MiG-21 की जगह लेगा देसी 'तेजस' MK1A, 200+ KM रेंज, पेट में रखता है 9 मिसाइलें

9 hours ago

Last Updated:July 22, 2025, 23:22 IST

MiG-21 vs Tejas Mk 1A: मिग-21 62 साल बाद भारतीय वायुसेना से विदाई लेगा. उसकी जगह तेजस मार्क-1ए लेगा. राजस्थान के नाल एयरबेस में तैनात अंतिम 36 मिग-21 सितंबर तक रिटायर होंगे.

MiG-21 की जगह लेगा देसी 'तेजस' MK1A, 200+ KM रेंज, पेट में रखता है 9 मिसाइलेंमिग-21 की जगह लेगा तेजस मार्क1ए (फाइल फोटो)

हाइलाइट्स

MiG-21 62 साल बाद भारतीय वायुसेना से रिटायर होगातेजस Mk1A में AESA रडार और डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम हैतेजस Mk1A के पास 9 हार्डपॉइंट और मल्टी-रोल हथियार क्षमता है

नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना का सबसे लंबे समय तक सेवा देने वाले लड़ाकू विमान MiG-21 आखिरकार रिटायर हो रहा है. 62 वर्षों की सर्विस के बाद यह सोवियत-युग का विमान अपनी उड़ान पूरी कर चुका है. इसकी जगह अब स्वदेशी रूप से विकसित हल्का लड़ाकू विमान (LCA) ‘तेजस’ लेगा. ‘तेजस’ तकनीकी रूप से कहीं अधिक उन्नत और भविष्य के लिए तैयार है.

तेजस: 80s में देखा गया एक सपना

तेजस लड़ाकू विमान की योजना 1980 के दशक में बनी थी. 1983 में सरकार ने इसकी परियोजना को मंजूरी दी और 1984 में एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी (ADA) की स्थापना की गई. पहले चरण में सरकार ने इसके लिए 560 करोड़ रुपये स्वीकृत किए और उम्मीद की गई कि 8–10 सालों में यह विमान तैयार हो जाएगा. हालांकि, तकनीकी और प्रशासनिक कारणों से इस परियोजना में तीन दशकों से अधिक का समय लग गया.

तेजस Mk1A: अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस

तेजस Mk1A वर्जन में कई नई खूबियां जोड़ी गई हैं:

AESA रडार: इसमें इज़राइली EL/M-2025 AESA रडार लगाया गया है, जिसे बाद में भारत में विकसित ‘उत्तम’ रडार से बदला जाएगा. यह 200 किलोमीटर से ज्यादा रेंज में कई लक्ष्यों पर नजर रख सकता है.

डिजिटल फ्लाई-बाय-वायर सिस्टम: इससे विमान को बेहद सटीक नियंत्रण मिलता है और यह इलेक्ट्रॉनिक तौर पर उड़ान संचालित करता है.

इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर सिस्टम: इसमें रडार वॉर्निंग रिसीवर और एडवांस्ड सेल्फ प्रोटेक्शन जैमर जैसे आधुनिक सिस्टम लगाए गए हैं, जो दुश्मन की मिसाइलों और रडार से बचाव करते हैं.

मल्टी-रोल हथियार क्षमता: तेजस Mk1A के पास 9 हार्डपॉइंट होंगे, जिन पर BVR मिसाइलें, एयर-टू-एयर और एयर-टू-ग्राउंड मिसाइलें तथा बम लगाए जा सकते हैं.

हालांकि भारतीय वायुसेना ने HAL से तेजस Mk1A के 83 विमान ₹36,468 करोड़ की लागत से ऑर्डर किए हैं, लेकिन डिलीवरी में देरी हो रही है. GE द्वारा निर्मित F-404 इंजन की आपूर्ति भी दो साल पीछे चल रही है.

तेजस बनाम MiG-21

जहां MiG-21 अब पुराना और तकनीकी रूप से पिछड़ा हो चुका है, तेजस एक आधुनिक चौथी पीढ़ी का मल्टी-रोल लड़ाकू विमान है. तेजस न केवल वायुसेना की मारक क्षमता बढ़ाएगा, बल्कि भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में बड़ा कदम है.

तेजस के विकास में समय लगा, लेकिन यह भारत की पहली पूरी तरह स्वदेशी सुपरसोनिक फाइटर जेट है. इसके पीछे HAL, DRDO, ADA और कई वैज्ञानिक संस्थानों की वर्षों की मेहनत है. वर्तमान में भारत के पास 41 स्क्वाड्रनों की आवश्यकता है, लेकिन सिर्फ 31 स्क्वाड्रन सक्रिय हैं. ऐसे में तेजस की समय पर डिलीवरी बेहद जरूरी है, ताकि Mirage-2000, Jaguar और MiG-29 जैसे पुराने विमानों की जगह ली जा सके.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

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