Last Updated:August 02, 2025, 06:51 IST
Project-18 Next-Generation Destroyer: भारत डिफेंस सिस्टम को लगातार अपडेट और अपग्रेड कर रहा है. चीन और पाकिस्तान के खतरे को देखते हुए जमीन से लेकर समंदर और आसमान तक को फुलप्रूफ बनाने से जुड़े प्रोजेक्ट में व्...और पढ़ें

हाइलाइट्स
इंडियन नेवी प्रोजेक्ट-18 के तहत नेक्स्ट जेनरेशन डिस्ट्रॉयर डेवलप कर रही हैनेक्स्ट जेनरेशन डिस्ट्रॉयर फाइटर जेट और मिसाइल को इंटरसेप्ट कर सकता हैनेक्स्ट जेनरेशन डिस्ट्रॉयर एक साथ ब्रह्मोस समेत 144 मिसाइल ले जाने में सक्षम हैProject-18 Next-Generation Destroyer: ग्लोबल लेवल पर कई हिस्सों में सशस्त्र संघर्ष चल रहा है. इससे एक तरफ जहां दुनिया तकरीबन दो खेमों में बंटी नजर आ रही है तो वहीं दूसरी तरफ कटिंग एज वेपन हासिल करने की होड़ से मची हुई है. रूस-यूक्रेन, इजरायल-हमास और अब थाईलैंड-कंबोडिया के बीच सैन्य टकराव ने हर छोटे बड़े देश को अपने डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने के लिए मजबूर कर दिया है. पहलगाम अटैक के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच भी टकराव हुआ. देश की सीमा एक तरफ पाकिस्तान तो दूसरी तरफ चीन से लगती है. इन दोनों देशों का भारत के प्रति व्यवहार और रवैये से पूरी दुनिया वाकिफ है. भारत भी इस बात को अच्छी तरह से समझता है. यही वजह है कि भारत सेना के तीनों अंगों (इंडियन नेवी, इंडियन आर्मी और इंडियन एयरफोर्स) को लगातार अपग्रेड करने में जुटा है. इसके तहत इंडियन नेवी प्रोजेक्ट-18 के तहत नेक्स्ट जेनरेशन डिस्ट्रॉयर डेवलप करने में जुटी है. यह डिस्ट्रॉयर ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल समेत 144 मिसाइल को ले जाने में सक्षम है.
इंडियन नेवी भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए एक नया अध्याय रचने जा रही है. प्रोजेक्ट 18 के तहत भारत अपनी अब तक की सबसे बड़ी और सबसे अत्याधुनिक विध्वंसक युद्धपोत (destroyer) की सीरीज विकसित कर रहा है, जो न केवल आकार में मौजूदा विशाखापट्टनम-क्लास से बड़ी होगी, बल्कि तकनीकी दृष्टि से भी कई गुना ज्यादा सक्षम होगी. करीब 13,000 टन वजनी यह युद्धपोत इतना विशाल होगा कि अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार इसे क्रूजर श्रेणी में भी रखा जा सकता है. यह आकार और मारक क्षमता के लिहाज से भारतीय नौसेना का सबसे उन्नत और शक्तिशाली युद्धपोत होगा.
नेक्स्ट जेनरेशन डिस्ट्रॉयर: 144 मिसाइल लॉन्च सेल से लैस
भारतीय नौसेना के भविष्य के सबसे महत्वाकांक्षी युद्धपोत प्रोजेक्ट 18 के तहत तैयार हो रहे डिस्ट्रॉयर की हथियार प्रणाली इसे अब तक का सबसे ताकतवर भारतीय युद्धपोत बना रही है. यह जहाज कुल 144 वर्टिकल लॉन्च सिस्टम (VLS) सेल्स से लैस होगा, जो इसे किसी भी खतरे से निपटने में बहुआयामी क्षमता प्रदान करता है.
इस डिस्ट्रॉयर में हथियारों की तैनाती कुछ इस प्रकार होगी:
32 VLS सेल जहाज के पिछले हिस्से में होंगे, जिनमें PGLRSAM मिसाइल तैनात की जाएगी. यह 250 किमी तक की रेंज में विमान और बैलिस्टिक मिसाइलों को निशाना बना सकेगी.
