Last Updated:July 14, 2025, 13:48 IST
Supreme Court News: पति और पत्नी के बीच प्राइवेट बातचीत की रिकॉर्डिंग को कोर्ट में सबूत के तौर पर पेश किया जा सकता है? सुप्रीम कोर्ट ने इसपर बड़ा फैसला दिया है.

सुप्रीम कोर्ट ने पति-पत्नी के बीच प्राइवेट बातचीत की रिकॉर्डिंग पर बड़ा फैसला दिया है.
हाइलाइट्स
पति-पत्नी के बीच प्राइवेट बातचीत की रिकॉर्डिंग भी सबूतसुप्रीम कोर्ट ने पंजाब-हरियाणा HC के फैसले का किया रद्दशीर्ष अदालत ने फैमिली कोर्ट के आदेश को मना सहीनई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कहा कि वैवाहिक मामलों में पति-पत्नी की गुप्त रूप से रिकॉर्ड की गई बातचीत सबूत के तौर पर स्वीकार्य है. कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी का एक-दूसरे पर नजर रखना इस बात का सबूत है कि उनकी शादी मजबूत नहीं चल रही है और इसलिए इसका इस्तेमाल न्यायिक कार्यवाही में किया जा सकता है. सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस बीवी नागरत्ना और जस्टिस सतीश चंद्र शर्मा की पीठ ने एक मामले में पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के फैसले को रद्द कर दिया. हाईकोर्ट ने कहा था कि पति-पत्नी के बीच गुप्त बातचीत एविडेंस एक्ट की धारा 122 के तहत सुरक्षित है और इसका इस्तेमाल ज्यूडिशियल प्रोसीडिंग में नहीं किया जा सकता.
हाईकोर्ट के आदेश को रद्द करते हुए सुप्रीम कोर्ट की पीठ ने निचली अदालत के आदेश को बहाल रखा और कहा कि वैवाहिक कार्यवाही के दौरान रिकॉर्ड की गई बातचीत को संज्ञान में लिया जा सकता है. पीठ ने फैमिली कोर्ट से कहा कि वह रिकॉर्ड की गई बातचीत का न्यायिक संज्ञान लेने के बाद मामले को आगे बढ़ाए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पति-पत्नी द्वारा एक-दूसरे की बातचीत रिकॉर्ड करना अपने आप में इस बात का सबूत है कि उनकी शादी मजबूती से नहीं चल रही है और इसलिए इसका इस्तेमाल न्यायिक कार्यवाही में किया जा सकता है.
हाईकोर्ट का फैसला
धारा 122 विवाह के दौरान कम्यूनिकेशन से संबंधित है और कहती है कि कोई भी व्यक्ति जो विवाहित है या रहा है, उसे विवाह के दौरान किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा किए गए किसी भी बातचीत का खुलासा करने के लिए बाध्य नहीं किया जाएगा जिससे वह विवाहित है या रहा है. यह मामला बठिंडा के एक फैमिली कोर्ट के फैसले पर आधारित है, जिसने पति को क्रूरता के दावों के समर्थन में अपनी पत्नी के साथ फोन कॉल की रिकॉर्डिंग वाली एक कॉम्पैक्ट डिस्क (सीडी) का सहारा लेने की अनुमति दी थी. पत्नी ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती दी और तर्क दिया कि रिकॉर्डिंग उसकी जानकारी या सहमति के बिना की गई थी. यह प्राइवेसी के उसके मौलिक अधिकार का उल्लंघन करती है.
हाईकोर्ट ने स्वीकार की थी पत्नी की याचिका
हाईकोर्ट ने पत्नी की याचिका स्वीकार कर ली और साक्ष्य को अस्वीकार्य करार देते हुए कहा कि गुप्त रिकॉर्डिंग निजता का स्पष्ट उल्लंघन है और कानूनी रूप से अनुचित है. हालांकि, जस्टिस नागरत्ना इस रुख से असहमत थीं. उन्होंने कहा, ‘कुछ तर्क दिए गए हैं कि इस तरह के साक्ष्य की अनुमति देने से घरेलू सौहार्द और वैवाहिक संबंध खतरे में पड़ जाएगा, क्योंकि इससे पति-पत्नी पर जासूसी को बढ़ावा मिलेगा, जिससे एविडेंस साक्ष्य अधिनियम की धारा 122 का उल्लंघन होगा.’ उन्होंने आगे कहा, ‘हमें नहीं लगता कि इस तरह की दलील विचारणीय है. जब शादी ऐसे स्तर पर पहुंच गई है, जहां पति या पत्नी एक दूसरे पर सक्रियता से नजर रख रहे हैं, यह अपने आप में रिश्ता तोड़ने का लक्षण है. यह उनके प्रति विश्वास की कमी की ओर संकेत करता है.’
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
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