Last Updated:September 14, 2025, 14:06 IST
Bihar Chunav Vote Vibe Survey: बिहार चुनाव को लेकर आए एक ताजा सर्वे ने एनडीए खेमे में खलबली मचा दी है. वोट वाइव नाम की एजेंसी के इस सर्वे में नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ जबरदस्त सत्ता विरोधी लहर दिखाई दे रही है. क्या यह नाखुशी चुनाव में नतीजों को पलट देगी?

Bihar Chunav Vote Vibe Survey. बिहार चुनाव को लेकर एक ताजा सर्वे आया है. वोट वाइव नाम की इस एजेंसी के सर्वे से एनडीए की नींद गायब हो सकती है. दरअसल इस सर्वे में बिहार में एनडीए सरकार खासकर नीतीश कुमार को लेकर जबरदस्त ‘सत्ता विरोधी लहर’ एंटी इनकंबेंसी नजर आ रही है. इस सर्वे में 52 प्रतिशत मेल और 48 प्रतिशत फीमेल सेंपल लिया गया है. खास बात यह है कि 70 प्रतिशत सेंपल गांव यानी रुरल और 30 प्रतिशत शहरी लोगों से बात की गई है. सर्वे एजेंसी ने लोगों से पूछा कि आप सीएम नीतीश कुमार और एनडीए सरकार के कामकाज से कितना खुश हैं? इस सवाल के जवाब में 48 प्रतिशत लोगों ने नीतीश सरकार के कामकाज से नाखुशी जाहिर की. 4 प्रतिशत लोगों ने पता नहीं या कह नहीं सकते जवाब दिया. 20 प्रतिशत लोगों ने न्यूट्रल थे और 27 प्रतिशत लोगों ने सीएम नीतीश का जमकर समर्थन किया.
सर्वे के नतीजे बताते हैं कि बड़ी संख्या में लोग, जिसमें शहरी और ग्रामीण युवा मतदाता मौजूदा सरकार के कामकाज से बेहद नाखुश हैं. 48 प्रतिशत शहरी और ग्रामीण वोटर्स मौजूदा सरकार के कामकाज से खुश नहीं हैं. 18 से 34 साल के आयु वर्ग के 55 प्रतितशत लोगों ने नीतीश सरकार से नाखुशी जाहिर की है. इस सर्वे का सबसे महत्वपूर्ण और चिंताजनक पहलू यह है कि यह नाखुशी ग्रामीण और युवा मतदाताओं के बीच सबसे ज्यादा है. सर्वे में शामिल 70 प्रतिशत ग्रामीण और 30 प्रतिशत शहरी लोगों में से 48 प्रतिशत शहरी और ग्रामीण लोग मौजूदा सरकार से खुश नहीं हैं.
युवाओं की नाराजगी
18 से 34 साल के आयु वर्ग के 55 प्रतिशत लोगों ने नीतीश सरकार से नाखुशी जाहिर की है. यह आंकड़ा एनडीए के लिए बेहद खतरनाक है. युवा मतदाता किसी भी चुनाव का रुख बदल सकते हैं और उनकी नाराजगी सीधे तौर पर रोजगार, शिक्षा और भविष्य की उम्मीदों से जुड़ी है. ग्रामीण मतदाताओं की नाखुशी भी यह दिखाती है कि सरकार की योजनाएं जमीनी स्तर पर उतना असर नहीं कर पाई हैं, जितना दावा किया जा रहा है. गांव के लोगों के लिए बिजली, पानी, सड़क और स्वास्थ्य सुविधाओं जैसे मुद्दे आज भी महत्वपूर्ण हैं.
एनडीए की वापसी मुश्किल?
इस सर्वे के नतीजे बताते हैं कि एनडीए की सत्ता में वापसी की राह आसान नहीं होगी. नीतीश कुमार की राजनीति का आधार ‘सुशासन’ यानी अच्छी सरकार का मॉडल रहा है. लेकिन 48 प्रतिशत लोगों की नाखुशी यह बताती है कि जनता के बीच यह मॉडल अब कमजोर पड़ रहा है. कानून व्यवस्था, रोजगार और भ्रष्टाचार जैसे मुद्दे जनता के लिए प्राथमिकता बन गए हैं.
विपक्षी दल, खासकर आरजेडी के सीएम फेस तेजस्वी यादव, लगातार रोजगार, महंगाई और अपराध के मुद्दे पर सरकार को घेर रहे हैं. यह सर्वे उनके आरोपों को और भी मजबूत करता है. विपक्ष इस नाखुशी को भुनाकर सरकार के खिलाफ एक मजबूत माहौल बना सकता है. अगर नाखुश मतदाता एकजुट होकर विपक्ष को वोट देते हैं, तो यह एनडीए के लिए भारी पड़ सकता है. वहीं, अगर ये वोट अलग-अलग पार्टियों में बंटते हैं, तो भी एनडीए को बड़ा नुकसान हो सकता है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
September 14, 2025, 14:06 IST