Last Updated:November 04, 2025, 13:55 IST
Poorvi Prachand Prahar: भारत अपनी सीमाओं को सिक्योर करने के लिए लगातार प्रयासरत है. सेना के तीनों अंग पश्चिमी सीमा पर इंटिग्रेटेड सैन्य अभ्यास कर रहे हैं. अब चीन से लगते ईस्टर्न बॉर्डर की बारी है. आर्म्ड फोर्सेज ने इसकी पूरी तैयारी कर ली है.
भारतीय आर्मी, एयरफोर्स और नेवी अब चीन से लगती सीमा पर ज्वाइंट एक्सरसाइज करने वाली है. (फाइल फोटो/PTI)आकाश शर्मा
Poorvi Prachand Prahar: भारत की एक कदम से पाकिस्तान में खलबली मची हुई है. अब चीन में कोहराम मचाने की तैयारी है. वेस्टर्न के बाद अब भारतीय सेना के तीनों अंग (आर्मी, एयरफोर्स और नेवी) ईस्टर्न बॉर्डर पर ट्राई-सर्विसेज ड्रिल करने वाले हैं. पश्चिमी सीमा पाकिस्तान तो पूर्वी सीमा चीन से लगती है. ‘त्रिशूल’ सैन्याभ्यास से पाकिस्तान पहले ही दहला हुआ है. अब चीन को भारत की ताकत का एहसास कराने की पूरी तैयारी कर ली गई है. पश्चिमी मोर्चे पर ‘त्रिशूल’ संयुक्त सैन्य अभ्यास के बाद अब भारतीय सशस्त्र बल अपनी तैयारियों का केंद्र पूर्वी सीमाओं की ओर मोड़ रहे हैं. अब 11 से 15 नवंबर तक अरुणाचल प्रदेश में ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ (Poorvi Prachand Prahar) नाम से युद्धाभ्यास आयोजित किया जाएगा. शीर्ष रक्षा सूत्रों के अनुसार, यह अभ्यास चीन सीमा के साथ संवेदनशील इलाकों में भारत की संयुक्त युद्ध क्षमता, तालमेल और ऊंचाई वाले क्षेत्रों में युद्ध तत्परता की वास्तविक परीक्षा होगी.
इस अभ्यास में थलसेना, नौसेना और वायुसेना संयुक्त रूप से भाग लेंगी, जो भारत द्वारा धीरे-धीरे लागू किए जा रहे ‘थिएटर कमांड’ की अवधारणा को और मजबूत करेगा. इस दौरान तोपखाना, मशीनीकृत इकाइयां, ड्रोन और सटीक हवाई हमलों का संयोजन देखा जाएगा, जिससे वास्तविक युद्ध के हालात में तीनों सेनाओं के समन्वित संचालन की क्षमता प्रदर्शित की जाएगी. नौसेना भी इस स्थल-प्रधान अभ्यास में हवाई निगरानी और रसद सहयोग के माध्यम से भाग लेगी. पूर्वी बॉर्डर पर जब राफेल फाइटर जेट आसमान में कुलांचे मारते हुए हुंकार भरेगा तो दुश्मनों का सीना दहल उठेगा. रक्षा जनसम्पर्क अधिकारी लेफ्टिनेंट कर्नल महेन्द्र रावत ने 1 नवंबर को बताया कि इस अभ्यास की मुख्य विशेषता विशेष बलों, मानव रहित प्रणालियों, सटीक हथियारों और नेटवर्क आधारित कमांड केंद्रों का उच्च हिमालयी परिस्थितियों में समन्वित उपयोग होगा.
पश्चिमी मोर्चे पर ‘त्रिशूल’ का प्रहार
पूर्वी क्षेत्र में ‘पूर्वी प्रचंड प्रहार’ शुरू होने से पहले भारतीय सेनाएं पश्चिमी सीमाओं पर ‘त्रिशूल’ अभ्यास में व्यस्त हैं. राजस्थान और गुजरात की सीमाओं पर हो रहे इस युद्धाभ्यास में थलसेना, वायुसेना और नौसेना के अग्रिम मोर्चे की इकाइयां सम्मिलित हैं. इसका उद्देश्य तेज प्रतिक्रिया क्षमता, इलेक्ट्रॉनिक युद्धक प्रणाली और एकीकृत युद्धक्षेत्र संचार प्रणाली को परखना है. 30 अक्टूबर से चल रहे इस अभ्यास में भारतीय वायुसेना के लड़ाकू और परिवहन विमान थलसेना की स्ट्राइक फॉर्मेशनों के साथ आक्रामक एवं रक्षात्मक अभियान चला रहे हैं. रिमोट ऑपरेटेड फाइटर जेट और सैटेलाइट आधारित निगरानी प्रणाली वास्तविक समय की स्थिति रिपोर्ट प्रदान कर रही हैं, जिससे निर्णायक कार्रवाई में तेजी लाई जा सके.
नेवी भी दिखाएगी ताकत
नौसेना ने भी अरब सागर से समुद्री टोही और रसद सहायता के जरिए अपनी भागीदारी सुनिश्चित की है. नौसेना संचालन महानिदेशक वाइस एडमिरल एएन. प्रमोद ने बताया, ‘हमारा उद्देश्य सभी समुद्री और अंतर-सेवा बलों के बीच अधिकतम तालमेल बढ़ाना है. यह एक जटिल, बहु-आयामी और साइबर व अंतरिक्ष डोमेन को शामिल करने वाला सबसे बड़े पैमाने का संयुक्त अभियान है.’ पश्चिमी क्षेत्र में किए जा रहे अभ्यास आधुनिक युद्ध सिद्धांतों पर आधारित हैं, जिनमें तेज़ी से तैनाती, सटीक निशाना साधने और कोऑर्डिनेटेड एयर डिफेंस सिस्टम का उपयोग शामिल है. इनसे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि भारत की सेनाएं एक साथ कई मोर्चों पर किसी भी परिस्थिति में तत्पर रहें.
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Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
November 04, 2025, 13:51 IST

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