48 VLS सेल में लंबी दूरी तक मार करने वाली ब्रह्मोस एक्सटेंडेड रेंज क्रूज मिसाइल और स्वदेशी तकनीक से विकसित क्रूज मिसाइल लगाई जाएंगी. ये जल और भूमि लक्ष्य पर हमले में सक्षम होंगी.
64 VLS सेल बहुत कम दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों के लिए होंगे, जो जहाज की अंतिम रक्षा पंक्ति का काम करेंगे.
इसके अलावा जहाज में 8 स्लांट लॉन्चर भी शामिल हैं, जिनका इस्तेमाल संभवतः हाइपरसोनिक ब्रह्मोस-2 मिसाइलों के लिए किया जाएगा। इस डेस्ट्रॉयर की तैनाती से भारत की समुद्री शक्ति में बड़ा इजाफा होगा।
अत्याधुनिक रडार और सेंसर प्रणाली
प्रोजेक्ट 18 का सबसे खास पहलू इसकी उन्नत रडार और सेंसर प्रणाली है, जिसे DRDO और भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (BEL) ने मिलकर विकसित किया है. इसमें चार बड़े Active Electronically Scanned Array (AESA) रडार लगाए जाएंगे, जिनमें एस-बैंड प्राइमरी रडार, वॉल्यूम सर्च रडार और मल्टी-सेंसर मस्त शामिल हैं. यह प्रणाली 360-डिग्री निगरानी की क्षमता रखती है और 500 किमी से भी ज्यादा दूर के लक्ष्यों को ट्रैक कर सकती है. इसे इलेक्ट्रॉनिक युद्ध के जटिल वातावरण में काम करने के लिए डिजाइन किया गया है.
आत्मनिर्भर भारत की ओर एक और कदम
प्रोजेक्ट 18 पूरी तरह से ‘मेक इन इंडिया’ और आत्मनिर्भर भारत की भावना से प्रेरित है. इसमें लगभग 75% स्वदेशी तकनीक और उपकरणों के इस्तेमाल का लक्ष्य रखा गया है. युद्धपोत में इंटीग्रेटेड इलेक्ट्रिक प्रोपल्शन (IEP) सिस्टम, स्टील्थ फीचर्स, दो मल्टी-रोल हेलीकॉप्टरों की तैनाती और रेल-लेस हेलीकॉप्टर ट्रैवर्सिंग सिस्टम भी शामिल होंगे. इसके अलावा यह जहाज स्वायत्त जलयानों (Autonomous Underwater Drones) को तैनात कर पनडुब्बी रोधी और बारूदी सुरंग खोज अभियानों में भी सक्षम होगा.
निर्माण और भविष्य की योजना
दिसंबर 2023 तक की योजना के अनुसार, परियोजना की ठोस रूपरेखा अगले पांच वर्षों में पूरी की जाएगी, और इसके बाद अगले दस वर्षों के भीतर सभी जहाज नौसेना को सौंपे जाने की उम्मीद है. प्रमुख भारतीय शिपयार्ड जैसे मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) और गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (GRSE) इसके निर्माण में प्रमुख भूमिका निभाएंगे. प्रोजेक्ट 18 के तहत विकसित विध्वंसक भारतीय नौसेना की दूरगामी समुद्री रणनीति का अहम हिस्सा होंगे. भारत वर्ष 2035 तक नौसेना में 170 से 175 युद्धपोतों की संख्या का लक्ष्य लेकर चल रहा है. ये नए विध्वंसक चीन के इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में बढ़ते प्रभाव के बीच भारत की सामरिक स्थिति को मजबूत करेंगे.
समंदर में पावर बढ़ाने वाला प्रोजेक्ट
प्रोजेक्ट 18 केवल एक युद्धपोत परियोजना नहीं, बल्कि भारत की समुद्री शक्ति, तकनीकी आत्मनिर्भरता और रणनीतिक संकल्प का प्रतीक है. यह परियोजना भारत को वैश्विक स्तर पर सबसे अत्याधुनिक और घातक सतह युद्धपोत विकसित करने वाले देशों की कतार में खड़ा कर देगी.
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...और पढ़ें
बिहार, उत्तर प्रदेश और दिल्ली से प्रारंभिक के साथ उच्च शिक्षा हासिल की. झांसी से ग्रैजुएशन करने के बाद दिल्ली यूनिवर्सिटी से पत्रकारिता में PG डिप्लोमा किया. Hindustan Times ग्रुप से प्रोफेशनल कॅरियर की शु...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 02, 2025, 06:51 IST