Last Updated:August 01, 2025, 22:53 IST

नई दिल्ली. भारत सरकार ने सल्तनत-ए-बांग्ला नाम से सक्रिय एक इस्लामी समूह पर ध्यान दिया है, जो ढाका में सक्रिय है. विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि इस समूह को तुर्की के एक गैर-सरकारी संगठन ‘टर्किश यूथ फेडरेशन’ का समर्थन प्राप्त है. समूह ने तथाकथित ग्रेटर बांग्लादेश का एक नक्शा जारी किया है, जिसमें भारत के कई हिस्से शामिल हैं. मंत्री ने राज्यसभा में कांग्रेस सांसद रणदीप सिंह सुरजेवाला के तारांकित प्रश्न के लिखित उत्तर में यह बात कही.
सल्तनत-ए-बांग्ला ने इस साल की शुरुआत में शाहबाग स्थित ढाका विश्वविद्यालय के शिक्षक छात्र केंद्र में आयोजित एक कार्यक्रम में ग्रेटर बांग्लादेश का नक्शा जारी किया था. यह प्रतिष्ठित संस्थान अब इस अलगाववादी समूह का अस्थायी मुख्यालय है.
खुफिया ब्यूरो के अधिकारियों ने बताया कि यह समूह कट्टरपंथी विचारधाराओं को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा है और बांग्लादेश में युवाओं को, खासकर उन युवाओं को जो एक ग्रेटर बांग्लादेश के निर्माण के पक्ष में हैं, लामबंद कर रहा है. यह संगठन काफी समय से मध्यकालीन बंगाल सल्तनत की विरासत की बात कर रहा है.
समूह द्वारा जारी तथाकथित ग्रेटर बांग्लादेश के विवादास्पद मानचित्र में म्यांमार का अराकान क्षेत्र और भारत का बड़ा हिस्सा भी शामिल है, जिसमें पश्चिम बंगाल, झारखंड, त्रिपुरा, असम, बिहार, ओडिशा और अन्य पूर्वोत्तर राज्य शामिल हैं. सल्तनत-ए-बांग्ला का नाम बंगाल सल्तनत से लिया गया है, जो एक स्वतंत्र मुस्लिम शासित राज्य था, जिस पर 1352 और 1538 ई. के बीच शासन किया गया था.
सल्तनत के अंतर्गत वर्तमान पूर्वी भारत और बांग्लादेश के कुछ हिस्से आते थे. भारतीय एजेंसियों को इस बात की ज्यादा चिंता है कि यह समूह बांग्लादेश में मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार के साथ कितना करीब है.
अधिकारियों को पता चला है कि इस संगठन को मिलने वाला धन दीना अफरोज यूनुस से जुड़ा है, जो मुहम्मद यूनुस की बेटी है. वह कथित तौर पर बेलियाघाटा, उपजिला स्थित एक गैर-सरकारी संगठन, सीएसएस-बांग्लादेश की मुख्य वित्तपोषक है. इस एनजीओ की पहचान संगठन की शाखा, बरवाह-ए-बंगाल के लिए रसद और भर्ती केंद्र के रूप में की गई है. यह उप-समूह बांग्लादेश के युवाओं की भर्ती और उन्हें अपने विचारों से प्रभावित करने का काम करता है.
सल्तनत-ए-बांग्ला के संचालन को तुर्की युवा संघ द्वारा सहायता प्रदान की जाती है. यह गैर-सरकारी संगठन समूह को वित्तीय और वैचारिक सहायता प्रदान करता है. इस समूह का उदय ऐसे समय में हुआ है, जब बांग्लादेश में भारी अनिश्चितता का माहौल है. यूनुस सरकार पर कट्टरपंथी इस्लामी समूहों से मिलीभगत का आरोप लगाया गया है. उनके शासनकाल में जमात-ए-इस्लामी शक्तिशाली हो गया.
यूनुस के सत्ता संभालने के बाद जमात पर से प्रतिबंध हटा लिया गया था, लेकिन उन्होंने इसके सदस्यों को अंतरिम सरकार का हिस्सा बनने और फैसले लेने की अनुमति दे दी है. इसके अलावा, यूनुस के नेतृत्व में पाकिस्तान बांग्लादेश में भी अपनी पकड़ बनाए हुए है. पाकिस्तानी अधिकारियों के लिए वीजा नियमों में ढील दी गई है और इस्लामाबाद के लिए समुद्री मार्ग भी खोल दिया गया है.
इस तरह के घटनाक्रमों से भारतीय एजेंसियां सल्तनत-ए-बांग्ला और उसके उदय को लेकर चिंतित हैं. भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा, “सरकार ने उन रिपोर्टों पर ध्यान दिया है कि ढाका में ‘सल्तनत-ए-बांग्ला नामक एक इस्लामी समूह ने तथाकथित ‘ग्रेटर बांग्लादेश’ का एक नक्शा जारी किया है, जिसमें भारत के कुछ हिस्से शामिल हैं. यह नक्शा ढाका विश्वविद्यालय में प्रदर्शित किया गया.”
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...और पढ़ें
राकेश रंजन कुमार को डिजिटल पत्रकारिता में 10 साल से अधिक का अनुभव है. न्यूज़18 के साथ जुड़ने से पहले उन्होंने लाइव हिन्दुस्तान, दैनिक जागरण, ज़ी न्यूज़, जनसत्ता और दैनिक भास्कर में काम किया है. वर्तमान में वह h...
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
August 01, 2025, 22:52 IST