवाद गहरा गया है. चार अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकार को फटकार लगाई थी कि मंदिर से जुड़ी इतनी अहम योजना बिना हितधारकों को सुने क्यों मंजूर की गई. कोर्ट ने सरकार के रवैये को ‘गुप्त तरीका’ बताया और पूछा कि इतनी जल्दबाज़ी क्यों की जा रही है? इस पर, मंगलवार (5 अगस्त) को अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) के.एम. नटराज ने कोर्ट को बताया कि सरकार का उद्देश्य मंदिर के धार्मिक मामलों में हस्तक्षेप करना नहीं है, बल्कि प्रशासन को पारदर्शी और सुव्यवस्थित बनाना है. उन्होंने कहा कि हर हफ्ते लाखों श्रद्धालु मंदिर में आते हैं. ऐसे में मंदिर प्रशासन में पारदर्शिता और जवाबदेही जरूरी है.
अध्यादेश का मकसद क्या है?
राज्य सरकार के मुताबिक, यह अध्यादेश मंदिर की आय और खर्चों पर निगरानी सुनिश्चित करेगा. ट्रस्ट के कामकाज को व्यवस्थित और पारदर्शी बनाएगा. श्रद्धालुओं की सुविधा और सुरक्षा बढ़ाने के लिए जरूरी प्रबंधन सुधार लाएगा. सरकार ने यह भी कहा कि यह अध्यादेश मंदिर की ‘मालिकाना हक’ से जुड़े किसी भी कानूनी विवाद को प्रभावित नहीं करेगा. यह केवल बेहतर संचालन के लिए लाया गया है.
याचिकाकर्ताओं ने क्या कहा?
याचिकाकर्ताओं की ओर से वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल पेश हुए. उन्होंने अध्यादेश की वैधता को चुनौती दी और सुप्रीम कोर्ट से मांग की कि उन्हें भी अपने सुझाव रखने का अवसर दिया जाए. कोर्ट ने यह मांग स्वीकार करते हुए सुनवाई 8 अगस्त तक स्थगित कर दी. याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट से यह भी गुज़ारिश की कि सरकार को बांके बिहारी मंदिर के कॉरिडोर प्रोजेक्ट के लिए ट्रस्ट के फंड का इस्तेमाल करने की अनुमति देने वाला 15 मई का आदेश भी वापस लिया जाए.
सुप्रीम कोर्ट बना सकता है एक निगरानी समिति
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने संकेत दिए कि मंदिर के संचालन और खर्चों की निगरानी के लिए एक स्वतंत्र समिति बनाई जा सकती है. यह समिति हाईकोर्ट के किसी रिटायर्ड जज या वरिष्ठ जिला न्यायाधीश के नेतृत्व में काम करेगी.
मंदिर प्रशासन में बदलाव की जरूरत क्यों?
बांके बिहारी मंदिर एक ऐतिहासिक और अत्यंत लोकप्रिय धार्मिक स्थल है. प्रतिदिन हजारों, और त्योहारों के दौरान लाखों श्रद्धालु यहां दर्शन के लिए पहुंचते हैं. भीड़ और अव्यवस्था की शिकायतें अक्सर सामने आती रही हैं. इसके साथ ही मंदिर की आय और उसके इस्तेमाल को लेकर पारदर्शिता की भी मांग लंबे समय से उठती रही है.
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें
Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 05, 2025, 15:47 IST