Last Updated:July 21, 2025, 17:42 IST
Karnataka Politics: कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने तीन दिन के मौन की घोषणा कर सियासी हलचल मचा दी. अंदरूनी कलह से जूझ रही कांग्रेस में अब नेतृत्व संघर्ष खुलकर सामने आ गया है.

हाइलाइट्स
डीके शिवकुमार बोले- तीन दिन न कोई मुलाकात, न कोई बयान.100 विधायक बताकर शिवकुमार को CM बनाने की उठी मांग.सिद्धारमैया खेमा अब पीसीसी प्रमुख पद पर कर रहा है वार.Karnataka Politics: कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार ने X पर एक पोस्ट लिखा. इस पोस्ट के बाद देश के सियासी गलियारों में हंगामा मच गया है. सवाल उठने लगा है कि क्या कर्नाटक में कुछ बड़ा होने वाला है. क्योंकि डीके शिवकुमार के अंदर मुख्यमंत्री बनने की चाहत है. उनके इस पोस्ट के कई मायने निकाले जा रहे हैं. उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा, मैं अगले तीन दिनों तक किसी भी सार्वजनिक कार्यक्रम, पार्टी कार्यकर्ताओं या नेताओं से नहीं मिलूंगा. हुई असुविधा के लिए क्षमा चाहता हूं. उनका यह पोस्ट ऐसे समय में आया जब कर्नाटक कांग्रेस अंदरूनी खींचतान के चरम पर है, यह घोषणा किसी राजनीतिक ‘साइलेंस’ से कहीं ज़्यादा गहरी कहानी कह रही है.
तीन दिन की सार्वजनिक अनुपस्थिति केवल एक ‘व्यक्तिगत फैसला’ नहीं दिखती. यह उस सियासी रणनीति का हिस्सा हो सकती है जिसमें वक्त, दूरी और चुप्पी का इस्तेमाल ताकतवर दांव के रूप में होता है. और अगर सियासत के संकेत पढ़ने का हुनर हो तो यह ‘तीन दिन’ आने वाले महीनों की राजनीतिक दिशा तय कर सकते हैं.
I will not be available for any public engagements, including meetings with the public, party workers, or leaders, for the next three days starting tomorrow.
I sincerely regret any inconvenience this may cause and thank you for your understanding.
कांग्रेस की रगों में उतरती अंदरूनी लड़ाई
कर्नाटक कांग्रेस में जारी शक्ति संघर्ष अब व्यक्तिगत से संस्थागत बन चुका है. यह विवाद उस वक्त खुले तौर पर उभरा जब रामनगर से कांग्रेस विधायक इकबाल हुसैन ने दावा किया कि लगभग 100 विधायक डीके शिवकुमार को मुख्यमंत्री बनाना चाहते हैं. यह दावा सीधा मुख्यमंत्री सिद्धारमैया की कुर्सी को चुनौती देता था और यह ठीक उसी समय आया जब सिद्धारमैया ने कहा कि वे अपना पूरा कार्यकाल मुख्यमंत्री के रूप में पूरा करेंगे.
यही नहीं डीके शिवकुमार ने हाल ही में दिल्ली के दो दौरे किए. वो भी तब जब पार्टी के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे खुद कर्नाटक के थे और राज्य की राजनीति के हर रंग को करीब से जानते हैं. लेकिन इन बैठकों से शिवकुमार को कोई स्पष्ट समर्थन नहीं मिला. न ही राहुल गांधी ने उन्हें या सिद्धारमैया को मिलने का समय दिया.
सिद्धारमैया की चाल और PCC प्रमुख पद की लड़ाई
सिद्धारमैया ने चतुराई से खेल को “सीएम बदलिए” से “पीसीसी प्रमुख बदलिए” में बदल दिया. अब उनके खेमे का पूरा ध्यान इस पर है कि डीके शिवकुमार को कर्नाटक कांग्रेस अध्यक्ष पद से हटाया जाए. चूंकि यह पद चुनावी रणनीति और संगठनात्मक ताकत का स्रोत है, इसलिए इसे खोना डीकेएस के लिए एक बड़ा झटका होगा.
इस दबाव के बाद डीके शिवकुमार ने अचानक सुर बदलते हुए कहा, “मुख्यमंत्री का बयान उनका व्यक्तिगत विचार है. मैं पार्टी का अध्यक्ष हूं, मेरा काम संगठन को मज़बूत करना है.” यह बयान उनकी बदली रणनीति को दर्शाता है… सियासी मोर्चे पर थोड़ा पीछे हटना लेकिन अंदरखाने पकड़ बनाए रखना.
चुप्पी में छिपा संकेत: लोकसभा हार और ‘तीन दिन की दूरी’
2024 के लोकसभा चुनाव में कर्नाटक में कांग्रेस का प्रदर्शन खराब रहा, खासकर वोक्कालिगा बहुल सीटों पर. यह वही क्षेत्र है जहां से डीके आते हैं और जिसकी जिम्मेदारी उनके ऊपर थी. यहां बीजेपी-जेडी(एस) गठबंधन ने 28 में से 19 सीटें जीत लीं और डीके शिवकुमार के भाई डीके सुरेश भी चुनाव हार गए. इस नतीजे ने उनकी नेतृत्व क्षमता और जातिगत पकड़ दोनों पर सवाल खड़े कर दिए.
ऐसे में डीकेएस की “तीन दिन की अनुपस्थिति” एक सधी हुई रणनीति मानी जा सकती है. न कोई प्रतिक्रिया, न कोई बगावत, सिर्फ चुप्पी. यह चुप्पी पार्टी के अंदर और बाहर दोनों जगहों पर संकेत दे रही है कि वे फिलहाल ‘साइलेंट मोड’ में हैं लेकिन पूरी तरह ‘स्विच ऑफ’ नहीं हुए हैं.
नजरें अब दिल्ली पर
इस पूरे घटनाक्रम में कांग्रेस हाईकमान की भूमिका भी महत्वपूर्ण है. राहुल गांधी और प्रियंका गांधी की चुप्पी और मल्लिकार्जुन खड़गे की दूरी ने स्पष्ट कर दिया है कि दिल्ली फिलहाल कर्नाटक की इस लड़ाई में पक्ष लेने के मूड में नहीं है. शिवकुमार ने भले ही प्रियंका गांधी से अलग से मुलाकात की हो लेकिन उन्होंने अब तक चर्चा के बारे में कुछ नहीं बोला है.
Sumit Kumar is working as Senior Sub Editor in News18 Hindi. He has been associated with the Central Desk team here for the last 3 years. He has a Master's degree in Journalism. Before working in News18 Hindi, ...और पढ़ें
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