Last Updated:July 21, 2025, 17:35 IST
C-295 TRANSPORT AIRCRAFT: भारतीय वायुसेना मौजूदा चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए मल्टी रोल एयरक्राफ्ट, जिसमें सैनिकों को ले जाने, सामान ले जाने, सामान ड्रॉप करने, घायलों को निकालने, कॉम्बैट फ्री फॉल आदि जैसी सु...और पढ़ें

हाइलाइट्स
नेवी और कोस्ट गार्ड के लिए C-295 की खरीद हो रही है.स्पेन से 15 C-295 विमान भारत आ चुके हैं.C-295 विमान का निर्माण वडोदरा में हो रहा है.C-295 TRANSPORT AIRCRAFT: भारतीय वायुसेना टू फ्रंट वॉर की संभावनाओं के मद्देनजर अपनी तैयारियों को तेजी से पूरा करने में जुटी है। पुराने विमानों को नए विमानों से बदला जा रहा है, जिसमें सबसे पहले 60 के दशक से भारतीय वायुसेना में सेवाएं दे रहे एवरो को बदला जा रहा है. एवरो एक छोटे ट्रांसपोर्टर विमान है और उसकी जगह ले रहा है C-295MW मीडियम लिफ्ट टैक्टिकल एयरक्राफ्ट. वायुसेना के साथ-साथ अब C-295MW की खरीद भारतीय नौसेना और कोस्ट गार्ड के लिए भी की जा रही है. इसी साल इसकी प्रक्रिया भी शुरू हो चुकी है. C-295MW के मरीन वर्जन के लिए RFP यानी रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल 13 मार्च को जारी किया गया था. 15 मार्च 2024 को रक्षामंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई DAC की बैठक में AON को मंजूरी दी गई थी. कुल 15 C-295MW की खरीद की जानी है, जिनमें से 9 एयरक्राफ्ट नेवी के लिए और 6 कोस्टगार्ड के लिए होंगे. इसकी कमर्शियल बिड के सबमिशन डेट दिसंबर 2025 है.
एयरफोर्स को मिल गए 15 C-295MW
भारत सरकार ने स्पेन से 56 नए C-295MW विमानों की खरीद का करार साल 2021 में किया था. खास बात यह है कि इसका निर्माण गुजरात के वडोदरा में किया जा रहा है और इसका पहला स्क्वाड्रन भी वहीं स्थापित किया गया है. इस फैसेलिटी का शिलान्यास प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया और उद्घाटन के मौके पर स्पेन के राष्ट्रपति भी मौजूद थे. भारत में एयरबस का पार्टनर टाटा कंसॉर्टियम है. पहली बार कोई भारतीय प्राइवेट कंपनी मिलिटरी एयरक्राफ्ट भारत में बना रही है. डील के मुताबिक स्पेन से कुल 56 विमान भारतीय वायुसेना के लिए लिए जा रहे हैं, जिनमें से 16 विमान स्पेन से पूरी तरह तैयार होकर फ्लाई वे कंडीशन में भारत आ रहे हैं, जिनमें से 15 अब तक वायुसेना को मिल चुके हैं. इसके अलावा बाकी 40 को लाइसेंस के तहत भारत में बनाया जा रहा है. अगले साल अगस्त-सिंतबर में देश में बना पहला ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एयरफोर्स को मिलने की उम्मीद है.
C-295 की खासियत
इस नए एयरक्राफ्ट की माल ढोने की क्षमता 5 से 10 टन की है, यानी लगभग 70 सैनिकों और पूरे बैटल लोड के साथ 50 पैराट्रूपर को आसानी से ले जा सकता है. इस एयरक्राफ्ट से सैनिक और कार्गो को पैरा ड्रॉप करने के लिए रीयर रैंप डोर भी है. इस एयरक्राफ्ट की खास बात यह है कि यह लो लेवल फ्लाइंग में माहिर है और इसे टैक्टिकल मिशन को अंजाम दे सकता है. यह एयरक्राफ्ट छोटे रनवे से लैंडिंग और टेकऑफ कर सकता है. टेकऑफ महज 670 मीटर से और लैंडिंग 320 मीटर के रनवे पर कर पाने की क्षमता है. चूंकि भारत और चीन से लगती पूरी एलएसी में यह एयरक्राफ्ट आसानी से ऑपरेट कर सकता है. 480 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से 11 घंटे तक उड़ान भर सकता है. इस एयरक्राफ्ट में स्वदेशी इलेक्ट्रॉनिक वॉरफेयर सूट लगा हुआ है. मेडिकल इवेक्यूएशन ऑपरेशन के दौरान इस एयरक्राफ्ट में 24 स्ट्रेचर लगाए जा सकते हैं.
ट्रांसपोर्ट फ्लीट को अपग्रेड करने में जुटी वायुसेना
आने वाले दिनों में जो एयरक्राफ्ट रिटायर होने वाले हैं, उनका विकल्प पहले से ही ढूंढा जा रहा है. C-17 ग्लोबल मास्टर और C-130 सुपर हरक्यूलिस नए एयरक्राफ्ट है, इन्हें तो बदलने की कोई जरूरत नही. जो एयरक्राफ्ट पुराने हो चले है उनमें एवरो जिसे C-295MW से बदला जा रहा है. AN-32 और IL 76 भी पुराने हो चुके हैं. AN-32 साल 2032 के बाद सेना में रिटायर होने शुरू हो जाएंगे, जबकि IL-76 कुछ और साल अपनी सेवाएं देंगे. AN-32 के रिप्लेसमेंट के लिए मीडियम ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट की रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन भी वायुसेना की तरफ से जारी की गई है.