अमेरिका बना रहा नया तालिबान? इजरायल हैरान, क्या है ट्रंप की सीरिया प्लान

9 hours ago

Where is Ahmed al-Sharaa: लेबनान से संचालित कुछ सोशल मीडिया हैंडल्स ने दावा किया है कि सीरिया का राष्ट्रपति अहमद-अल-शारा, सीरिया की राजधानी दमिश्क छोड़कर भाग गया है. दावा ये भी है कि सीरियाई राष्ट्रपति का परिवार भी उनके साथ फरार हो गया है. इन दावों में कहा जा रहा है कि सीरिया में इजरायल की हालिया सैन्य कार्रवाई के डर की वजह से अहमद-अल-शारा राजधानी दमिश्क से फरार हो गया.

एक ऐसा आतंकी कमांडर जिसने सिर्फ तीन महीनों के अंदर, सीरिया की मजबूत सरकार का तख्तापलट कर दिया हो. क्या वो कुछ हवाई हमलों की वजह से राजधानी छोड़ देगा. इसी सवाल की वजह से सोशल मीडिया के दावों पर यकीन करना मुश्किल था. हमने DNA में इस कथित दावे का FACT CHECK किया. आप भी बेहद गौर से पढ़िए, हमारे FACT CHECK का नतीजा क्या निकला?

कहां है शारा?

सोशल मीडिया पर जो दावा किया गया, उसका एक हिस्सा सच है. वाकई सीरियाई राष्ट्रपति अहमद-अल-शारा, सीरिया की राजधानी दमिश्क में नहीं हैं. लेकिन इजरायली डर की जो वजह बताई गई है वो गलत है. दरअसल सीरियाई राष्ट्रपति सऊदी अरब से आए एक व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल से मिलने गए थे. जिसने सुरक्षा कारणों की वजह से दमिश्क की जगह किसी दूसरे शहर में मुलाकात का प्रस्ताव रखा था.

आपको याद होगा जब डोनाल्ड ट्रंप और सीरियाई राष्ट्रपति पहली बार मिले थे, तब भी सऊदी अरब बतौर मध्यस्थ इस मुलाकात का हिस्सा था. मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि सऊदी अरब से जो डेलिगेशन आया, उसने सीरिया से अमेरिकी व्यापारिक हितों पर भी बातचीत की. इस कयास की वजह से एक सवाल उठा, क्या ट्रंप अब मिडिल ईस्ट में एक और तालिबान खड़ा करना चाहते हैं? इन सवालों के पीछे छिपी वजह समझने के लिए आपको ट्रंप के दिमाग में क्या चल रहा है उसे ध्यान से पढ़ना चाहिए.

ट्रंप की सीरिया पॉलिसी

अहमद-अल-शारा से मुलाकात के बाद डॉनल्ड ट्रंप ने सबसे पहले सीरिया पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में ढील दी थी. ट्रंप ने आश्वासन दिया था कि अमेरिकी कंपनियां सीरिया में निवेश करेंगी. इस फैसले के बाद ट्रंप ने अहमद-अल-शारा के संगठन में शामिल विदेशी आतंकियों पर से भी प्रतिबंध हटा दिया था.

सामरिक हलकों के जानकारों की राय है कि मिडिल ईस्ट में ट्रंप तालिबान की तर्ज पर एक ऐसा आतंकी संगठन खड़ा करना चाहते हैं. जो अमेरिका के इशारों पर चले और उसके पास अपनी फंडिंग के भी जरिए हों. ताकि मिडिल ईस्ट में वो ईरान जैसी ताकतों और उनके प्रॉक्सी संगठनों को काबू कर सके. अहमद-अल-शारा का सीरिया ट्रंप के इस प्लान में कैसे फिट बैठता है, ये समझना भी आपके लिए बेहद जरूरी है.

#DNAWithRahulSinha | यूएस ने 'नया तालिबान'...इजरायल का घमासान, ट्रंप के 'तालिबान 3.0' प्लान का DNA टेस्ट

क्या सीरिया का राष्ट्रपति मुल्क छोड़कर भागा ?#DNA #Syria #UnitedStates #DonaldTrump @RahulSinhaTV pic.twitter.com/lIyfV0Dlaj

— Zee News (@ZeeNews) July 22, 2025

तेल का खेल

सीरिया के पास आय का एक प्रमुख स्रोत है उसका तेल भंडार. सीरिया में गृहयुद्ध शुरु होने से पहले सीरिया में प्रतिदिन 4 लाख बैरल तेल का उत्पादन होता था. साल 2014 से 2019 के बीच गृहयुद्ध के चलते तेल का उत्पादन घटकर 34 हजार बैरल प्रतिदिन पर आ गया.

सीरिया में तेल का उत्पादन तकरीबन 92 प्रतिशत तक कम हो चुका है. ट्रंप चाहते हैं कि अमेरिका की मदद से सीरिया दोबारा तेल उत्पादन बढ़ाए ताकि अहमद-अल-शारा वही हैसियत हासिल कर पाएं, जो दक्षिण एशिया में तालिबान की है. लेकिन ट्रंप के इस प्लान में एक बाधा पैदा हो सकती है. ये बाधा है अमेरिका का पुराना मित्र देश इजरायल जिसने हाल ही में सीरिया के सीमावर्ती इलाकों से लेकर राजधानी दमिश्क तक पर बमबारी की थी.

नेतन्याहू का इरादा क्या है?

इजरायल ने सीरिया के अल्पसंख्यक DRUZE मुसलमानों की सुरक्षा का हवाला देकर सीरिया में सैन्य अभियान को अंजाम दिया था. हालांकि अमेरिका द्वारा प्रस्तावित युद्धविराम पर इजरायल ने सहमति भर दी है. लेकिन इस युद्धविराम पर नेतान्याहू के बयान बता रहे हैं कि वो सीरिया और ट्रंप के प्यादे अहमद-अल-शारा को इजरायली ताकत का एहसास कराना चाहते हैं. नेतान्याहू के बयान और इरादे, आपको भी गौर से समझने चाहिए.

अमेरिका के युद्धविराम प्रस्ताव पर नेतान्याहू ने इतने सख्त शब्दों का प्रयोग क्यों किया. इस सवाल का एक ही जवाब है कि इजरायल अपनी सीमा के नजदीक तालिबान जैसी किसी शक्ति का उदय नहीं चाहता. इजरायल आज तक हिज्बुल्ला, हूती और हमास के आतंकियों से लड़ा है, जिनके पास आतंकी और हथियार थे लेकिन अपनी फंडिंग के साधन नहीं. अगर सीरिया में HTS के आतंकियों को तेल के जरिए पैसा कमाने का जरिया मिल गया तो वो तालिबान की तरह मजबूत हो जाएंगे, जो इजरायल की सुरक्षा पर प्रश्न चिन्ह जरूर खड़ा कर देगा.

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