Last Updated:August 01, 2025, 19:17 IST
Railway news- सामान्य रूट में ट्रेन बीचोंबीच ट्रैक पर तभी रुकती है जब उसे सिग्नल नहीं मिलता है. कई बार खराबी होने पर भी ट्रेन बीच ट्रैक पर खड़ी हो जाती है. लेकिन डयूटी खत्म होने ट्रेन स्टाफ ट्रेन छोड़कर चला...और पढ़ें

हाइलाइट्स
नार्वे की है घटनाट्रेन कंडक्टर की ड्यूटी हो गयी थी पूरीपूरी होते ही उतर गया ट्रेन सेनई दिल्ली. ट्रेन अपने गंतव्य की ओर जा रही थी. इसमें बैठे यात्री सफर का आनंद लेते हुए जा रहे थे. अचानक बीच ट्रैक पर ट्रेन रुक गयी. यात्रियों को पहले लगा कि सिग्लन नहीं होने की वजह से ट्रेन रुकी होगी, लेकिन काफी देर तक ट्रेन वहीं खड़ी रही, तब यात्रियों को लगा कि ट्रेन में कोई खराबी आ गयी होगी. आमतौर पर ऐसा होने पर कुछ यात्री उतरकर नीचे आ जाते हैं. जब यात्रियों को इसकी वजह पता चली तो होश उड़ गए. क्योंकि ट्रेन के स्टाफ की ड्यूटी बीच रास्ते में पूरी हो गयी थी. इस वजह से वे ट्रेन छोड़कर घर चले गए. यह मामला भारत का नहीं नार्वे का है.
अपने देश में सफर के दौरान अगर लोको पायलट या गार्ड की ड्यूटी खत्म हो जाती है तो उसे ओवर टाइम मिलता है और ट्रेन को गंतव्य तक पहुंचाकर वो ट्रेन छोड़ता है. बीच रास्ते में इस तरह ट्रेन नहीं छोड़ सकता है. लेकिन नार्वे में हुई इस घटना ने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है. जब शफ्ट खत्म होने पर ट्रेन स्टाफ बीच रास्ते में छोड़कर चला गया.
जाने इसकी असल वजह
नार्वे में श्रम कानून बहुत ही सख्त हैं. ये कानून कर्मचारियों के अधिकारों की रक्षा और ओवर वर्क रोकने के लिए बनाए गए हैं. ट्रेन स्टाफ ने श्रम कानूनों का हवाला देते हुए ट्रेन बीच ट्रैक पर रोक दी और छोड़कर चले गए. इन कर्मियों के खिलाफ कार्रवाई करने की किसी की हिम्मत नहीं है. क्योंकि उन्होंने ट्रेन श्रम कानूनों के तहत छोड़ी है. नार्वे में वर्किंग इनवायरमेंट एक्ट के तहत कर्मचारियों को सुरक्षित वातावरण, काम करने के निश्चित घंटे तय हैं. इस एक्ट के तहत कर्मियों का काम का समय प्रति सप्ताह 40 घंटे या प्रति दिन 9 घंटे होता है. ओवरटाइम के लिए कम से कम 40 फीसदी अतिरिक्त वेतन अनिवार्य है. नियोक्ता को इन कानूनों का सख्ती से पालन कराना होता है. नार्वे की यह घटना सख्त श्रम कानून की ताकत को दर्शाता है.
अपने देश में क्या है नियम
इंडिया में लगातार काम करने वाले कर्मचारियों को प्रति सप्ताह 48 घंटे या रोजाना 8 घंटे ड्यूटी करनी होती है. जरूरत पड़ने पर ओवर टाइम करना पड़ता है. इस श्रेणी में स्टेशन मास्टर, लोको पायलट या गार्ड शामिल हैं.
इन देशों में सख्त हैं नियम
कई अन्य देश हैं जहां पर श्रम कानून बहुत सख्त हैं. इनमें फ्रंास में राइट टू डिस्कनेक्ट कानून है. तय समय तक काम करने के बाद ड्यूटी छोड़ देते हैं. वहीं जर्मनी में अधिकतम काम करने की समय सीमा तय है और सख्ती से पालन होता है. इसी तरह आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड समेत कई देशों में श्रम कानून बहुत सख्त हैं.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 01, 2025, 19:15 IST