Last Updated:September 01, 2025, 13:51 IST
Bihar Chunav: बिहार चुनाव से पहले जन सुराज पार्टी को 94 साल के उस समाजवादी नेता का साथ मिल गया है, जिसने लालू यादव कैबिनेट रहते हुए चारा घोटाले से जुड़े एक फाइल पर साइन करने से मना कर दिया था. लालू यादव की राजन...और पढ़ें

पटना. बिहार चुनाव से पहले उन किस्से-कहानियों की चर्चा होने लगती है, जो कहीं न कहीं किसी बड़े राजनेता या पार्टी से जुड़ी होती हैं. लेकिन अगर किस्सा आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के राजनीतिक करियर और फिर उसकी बर्बादी से जुड़ा हो तो हर कोई इसे पढ़ना जरूर चाहता है. कभी एक तस्वीर अचानक सामने आने से उससे जुड़ी यादें और किस्से-कहानियां याद आने लगती है. पिछले दिनों ‘जन सुराज’ के सोशल मीडिया पर एक पोस्ट देखकर लोगों के मन में अचानक ही उस शख्स से जुड़ी यादें याद आने लगी. दरअसल, पीके अपनी यात्रा के बीच बेगूसराय पहुंचे तो उन्होंने एक ऐसे शख्स से मुलाकात की, जिनकी ईमानदारी की मिसाल चारा घोटाले के उजागर होने के समय पर दी जा रही थी. पीके के बगल में बैठा यह शख्स वैसे तो उम्र के 94वें साल में प्रवेश कर चुके हैं, लेकिन उनकी याद्दाश्त अभी भी काफी तेज है. पीके के बगल में बैठा यह शख्स कोई मामूली आदमी नहीं है, बल्कि वह व्यक्ति है जिसने आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव के राजनीतिक करियर में आखिरी कील ठोकने का काम किया था.
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बिहार का यह दिग्गज नेता 90 के दशक में जनता दल का प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ कई बार विधायक, सांसद और मंत्री भी रह चुके हैं. इस शख्स का नाम राम जीवन सिंह है और जाति से भूमिहार हैं. बेगूसराय के चेरियाबरियारपुर से कई बार विधायक और लालू यादव के कैबिनेट में कृषि और पशुपालन मंत्री रह चुके हैं. पशुपालन मंत्री रहते 90 के दशक में उन्होंने एक फाइल पर साइन करने से मना कर दिया था, जिस पर लालू यादव ने फाइल अपने पास मंगा ली. यहीं से चारा घोटाले की शुरुआत की कहानी शुरू होती है.
पीके के बगल में बैठा शख्स कौन है?
रामजीवन सिंह को करीब से जानने वाले एक शख्स कहते हैं, ‘ रामजीवन सिंह के पशुपालन मंत्री रहते उनके पास एक फाइल आया. अपनी व्यस्तताओं की वजह से वह दो दिनों तक फाइल नहीं देख पाए. इस बीच पशुपालन माफियाओं ने उनके पीए चंद्र प्रकाश जी (मृ्त्यु हो चुकी है) से संपर्क कर दो करोड़ रुपये का ऑफर किया. सिंह को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने अपने पीए से कहा था कई विधायक और साधु यादव भी इस फाइल के सिलसिले में बात कर चुके हैं. जब उन्होंने वह फाइल देखा तो उसमें काफी अनियमतिताएं मिलीं. क्योंकि केंद्र सरकार का फंड आता था तो उस फाइल पर उन्होंने अपना कोट लिख दिया कि क्योंकि केंद्र से फंड आता है इसलिए किसी केंद्रीय एजेंसी से इसकी जांच करवाई जाए. इसमें काफी भ्र्ष्टाचार नजर आ रहा है.‘
लालू यादव का राजनीतिक करियर
कहा जाता है कि इसके बाद लालू यादव ने वह फाइल मंगा ली. बाद में रामजीवन सिंह चारा घोटाले में सरकारी गवाह बन गए औऱ पशुपालन विभाग के उस फाइल पर लिखी रामजीवन सिंह के कोट ने लालू यादव को सलाखों के पीछे पहुंचा दिया, जिससे आजतक वह बाहर नहीं आए हैं. ऐसे में बिहार की राजनीति में एक समाजवादी योद्धा और चारा घोटाले में निर्णायक भूमिका निभाने वाले शख्स का पीके को साथ मिल गया है. हो सकता है चारा घोटाले से जुड़े किस्से पीके आने वाले दिनों में एक-एक कर और सार्वजनिक करें.
रामजीवन सिंह का चारा घोटाले में लालू प्रसाद यादव के खिलाफ निर्णायक भूमिका निभाना और उनका लंबा राजनीतिक सफर उन्हें इस संदर्भ में प्रासंगिक बनाता है. सिंह बिहार के उन नेताओं में से हैं, जिन्होंने समाजवादी आंदोलन के दौर में अपनी राजनीतिक पारी शुरू की. 1970 और 1980 के दशक में जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में चले आंदोलन ने उन्हें प्रेरित किया. वे जनता दल के शुरुआती नेताओं में से थे और बिहार में सामाजिक न्याय की राजनीति के प्रबल समर्थक रहे. उनकी सादगी और जनता के बीच उनकी पहुंच ने उन्हें एक विश्वसनीय नेता बनाया. वे कई बार विधायक चुने गए और लालू यादव की सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में भी कार्य किया. उनके मंत्रालयों में उनकी कार्यशैली और ईमानदारी की हमेशा सराहना हुई.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
September 01, 2025, 13:23 IST