Last Updated:November 24, 2025, 15:41 IST
Delhi Vidhan Sabha Fansi Ghar Row: दिल्ली विधानसभा परिसर के कथित फांसी घर के रेनोवेशन पर विवाद इसलिए भड़का क्योंकि AAP सरकार ने इसे ब्रिटिश दौर का हंगिंग चेम्बर बताकर जेलनुमा रूप दिया जबकि मौजूदा सरकार का दावा है कि यह असल में फांसी घर नहीं बल्कि एक टिफिन-रूम था. इसी गलत इतिहास और रेनोवेशन में कथित अनियमितताओं की जांच को लेकर राजनीतिक टकराव और कानूनी लड़ाई चल रही है.
कोर्ट ने राहत देने से मना कर दिया. दिल्ली विधानसभा फांसी घर विवाद: रेनोवेशन में कथित अनियमितताओं को लेकर उठे विवाद ने शुक्रवार को एक बार फिर तूल पकड़ लिया जब दिल्ली हाईकोर्ट ने पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल और उनके डिप्टी रहे मनीष सिसोदिया को फिलहाल कोई अंतरिम राहत देने से साफ मना कर दिया. दोनों नेताओं ने दिल्ली विधानसभा की विशेषाधिकार समिति द्वारा भेजे गए समन को चुनौती दी है, लेकिन अदालत ने स्पष्ट किया कि अभी अंतरिम आदेश पारित करने की कोई जरूरत नहीं दिखती.
कोर्ट किस बात से नाराज
याचिका में कहा गया था कि विशेषाधिकार समिति ने जिस तरीके से नोटिस जारी किया है वह कानून और प्रक्रिया के विपरीत है. विधानसभा की ओर से पेश वरिष्ठ वकील जयंत मेहता ने कोर्ट को बताया कि समिति ने केजरीवाल और सिसोदिया को कई बार उपस्थित होने के लिए कहा लेकिन वे एक बार भी पेश नहीं हुए. इसके जवाब में कोर्ट ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि यदि समिति को प्रक्रिया का पालन करना है तो अब एक और नोटिस जारी किया जाए ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि दोनों को विधिवत अवसर दिया गया है.
‘फिर पेशी का अवसर दें…’
कोर्ट ने अपने आदेश में दर्ज किया कि केजरीवाल और सिसोदिया ने उपस्थिति का पालन नहीं किया है और वे लंबित मामलों तथा कानूनी चुनौतियों के आधार पर पेशी से छूट मांग रहे हैं. हालांकि अदालत ने यह दलील मानने से इंकार कर दिया और कहा कि यह मामला विशेषाधिकार समिति के दायरे में आने वाली जांच से जुड़ा है. लिहाजा अदालत इस चरण में हस्तक्षेप नहीं करेगी. इसी आधार पर अदालत ने अंतरिम राहत देने से इनकार कर दिया. अब इस मामले में अगली सुनवाई 12 दिसंबर को होगी. तब तक विधानसभा की विशेषाधिकार समिति से उम्मीद की जाएगी कि वह ताजा नोटिस जारी करे और दोनों नेताओं को फिर से जवाब और पेशी का अवसर दे.
फांसी घर को लेकर किस बात का विवाद?
फांसी घर दिल्ली विधानसभा भवन के परिसर में है. पिछली AAP सरकार ने 2022 में इसे ब्रिटिश-कालीन हंगिंग चेम्बर के रूप में रेनोवेट किया और इसको जेल जैसा बनाया और जेल बार, फंदे, स्वतंत्रता सेनानी की तस्वीरे आदि लगाईं. लेकिन वर्तमान बीजेपी सरकार कह रही है कि यह गैलोज रूम असल में कभी कोई फांसी का कमरा नहीं था बल्कि ब्रिटिश समय का एक टिफिन-रूम (खाने का कमरा/सेवा लिफ्ट) था. इसी गलतबयानी और इतिहास में विकल्पित विकृति को लेकर राजनीतिक विवाद और जांच चल रही है.
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...और पढ़ें
पत्रकारिता में 14 साल से भी लंबे वक्त से सक्रिय हूं. साल 2010 में दैनिक भास्कर अखबार से करियर की शुरुआत करने के बाद नई दुनिया, दैनिक जागरण और पंजाब केसरी में एक रिपोर्टर के तौर पर काम किया. इस दौरान क्राइम और...
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First Published :
November 24, 2025, 15:41 IST

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