Last Updated:August 02, 2025, 22:07 IST
राहुल गांधी के हालिया बयानों ने उनकी साख को खासा नुकसान पहुंचाया है. तथ्यात्मक गलतियां, पार्टी के अंदर विरोध और बार-बार पलटवार ने उनकी रणनीति और विश्वसनीयता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

हाइलाइट्स
राहुल गांधी के बयान से उनकी साख को नुकसान पहुंचा है.जेटली पर गलत दावा, कृषि कानूनों की तारीखें गलत बताईं.ट्रंप पर बयान से पार्टी के अंदर भी विरोध झेलना पड़ा.नई दिल्ली: राहुल गांधी इन दिनों एक के बाद एक बयान दे रहे हैं. मुद्दे कई हैं- चुनाव आयोग, अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप, और अब दिवंगत अरुण जेटली. लेकिन हर बार उनका वार उल्टा पड़ रहा है. या तो तथ्य गलत निकल रहे हैं, या फिर उनकी बातों को खुद उनकी पार्टी के नेता काट दे रहे हैं. क्या राहुल गांधी की रणनीति गड़बड़ा गई है या उन्हें कोई गाइड नहीं कर रहा?
1. जेटली को लेकर झूठा दावा?
ताजा मामला अरुण जेटली को लेकर दिया गया उनका बयान है. राहुल गांधी ने कहा कि जेटली ने उन्हें कृषि कानूनों पर धमकाया था. लेकिन जेटली की मौत 2019 में हुई थी, जबकि कृषि कानून 2020 में आए. ऐसे में सवाल उठने लगे, क्या राहुल गांधी को तारीखें याद नहीं रहीं?
जेटली के परिवार और बीजेपी दोनों ने पलटवार किया. कहा, ‘जो लोग दुनिया में नहीं हैं, उन्हें टारगेट करना बेहद शर्मनाक है.’ ये वही गलती है जो राहुल गांधी 2019 में भी कर चुके हैं, जब उन्होंने मनोहर पर्रिकर के साथ बैठक के बाद कहा था कि उन्होंने राफेल डील पर चर्चा की. तब भी पर्रिकर ने साफ इनकार किया था.
2. ट्रंप से शुरू, विरोधियों तक की नाराजगी
राहुल गांधी ने संसद में कहा कि भारत ने ऑपरेशन सिंदूर ट्रंप के दबाव में रोका. उन्होंने पीएम मोदी से मांग की कि वे ट्रंप को ‘झूठा’ कहें. लेकिन ये डिप्लोमैटिक भाषा के खिलाफ है. इसके बाद उन्होंने ट्रंप के उस बयान को भी सही ठहराया जिसमें भारत को ‘डेड इकॉनमी’ कहा गया था. यहीं से मामला और उलझ गया. उनकी इस बात पर खुद कांग्रेस नेता शशि थरूर और राजीव शुक्ला ने विरोध जताया. यानी राहुल गांधी अपने बयान से पार्टी के अंदर भी सवालों में घिर गए.
3. चुनाव आयोग पर लगातार हमला
राहुल गांधी ने EC पर भी कई गंभीर आरोप लगाए. लेकिन जब चुनाव आयोग ने उन्हें बातचीत के लिए बुलाया, तो वे हाजिर नहीं हुए. बीजेपी ने कहा कि राहुल बिना सबूत के इल्जाम लगाते हैं और फिर पीछे हट जाते हैं. इससे उनकी छवि एक गैर-जिम्मेदार नेता की बनती जा रही है. वे EC को महाराष्ट्र-हरियाणा चुनावों में पक्षपातपूर्ण बताते हैं, लेकिन ये भूल जाते हैं कि कर्नाटक और हिमाचल में चुनाव उसी EC ने कराए जहां कांग्रेस जीती थी.
4. पार्टी के अंदर से भी झटके
महाराष्ट्र के चुनावों में कांग्रेस की हार के बाद पार्टी नेता आशीष दुआ ने सार्वजनिक रूप से कहा कि हार की वजह चुनाव आयोग नहीं, बल्कि कांग्रेस की कमजोर रणनीति थी. यह राहुल गांधी के आरोपों पर एक तरह से अविश्वास था.
5. रणनीति में है गड़बड़ी?
राहुल गांधी अक्सर ‘शूट एंड स्कूट’ यानी बयान दो और निकल लो, वाली पॉलिटिक्स करते हैं. लेकिन अब ये स्टाइल उनके खिलाफ काम करने लगी है. बीजेपी हर बार उनके बयान पकड़कर पलटवार कर रही है. जनता और मीडिया भी अब सतर्क है.
साल 2024 के चुनाव में उनका ‘संविधान खतरे में है’ कैंपेन जरूर चला, लेकिन इसके बाद वे बार-बार बयानों में फंसते जा रहे हैं. जो छवि उन्होंने ईमानदार और साफ-सुथरे नेता की बनाई थी, वो अब गाफ्स और झूठे दावों से डगमगाने लगी है.
सवाल अब ये है कि क्या राहुल गांधी अपनी रणनीति पर फिर से सोचेंगे? या फिर ऐसे ही बयान दर बयान खुद को ही नुकसान पहुंचाते रहेंगे? राजनीति में विरोध जरूरी है, लेकिन तथ्यों के साथ. वरना वही होता है जो अब हो रहा है. बयान से शोर तो होता है, लेकिन भरोसा नहीं बनता. इस हफ्ते ने राहुल गांधी की राजनीतिक साख को झटका जरूर दिया है. यह उनके लिए ‘हफ्ता खराब’ साबित हुआ.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 02, 2025, 22:03 IST