Last Updated:November 24, 2025, 15:47 IST
विवाह पंचमी के मौके पर राम मंदिर के शिखर पर प्रधानमंत्री द्वारा ध्वजारोहण का कार्यक्रम किया जाएगा. इस दिव्य ध्वज पर त्रेतायुग के तीन मुख्य चिन्ह अंकित हैं और यह चिन्ह पूरी सृष्टि के ज्ञान को समेटे हुए हैं. रामलला का ध्वज एक ऐसा संदेश देता है जिसमें आध्यात्मिकता, शक्ति, संतुलन और जीवन का संपूर्ण ज्ञान शामिल है. आइए जानते हैं इसका महत्व...

Vivah Panchami Ram Mandir Dhwajarohan 2025 Abhijeet Muhurat: विवाह पंचम के मौके पर रामलला मंदिर के शिखर पर ध्वजारोहण का कार्यक्रम किया जाएगा, जो मंदिर की पूर्णता को दर्शाएगा. मार्गशीर्ष मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को राजकुमार राम और राजकुमारी जानकी का विवाह हुआ था. इसलिए इस तिथि को विवाह पंचमी का पर्व मनाया जाता है. विवाह पंचमी के मौके पर अयोध्या में एक बार फिर बेहद खास और आध्यात्मिक क्षण बनने जा रहा है. मान्यता है कि भगवान राम का जन्म अभिजीत मुहूर्त में हुआ था और ठीक उसी पवित्र घड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रामलला मंदिर के विशाल शिखर पर दिव्य केसरिया ध्वज फहराने वाले हैं. आइए जानते हैं मंदिर के शिखर पर लगने वाले ध्वज पर अंकित चिन्ह का मतलब क्या है…
अभिजीत मुहूर्त में ध्वजारोहण कार्यक्रम
रामलला मंदिर परिसर में इन दिनों हर ओर दीप, पुष्प और जय-घोष की गूंज है. पंचांग के अनुसार, अभिजीत मुहूर्त में किया गया कोई भी शुभ कार्य बेहद मंगलकारी माना जाता है, क्योंकि यही वह समय है जब मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का अवतरण हुआ था. ऐसे शुभ समय में मंदिर के शिखर पर केसरिया ध्वज का फहराया जाना भक्तों के लिए एक ऐतिहासिक और दिव्य प्रतीक माना जा रहा है. स्थानीय पुजारियों के अनुसार, केसरिया ध्वज शक्ति, धर्म, त्याग और विजय का प्रतीक है. जब यह ध्वज मंदिर के शिखर पर लहराएगा, तो माना जा रहा है कि अयोध्या की नई पहचान भक्ति, विरासत और आध्यात्मिकता और भी उज्ज्वल हो जाएगी.
ध्वज में तीन मुख्य प्रतीक
राम मंदिर के शिखर पर लगने वाला ध्वज विशेष पैराशूट फैब्रिक और रेशमी धागों से बनाया गया है, ताकि ध्वज सूर्य, वर्षा और तेज हवा के प्रभाव को सह सके. ध्वज की लंबाई 22 फीट और चौड़ाई 11 फीट रखी गई है. इसे मंदिर के शिखर पर लगे 42 फीट ऊंचे ध्वजदंड पर फहराया जाएगा. यह ध्वज रामायण काल के त्रेता युग में प्रयुक्त ध्वजों की अनुकृति से प्रेरित है. श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के ध्वज का रंग केसरिया होगा. साथ ही ध्वज में तीन मुख्य प्रतीकों ॐ, सूर्य और कोविदार वृक्ष को अंकित किया गया है, जो इसकी सबसे बड़ी विशेषता मानी जा रही है.
ध्वज पर बना ॐ: सृष्टि का पहला नाद
रामलला के ध्वज पर सबसे ऊपर बना ॐ चिह्न ब्रह्मांड के मूल स्वर का प्रतीक माना जाता है. यह वही ध्वनि है, जिससे पूरी सृष्टि की शुरुआत मानी जाती है. ध्वज पर बना यह चिह्न मंदिर आने वाले हर व्यक्ति को याद दिलाता है कि हर शुरुआत, हर प्रार्थना और हर विश्वास का आधार ॐ ही है. ॐ सनातन संस्कृति के अध्यात्म, अनंतत्व और निरंतर गतिशीलता का प्रतीक है.
सूर्य का चिह्न: भगवान राम का सूर्यवंशी वंश
भगवान राम सूर्यवंश से थे इसलिए राम मंदिर के ध्वज पर सूर्य का चिन्ह केवल सजावट नहीं, बल्कि उस वंश की महान परंपरा का संकेत है, जो शौर्य, तेज और पराक्रम की ऊर्जा दर्शाता है. सूर्य को ऊर्जा, प्रकाश, सत्य और न्याय का प्रतीक माना जाता है, ये चारों गुण राम के चरित्र में भी दिखाई देते हैं. सूर्य का यह चिह्न बताता है कि अंधकार कितना भी गहरा हो, राम नाम का प्रकाश हमेशा मार्ग दिखाएगा.
कोविदार वृक्ष: राज सत्ता का प्रतीक
त्रेता युग के कोविदार वृक्ष का उल्लेख वाल्मीकि रामायण में, विशेष रूप से अयोध्या कांड में कई बार मिलता है. कोविदार को पहला हाइब्रिड पेड़ माना जाता है, जिसे पौराणिक काल में कश्यप ऋषि ने बनाया था. कोविदार वृक्ष त्रेतायु में अयोध्या का राजवृक्ष था, जिसे उस समय ध्वज पर अंकित किया गया था. इसे शांति, वैराग्य, औषधीय शक्ति और समृद्धि का वृक्ष माना जाता है. ध्वज पर इसका चित्र यह दर्शाता है कि भगवान राम का आशीर्वाद केवल आध्यात्मिक शक्ति ही नहीं देता, बल्कि जीवन में स्थिरता, स्वास्थ्य और संतुलन भी प्रदान करता है.
ध्वज का पूरा अर्थ क्या है?
अगर इन तीनों प्रतीकों को साथ रखकर समझें तो…
ॐ – ब्रह्मांड का आधार
सूर्य – प्रकाश और न्याय
कोविदार – समृद्धि और शांति
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प...और पढ़ें
मैं धार्मिक विषय, ग्रह-नक्षत्र, ज्योतिष उपाय पर 8 साल से भी अधिक समय से काम कर रहा हूं। वेद पुराण, वैदिक ज्योतिष, मेदनी ज्योतिष, राशिफल, टैरो और आर्थिक करियर राशिफल पर गहराई से अध्ययन किया है और अपने ज्ञान से प...
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First Published :
November 24, 2025, 15:47 IST

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