Last Updated:July 21, 2025, 12:35 IST
अगर आप भगवान शिव की नटराज प्रतिमा देखेंगे तो उसमें उनके पैरों के नीचे एक दानव को दबा देखेंगे. आखिर ये बौना दानव कौन है. इसे भगवान शिव ने क्यों दबा दिया है.

हाइलाइट्स
अप्समार दानव अज्ञान, अहंकार और भ्रम का प्रतीक हैशिव ने अप्समार को पैर के नीचे दबाकर नियंत्रित कियाचिदम्बरम मंदिर में शिव की नटराज मुद्रा की प्रतिमा हैक्या आपने कभी भगवान शिव की नटराज मुद्रा गौर से देखी है. अगर नहीं तो इसे तस्वीरों में आराम से देख सकते हैं. नटराज मुद्रा में भगवान शिव द्वारा किया गया नृत्य रूप बहुत प्रसिद्ध है. शिव तांडव नृत्य करते हैं और नृत्य करते हुए अपने दाएं पैर के नीचे एक बौने आकार के दानव को दबा लेते हैं. तब ये वहीं दबा है. निकल ही नहीं पाया. आखिर ये दैत्य कौन है और क्यों भगवान शिव ने उसको पैर के नीचे दबा दिया.
इसके पीछे एक पूरी रोचक कहानी है. जिसको हम आपको आगे बताएंगे. इससे पहले ये जान लें कि भगवान शिव का “नटराज” रूप कितना प्रसिद्ध है. इस रूप में शिव तांडव नृत्य करते हैं – एक पवित्र और सृजनात्मक विनाश का नृत्य. दुनियाभर में भगवान शिव की नटराज प्रतिमा बहुत प्रसिद्ध है. दुनिया की सबसे बड़ी प्रयोगशाला में भी ये प्रतिमा लगी हुई है.
इस मूर्ति में शिव के दाएं पैर के नीचे एक बौने आकार का प्राणी दबा हुआ है, जिसका नाम है “अप्समार”. यह केवल एक शारीरिक चित्रण नहीं, बल्कि गहरे दार्शनिक और आध्यात्मिक अर्थों से भरा हुआ प्रतीक है.
हम आपको आगे इस बौने दानव के बारे में बताएंगे, जिसका नाम अप्समार था. उससे पहले बस इतना जान लीजिए भगवान शिव का नटराज रूप क्यों दुनिया भर में बहुत प्रसिद्ध है. इस मुद्रा की प्रतिमाएं दुनियाभर में बहुत लोकप्रिय हैं. नटराज की प्रतिमा भारतीय मूर्तिकला के बेहतरीन उदाहरणों में एक मानी जाती है. इसे चोल काल की कांस्य धातु से बनाया गया था.
नटराज मतलब नृत्य का राजा
नटराज को “नृत्य का राजा” माना जाता है. भारतीय शास्त्रीय नृत्य शैलियों विशेषकर भरतनाट्यम, में नटराज मुद्रा का अत्यधिक महत्व है. भारत सरकार और विभिन्न सांस्कृतिक संगठन नटराज की मूर्तियों को दुनिया भर के प्रमुख संस्थानों और देशों को उपहार के रूप में देते रहे हैं.
अप्समार ने ब्रह्मा से वरदान पाया
अब जानते हैं अप्समार दानव की कहानी. पुराणों के अनुसार, अप्समार एक राक्षस या असुर है, जो अज्ञान, अहंकार और भ्रम का प्रतीक है. वो ऐसी शक्ति है जो आत्मज्ञान और विवेक को खत्म कर देता है. प्राचीन काल में अप्समार ने घोर तपस्या करके ब्रह्मा से वरदान पाया कि उसे कोई देवता, मनुष्य या राक्षस मार नहीं सकेगा.
वह देवताओं और ऋषियों को परेशान करने लगा
ये वरदान मिलते ही वह अहंकार से भर गया. देवताओं, ऋषियों और साधकों को परेशान करने लगा. उसका असर इतना घातक था कि वह लोगों की बुद्धि और विवेक को निगल जाता था, जिससे वे पाप, मोह और अज्ञान के दलदल में गिरते चले जाते.
तब शिव ने उसको कंट्रोल करने का फैसला किया
देवता उसकी इस शक्ति से भयभीत हो गए. तब वो सभी भगवान विष्णु और फिर भगवान शिव के पास गए. ब्रह्मा का वरदान उसे मारने की अनुमति नहीं देता था, इसलिए शिव ने उसे नष्ट करने की बजाय “नियंत्रण” में लाने का फैसला किया.
चिदम्बरम में हुआ शिव का तांडव नृत्य
भगवान शिव ने चिदम्बरम (तमिलनाडु) में स्थित आकाश तत्व को अपना मंच बनाकर नटराज रूप में तांडव किया. यह नृत्य कोई साधारण नृत्य नहीं था, बल्कि यह आध्यात्मिक ऊर्जा, सृष्टि, संहार और पुनर्जन्म का योग था. इसमें पांच तत्वों की क्रियाएं थीं, जिसमें सृष्टि, संरक्षण, संहार, तिरोभाव ( Illusion), चेतना सभी शामिल थे.
अप्समार शिव के नृत्य को खराब करने की कोशिश में आया
जैसे ही शिव का तांडव नृत्य तेज हुआ, अप्समार वहां आ गया. वह जानबूझकर शिव की अवज्ञा करते हुए मंच के बीच तक आ गया. तब शिव ने अपना एक पैर ऊपर उठाकर नृत्य करते हुए उसे अपने दाएं पैर के नीचे दबा दिया.
शिव ने नृत्य करते हुए ही उसे दबा दिया
शिव ने अप्समार को मारा नहीं, केवल उसको अपने पैर के नीचे दबाया. लेकिन शिव ने ऐसा किया क्यों. क्योंकि अज्ञान रूपी अप्समार को पूरी तरह नष्ट नहीं किया जा सकता था. उसे ब्रह्मा का वरदान हासिल था. जीवन की एक सच्चाई ये भी है कि अगर अज्ञान नष्ट हो गया, तो ज्ञान का भी कोई संदर्भ नहीं बचेगा. इसी वजह से तब से ही भगवान शिव ने उसको हमेशा के लिए अपने पैर के नीचे दबाकर रखा है, वो नियंत्रित है और जीवित भी. अप्समार को मारना नहीं बल्कि केवल दबाना ये भी दिखाता है कि भगवान क्रूर नहीं हैं.
चिदम्बरम मंदिर में नटराज मुद्रा की प्रतिमा
तमिलनाडु के चिदम्बरम मंदिर में भगवान शिव की नटराज मुद्रा की प्रतिमा लगी हुई है. लोग इसके दर्शन करने जाते हैं. इसे शुद्ध स्फटिक (क्रिस्टल) क्वार्ट्ज से बनाया गया है. जिसे तमिल में “स्पदिका लिंगम” कहा जाता है.ये प्रतिमा करीब 3 फीट (90 सेमी) ऊंची है. इस मूर्ति को “चिदंबरम रहस्य” भी कहा जाता है, क्योंकि यहां शिव “आकाश लिंगम” (निराकार रूप) के रूप में भी विद्यमान हैं.
संजय श्रीवास्तवडिप्टी एडीटर
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें
लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...
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