Last Updated:November 04, 2025, 18:42 IST
Bengal SIR Controversy: बंगाल में SIR ने राजनीति और जनभागीदारी दोनों को सक्रिय कर दिया है. एक तरफ आरोप-प्रत्यारोप की गूंज है, तो दूसरी तरफ मतदाता जागरूकता की लहर नजर आई. यही लोकतंत्र की असली तस्वीर है. विवाद के बीच भी लोगों की भागीदारी कायम है.

पश्चिम बंगाल में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण (SIR) को लेकर सियासत गरमा गई है. टीएमसी, कांग्रेस और वाम दल इसे भाजपा का छुपा एजेंडा बता रहे हैं, वहीं चुनाव आयोग अपनी पारदर्शिता पर अडिग है. विवाद के बीच राजनीतिक बयानबाजी अपने चरम पर है.

दिलचस्प बात यह है कि सियासी विवादों के बावजूद आम लोग इस प्रक्रिया में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. बीएलओ के घर-घर पहुंचने पर नागरिक अपने दस्तावेजों के साथ फॉर्म भर रहे हैं. मतदान अधिकार के प्रति लोगों का उत्साह देखने लायक है.

कई इलाकों में बीएलओ को नागरिकों से सकारात्मक सहयोग मिल रहा है. लोग अपने परिवार के नए मतदाताओं के नाम जोड़वाने और गलतियों को ठीक कराने में दिलचस्पी दिखा रहे हैं. यह जनता के लोकतांत्रिक जागरूक होने का संकेत है.

सोशल मीडिया पर जहां राजनीतिक बयानबाजी जारी है, वहीं कई युवा SIR को अपना वोट सुरक्षित रखने का मौका मान रहे हैं. कॉलेजों और स्थानीय क्लबों में मतदाता सूची अपडेट कराने को लेकर कैम्प तक लगाए जा रहे हैं.

तृणमूल कांग्रेस ने निर्वाचन आयोग पर भाजपा के दबाव में काम करने का आरोप लगाया है. पार्टी का दावा है कि इस प्रक्रिया के जरिए मतदाता सूची से उसके समर्थकों के नाम हटाने की साजिश हो रही है. ममता बनर्जी ने इसे गुप्त एनआरसी करार दिया है.

दूसरी ओर भाजपा का कहना है कि SIR लोकतंत्र की मजबूती का प्रतीक है. पार्टी के मुताबिक इससे फर्जी वोटिंग पर रोक लगेगी और मतदाता सूची पूरी तरह शुद्ध होगी. भाजपा ने इस प्रक्रिया को पारदर्शी चुनाव की बुनियाद बताया है.
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4 hours ago
