प्रशांत से अफ्रीका तक भारत का समुद्री जाल, दुश्मन की हर चाल कैसे होगी फेल?

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Last Updated:November 06, 2025, 17:24 IST

Indian Navy Plan: भारतीय नौसेना ने अक्टूबर 2025 में अदन की खाड़ी से लेकर अफ्रीकी तटों और इंडो-पैसिफिक तक अपनी रणनीतिक उपस्थिति बढ़ाई. ‘सागर’ नीति के तहत भारत ने सुरक्षा तैनाती, प्रशिक्षण सहयोग और पोर्ट कॉल के जरिए समुद्री क्षेत्र में अपनी ताकत का प्रदर्शन किया. यह अभियान भारत को क्षेत्रीय ‘सुरक्षा प्रदाता’ के रूप में स्थापित करता है.

प्रशांत से अफ्रीका तक भारत का समुद्री जाल, दुश्मन की हर चाल कैसे होगी फेल?अदन की खाड़ी, अफ्रीकी तटों और इंडो-पैसिफिक में भारतीय नौसेना की सक्रिय तैनाती ने भारत की ‘सागर’ नीति को नई ऊंचाई दी. (AI फोटो)

नई दिल्ली: हिंद महासागर से लेकर अफ्रीकी तटों और इंडो-पैसिफिक क्षेत्र तक, भारतीय नौसेना ने अक्टूबर 2025 में अपनी रणनीतिक उपस्थिति और साझेदारियों के जरिए यह स्पष्ट कर दिया कि समुद्री शक्ति के मोर्चे पर भारत अब “महाशक्ति” की भूमिका निभाने को तैयार है. अदन की खाड़ी में सुरक्षा तैनाती, अफ्रीकी देशों के साथ प्रशिक्षण सहयोग और दक्षिण-पूर्व एशिया में पोर्ट कॉल के जरिए भारत ने न सिर्फ अपनी “सागर (SAGAR – Security and Growth for All in the Region)” नीति को जमीन पर उतारा, बल्कि अपने सहयोगियों को यह संदेश भी दिया कि हिंद महासागर अब भारत के प्रभाव क्षेत्र में मजबूती से शामिल है.

यह सक्रियता सिर्फ शक्ति प्रदर्शन नहीं बल्कि समुद्री सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता के प्रति भारत की बढ़ती प्रतिबद्धता का प्रतीक है. डकैती-रोधी अभियानों, मानवीय सहायता मिशनों और द्विपक्षीय समुद्री अभ्यासों ने भारत को क्षेत्र का ‘विश्वसनीय सुरक्षा भागीदार’ बना दिया है.

अदन की खाड़ी में सुरक्षा कवच

अदन की खाड़ी और पश्चिमी हिंद महासागर में भारतीय नौसेना ने अपनी दीर्घकालिक गश्त जारी रखी. यह क्षेत्र अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए बेहद अहम है, लेकिन समुद्री डकैती की घटनाओं से अक्सर अस्थिर रहता है. भारतीय युद्धपोत लगातार इस क्षेत्र में गश्त करते रहे ताकि किसी भी तरह की डकैती या समुद्री खतरे को रोका जा सके. नौसेना की टीमें जिबूती और सोमालिया के तटों के पास भी मौजूद रहीं ताकि जरूरत पड़ने पर व्यापारिक जहाजों को तत्काल सहायता दी जा सके.

अफ्रीकी तटों पर मजबूत साझेदारी

अक्टूबर में अफ्रीका भारत की नौसैनिक कूटनीति का अहम केंद्र रहा. केन्या के नौसेना प्रमुख मेजर जनरल पॉल ओवौर ओटिएनो की भारत यात्रा दोनों देशों के रक्षा संबंधों को नई ऊंचाई पर ले गई. इसके साथ ही भारत के प्रथम प्रशिक्षण स्क्वाड्रन (1TS) ने केन्या के मोंबासा बंदरगाह पर पोर्ट कॉल किया, जिससे प्रशिक्षण और क्षमता निर्माण में नया अध्याय जुड़ा. यह भारत-अफ्रीका सहयोग का मजबूत संकेत माना जा रहा है.

इंडो-पैसिफिक में ‘सागर’ रणनीति की गूंज

पश्चिम में अफ्रीका पर फोकस के साथ-साथ भारत का पूर्वी नौसैनिक बेड़ा भी सक्रिय रहा. दक्षिण-पूर्व एशिया में भारतीय नौसेना ने कई पोर्ट कॉल और संयुक्त अभ्यास किए. इन मिशनों का मकसद इंडो-पैसिफिक में मुक्त, खुला और समावेशी समुद्री क्षेत्र सुनिश्चित करना था. भारत के मित्र देशों के साथ हुए अभ्यासों में समुद्री युद्धाभ्यास, संचार सहयोग और आपातकालीन प्रतिक्रिया अभ्यास शामिल रहे.

‘सागर’ नीति का सफल विस्तार

भारतीय नौसेना की यह बहु-दिशात्मक रणनीति इस बात का प्रमाण है कि नई दिल्ली अब अपने समुद्री पड़ोस में सिर्फ एक सहभागी नहीं, बल्कि एक सुरक्षा प्रदाता (Net Security Provider) के रूप में उभर रही है. भारत की यह ‘नीली ताकत’ न सिर्फ अपने हितों की रक्षा कर रही है बल्कि हिंद महासागर क्षेत्र में संतुलन बनाए रखने में भी अहम भूमिका निभा रही है.

Sumit Kumar

Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें

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First Published :

November 06, 2025, 17:24 IST

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