गुजरात में 2000 ट्राइबल्स का DNA क्यों जमा कर रहे? देश में पहला ऐसा प्रोजेक्ट

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Last Updated:July 16, 2025, 19:50 IST

Gujarat News in Hindi: गुजरात सरकार ने 17 जिलों के आदिवासी समुदायों के 2,000 लोगों का जीनोम सीक्वेंसिंग करने का फैसला किया है. यह प्रोजेक्ट सिकल सेल एनीमिया, थैलेसीमिया जैसी आनुवंशिक बीमारियों की पहचान और इलाज ...और पढ़ें

गुजरात में 2000 ट्राइबल्स का DNA क्यों जमा कर रहे? देश में पहला ऐसा प्रोजेक्ट

देश की पहली ट्रायबल जीनोम परियोजना (सांकेतिक तस्वीर)

गांधीनगर: गुजरात ने देश में एक अनोखी और महत्वाकांक्षी पहल की शुरुआत की है. इसका मकसद है आदिवासी समुदायों के स्वास्थ्य को विज्ञान के जरिए सुधारना. यह राज्य अब भारत का पहला राज्य बन गया है जिसने जनजातीय जीनोम अनुक्रमण परियोजना (Tribal Genome Sequencing Project) लॉन्च की है. गांधीनगर में आयोजित एक संवाद कार्यक्रम में राज्य के जनजातीय मामलों के मंत्री डॉ. कुबेरभाई डिंडोर और आदिवासी विकास मंत्री कुंवरजी हलपति ने इस प्रोजेक्ट की जानकारी साझा की. उन्होंने कहा कि यह योजना आदिवासी समाज की परंपरा और आधुनिक विज्ञान के बीच सेतु का काम करेगी.

क्या है यह प्रोजेक्ट?

इस परियोजना को गुजरात जैव प्रौद्योगिकी अनुसंधान केंद्र (GBRC) द्वारा संचालित किया जाएगा. इसके तहत गुजरात के 17 जिलों में फैले हुए 2,000 आदिवासी व्यक्तियों का DNA सैंपल इकट्ठा कर उनका जीनोम अनुक्रमण किया जाएगा. यानी इनके DNA की बारीकी से मैपिंग की जाएगी, ताकि उनकी आनुवंशिक विशेषताओं को समझा जा सके.

इससे आदिवासियों में पाए जाने वाले विशेष बीमारियों के जेनेटिक कारणों को पहचाना जा सकेगा, जैसे:

-सिकल सेल एनीमिया

-थैलेसीमिया

-जन्मजात रोग

-प्रतिरक्षा संबंधी समस्याएं

-कैंसर से जुड़ी आनुवंशिक प्रवृत्तियां

इसका मकसद क्या है?

डॉ. डिंडोर ने कहा कि इस पहल का उद्देश्य सिर्फ वैज्ञानिक अनुसंधान नहीं है, बल्कि यह आदिवासी स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाने की दिशा में व्यावहारिक और डेटा-आधारित रणनीति है. यह जीनोमिक डेटा आदिवासी समुदाय के लिए एक रेफरेंस डेटाबेस तैयार करेगा, जिसे भविष्य में हेल्थकेयर पॉलिसी और ट्रीटमेंट डिज़ाइन में इस्तेमाल किया जाएगा.

क्यों जरूरी है ये स्टडी?

भारत में अब तक अधिकांश जीनोमिक स्टडीज शहरी या गैर-आदिवासी आबादी पर केंद्रित रही हैं. आदिवासी समुदाय की जेनेटिक विविधता और स्वास्थ्य जोखिम को अक्सर नजरअंदाज किया गया है. यह परियोजना इस कमी को दूर करने के लिए एक ठोस कदम है.

क्या होंगे फायदे?

-गंभीर बीमारियों की पहचान पहले से हो सकेगी.

-व्यक्तिगत जीन पर आधारित ट्रीटमेंट की शुरुआत हो सकेगी.

-आदिवासियों की हेल्थ प्रोफाइल तैयार कर उन्हें बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं दी जा सकेंगी.

इसमें कौन-कौन शामिल हैं?

इस कार्यक्रम में गुजरात सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, वैज्ञानिक, विधायक और खुद आदिवासी समुदाय के प्रतिनिधि भी शामिल हुए. GBRC, GSBTM और विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग मिलकर इस प्रोजेक्ट को तकनीकी और नीति दोनों स्तरों पर सहयोग दे रहे हैं.

इस परियोजना को 2025-26 के बजट में मंजूरी दी गई है और यह आदिवासी समुदाय के लिए हेल्थकेयर और वैज्ञानिक डेटा दोनों के क्षेत्र में मील का पत्थर बन सकता है. यह एक ऐसा कदम है, जो सिर्फ गुजरात ही नहीं, बल्कि पूरे देश की हेल्थ रिसर्च पॉलिसी को नई दिशा दे सकता है.

Deepak Verma

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...और पढ़ें

Deepak Verma is a journalist currently employed as Deputy News Editor in News18 Hindi (Digital). Born and brought up in Lucknow, Deepak's journey began with print media and soon transitioned towards digital. He...

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Location :

Gandhinagar,Gujarat

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