घर को ठंडा रखने के लिए जो चाहिए, वो इस घर में लगा है! न AC की जरूर, न बिजली की

2 hours ago

Last Updated:May 05, 2025, 17:18 IST

Valsad gobar house: गुजरात के देसाई परिवार ने गाय के गोबर से पारंपरिक घर बनाकर गर्मी में ठंडक पाई. यह घर एसी के बिना भी ठंडा रहता है. चार पीढ़ियां साथ रहती हैं और परंपरा-संस्कृति को जीवित रखती हैं.

घर को ठंडा रखने के लिए जो चाहिए, वो इस घर में लगा है! न AC की जरूर, न बिजली की

गोबर से बना घर

गुजरात के वलसाड जिले के उमरगाम तालुका के कनाडु गांव में बना एक खास घर इन दिनों सोशल मीडिया और गांव की गलियों में खूब चर्चा में है. इस घर की खास बात यह है कि इसे आम सीमेंट या कंक्रीट से नहीं बल्कि गोबर की ईंटों से बनाया गया है. इस गर्मी में जब एसी के बिना घरों में रहना मुश्किल हो गया है, तब देसाई परिवार का यह अनोखा घर लोगों के लिए राहत की मिसाल बन गया है.

पारंपरिक सोच, लेकिन मॉडर्न अंदाज़
यह मकान पारंपरिक मिट्टी और गोबर से लीपने की बजाय, गाय के गोबर और गोमूत्र से बनी खास ईंटों से बनाया गया है. इस घर में मॉडर्न लुक भी है और देसी ठंडक भी. वडोदरा में खास तौर पर बनवाई गई ये ईंटें सामान्य ईंटों से दुगुनी कीमत की हैं, लेकिन इनका फायदा यह है कि घर का तापमान मौसम के हिसाब से अपने आप संतुलित रहता है. गर्मी में ठंडक और सर्दी में गर्मी—इस तरह इस घर में एसी या हीटर की जरूरत नहीं पड़ती.

घर नहीं, विरासत है ये मकान
देसाई परिवार ने सिर्फ घर ही नहीं बनाया, बल्कि अपने पुरखों की यादों को भी उसमें समेट लिया है. घर के अंदर रखा हर फर्नीचर जैसे कि पलंग, कुर्सियां, बेंच और अलमारियां—all सागौन की लकड़ी से बना हुआ है. यह वही फर्नीचर है जो दो-दो पीढ़ियों से घर में चला आ रहा है. पुराने पटारों से लेकर खिलौनों तक, सबकुछ संरक्षित रखा गया है. हां, थोड़ी बहुत रंगाई-पुताई कर इन्हें थोड़ा नया लुक जरूर दिया गया है, ताकि नई पीढ़ी को भी अपनापन महसूस हो.

संयुक्त परिवार की मिसाल बना देसाई परिवार
आज के समय में जहां ज्यादातर परिवार छोटे होते जा रहे हैं और साथ रहना मुश्किल हो रहा है, वहीं देसाई परिवार में चार पीढ़ियां एक ही छत के नीचे हंसी-खुशी रह रही हैं. इस घर में संयुक्त परिवार का असली मतलब देखने को मिलता है. सभी सदस्य एक साथ बैठकर खाना खाते हैं, बच्चे पुराने पारंपरिक खिलौनों से खेलते हैं और महिलाएं एक साथ रसोई में काम करती हैं.

संपन्न होते हुए भी पारंपरिक जड़ों से जुड़े हैं
देसाई परिवार के सदस्य डॉक्टर, बिल्डर और उद्योगपति हैं. उनके पास वापी और मुंबई जैसे शहरों में कीमती मकान भी हैं. लेकिन फिर भी, हर शनिवार और रविवार को पूरा परिवार कनाडु गांव के इस गोबर वाले घर में इकठ्ठा होता है. वे साथ बैठकर खाते-पीते हैं, बच्चों के साथ समय बिताते हैं और इस तरह पुराने दिनों की यादों को जिंदा रखते हैं.

इस घर में छुपा है एक सामाजिक संदेश
यह घर सिर्फ ईंट और मिट्टी से बना मकान नहीं है, बल्कि यह सामाजिक संदेश देता है कि विकास का मतलब परंपरा को भूल जाना नहीं है. आज जब लोग हाईटेक घरों और सुविधाओं की दौड़ में व्यस्त हैं, तब देसाई परिवार जैसे लोग हमें यह सिखा रहे हैं कि तकनीक और परंपरा साथ-साथ चल सकती है.

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