बिना जुर्म के 43 साल जेल में रहा भारतीय, अब डिपोर्टेशन की तलवार! US कोर्ट ने कहा– रुको 'इंसाफ' बाकी है

5 hours ago

कहते हैं कि इंसाफ देर से मिले तो वो इंसाफ नहीं रह जाता. इस कहावत को सच करता हुआ एक मामला सामने आया है. जिसमें आरोपी ने 40 से भी ज्यादा साल जेल में काट लिए और आखिर में उसके ऊपर लगे आरोप गलत साबित हुए. अमेरिका की दो अदालतों ने 64 वर्षीय भारतीय मूल के व्यक्ति सुब्रमण्यम वेदम को फिलहाल देश से बाहर न भेजने का आदेश दिया है.

वेदम ने 40 साल जेल में बिताए लेकिन इस साल उनकी हत्या की सजा गलत साबित होने के बाद रिहा कर दिया गया. गुरुवार को एक इमिग्रेशन जज ने उनके निर्वासन पर रोक लगा दी, जब तक कि इमिग्रेशन अपील बोर्ड यह तय नहीं करता कि केस दोबारा सुना जाएगा या नहीं. यह प्रक्रिया कई महीनों तक चल सकती है. वेदम के वकीलों ने पेनसिल्वेनिया की जिला अदालत से भी रोक का आदेश हासिल किया है.

1982 में किया गया था गिरफ्तार

वेदम नौ महीने की उम्र में अपने माता-पिता के साथ भारत से अमेरिका आए थे. उनका बचपन पेनसिल्वेनिया के स्टेट कॉलेज में बीता, जहां उनके पिता पेन स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रोफेसर थे. उनके वकील के मुताबिक उनकी नागरिकता (citizenship) की प्रक्रिया लगभग पूरी हो चुकी थी जब 1982 में उन्हें हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया. उन पर 1980 में अपने दोस्त थॉमस किंसर की हत्या का आरोप लगा था. गवाहों और ठोस सबूतों की कमी के बावजूद उन्हें दो बार दोषी ठहराया गया.

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डिटेंशन सेंटर में रखा गया है

इस साल अगस्त में अदालत ने उनकी सजा रद्द कर दी क्योंकि नए बैलिस्टिक सबूत मिले, जो अभियोजकों ने पहले छुपा लिए थे. 43 साल जेल में बिताने के बाद जब वे 3 अक्टूबर को रिहा होने वाले थे, तभी उन्हें इमिग्रेशन विभाग ने हिरासत में ले लिया. फिलहाल वे लुइसियाना के अलेक्जैंड्रिया में मौजूद एक डिटेंशन सेंटर में रखे गए हैं, जहां से सीधे निर्वासन की उड़ानें भरी जाती हैं.

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