भारतीय नर्स निमिषा प्रिया की फांसी टलने के बाद से देशवासी प्रार्थना कर रहे हैं कि वह सुरक्षित स्वदेश लौट आएं. बताया जा रहा है कि सऊदी अरब में अपने दूतावास के जरिए भारत सरकार यमन में अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर रही है. इस बीच, केरल के ग्रैंड मुफ्ती कांतापुरम एपी अबू बकर मुसलियार का नाम पता चला है. कहा जा रहा है कि उनके दखल से ही निमिषा की फांसी रोकी गई है. उन्होंने कहा है कि यमन के पीड़ित परिवार से माफी या ब्लड मनी को लेकर बातचीत चल रही है. इस बीच, यमन के पीड़ित परिवार ने खुलकर कह दिया है कि वह किसी भी तरह का समझौता या ब्लड मनी स्वीकार नहीं करेंगे.
यह टेंशन की बात है क्योंकि यही आखिरी रास्ता बचा है जिससे मलयाली नर्स को बचाया जा सकता है. मारे गए यमनी नागरिक तलाल अबदो महदी के परिवार ने साफ कहा है कि उन्हें खून के बदले खून चाहिए, इससे कम कुछ भी नहीं. पीड़ित के भाई अब्देलफतह महदी ने एक फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि परिवार ने ब्लड मनी समेत सुलह की सभी कोशिशों को ठुकरा दिया है.
ब्लड मनी को उनकी भाषा में दियात कहते हैं. अब्देल ने कहा कि इस समय जो कुछ भी हो रहा है, और मध्यस्थता या सुलह की जो भी कोशिशों हो रही हैं वो सब नई नहीं है और न ही आश्चर्यजनक हैं. पिछले कुछ वर्षों में मध्यस्थता के गुप्त और गंभीर प्रयास हुए हैं. हमने दबाव का सामना किया लेकिन हम अड़े रहे. उन्होंने साफ कहा, 'हमारी माग स्पष्ट है- किसास यानी बदला और कुछ भी नहीं.'
उन्होंने आगे कहा कि फांसी अभी टाल दी गई है. हमें इसकी उम्मीद नहीं थी, खासकर इसे रोकवाने वाले अच्छी तरह जानते हैं कि हम सुलह के किसी भी रूप या तरीके को ठुकरा देंगे. अब्देल ने ललकारते हुए लिखा है कि कोई भी प्रेशर हमें हिला नहीं पाएगा. खून खरीदा नहीं जा सकता. प्रतिशोध जरूर पूरा होगा.
यमन में 16 जुलाई को निमिषा को फांसी होने वाली थी लेकिन अचानक खबर आई कि फांसी टाल दी गई है. पलक्कड जिले की 38 साल की नर्स प्रिया को एक यमनी नागरिक की हत्या के जुर्म में फांसी की सजा मिली है. यमन में भारत की राजनयिक मौजूदगी नहीं है क्योंकि वहां काफी समय से गृह युद्ध चल रहा है. केरल की स्थानीय मीडिया के मुताबिक भारतीय अधिकारी यमन के जेल प्रशासन के संपर्क में हैं, जो हूती विद्रोहियों के कंट्रोल में है.