Last Updated:August 02, 2025, 07:57 IST
West Bengal SIR News: बिहार के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी वोटर लिस्ट सुधार को लेकर सियासी पारा चढ़ने के आसार हैं. चुनाव आयोग ने सभी दलों से बूथ लेवल एजेंट्स की लिस्ट मांगी है. ममता बनर्जी के सामने नई चुनौती है.

हाइलाइट्स
बंगाल में वोटर लिस्ट सुधार पर सियासी तनाव बढ़ा.चुनाव आयोग ने बूथ लेवल एजेंट्स की लिस्ट मांगी.ममता बनर्जी के सामने इसे नई चुनौती की तरह देखा जा रहा.बिहार में वोटर लिस्ट सुधार को लेकर चलाए जा रहे विशेष गहन पुनरीक्षण (SIR) अभियान को लेकर विवादों के बाद अब पश्चिम बंगाल में भी सियासी पारा चढ़ने के आसार हैं. राज्य के मुख्य निर्वाचन अधिकारी (CEO) मनोज अग्रवाल ने शुक्रवार को सभी राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर अपने-अपने बूथ लेवल एजेंट्स (BLA) की लिस्ट जल्द भेजने को कहा है, जिससे मतदाता सूची के पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू की जा सके.
मुख्य चुनाव अधिकारी का यह निर्देश ऐसे समय आया है, जब राज्य में अगले साल विधानसभा चुनाव होने हैं और चुनावी तैयारियों को लेकर राजनीतिक सरगर्मी तेज हो चुकी है. अब सवाल उठ रहा है कि क्या बिहार की तरह बंगाल में भी चुनाव आयोग की इस कार्रवाई से सियासी बवाल मचने वाला है?
चुनाव आयोग के नए निर्देशों के अनुसार, किसी भी वोटर का नाम वोटर लिस्ट से हटाने से पहले संबंधित बूथ लेवल एजेंट की सहमति अनिवार्य होगी. यानी अब कोई भी नाम मनमाने ढंग से सूची से हटाया नहीं जा सकेगा. यह फैसला मतदाता सूची में पारदर्शिता और विश्वसनीयता बनाए रखने की दिशा में बड़ा कदम माना जा रहा है.
TMC के लिए नई चुनौती?
माना जा रहा है कि पश्चिम बंगाल में बूथों की कुल संख्या 80,000 से बढ़कर 1 लाख से अधिक हो सकती है. इसका मतलब यह है कि अब राजनीतिक दलों को हर नए बूथ के लिए भी एक स्थानीय मतदाता को BLA के तौर पर नियुक्त करना होगा, जो न सिर्फ चुनावी प्रबंधन बल्कि नाम हटाने या जोड़ने जैसे कामों पर भी नजर रखेगा.
ममता बनर्जी के सामने कड़ी कसौटी?
पिछले कुछ चुनावों में टीएमसी और चुनाव आयोग के बीच तनातनी के कई उदाहरण सामने आए हैं. ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस नई प्रक्रिया को किस तरह लेती हैं. राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि बिहार की तर्ज पर पश्चिम बंगाल में भी अब मतदाता सूची पर राजनीतिक टकराव तेज हो सकता है. खासकर तब जब ममता बनर्जी सरकार अक्सर चुनाव आयोग पर तटस्थता को लेकर सवाल उठाती रही है. टीएमसी पहले ही आरोप लगाती रही है कि चुनाव आयोग भाजपा के इशारे पर काम कर रहा है और इस तरह के फैसले बंगाल में राजनीतिक संतुलन को बिगाड़ सकते हैं.
चुनाव आयोग के इस फैसले से बंगाल की राजनीति में नई खींचतान की शुरुआत हो सकती है. अब ममता बनर्जी के लिए यह चुनौतीपूर्ण वक्त है कि वह कैसे अपने संगठन को तेजी से पुनर्गठित करती हैं और नए बूथ लेवल एजेंट्स की नियुक्ति सुनिश्चित करती हैं. साथ ही यह भी देखना होगा कि क्या यह प्रक्रिया निष्पक्ष ढंग से आगे बढ़ती है या राजनीतिक विवादों में उलझ जाती है. फिलहाल, इतना तय है कि बिहार के बाद अब बंगाल में भी चुनावी गर्मी बढ़ने वाली है.
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...और पढ़ें
An accomplished digital Journalist with more than 13 years of experience in Journalism. Done Post Graduate in Journalism from Indian Institute of Mass Comunication, Delhi. After Working with PTI, NDTV and Aaj T...
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Location :
Kolkata,West Bengal
First Published :
August 02, 2025, 07:57 IST