Last Updated:July 16, 2025, 20:00 IST
LOGISTIC DRONE: भारत-चीन के बीच दो साल पहले हुए तनाव के बाद से कई सामरिक जरूरतों पर तेजी से ध्यान दिया जा रहा है ताकि भविष्य में किसी भी स्थिति से निपटा जा सके. इनमें लॉजिस्टिक ड्रोन भी शामिल है. ऑपरेशन सिंदूर ...और पढ़ें

लॉजिस्टिक ड्रोन से पहुंचेगा सामान
हाइलाइट्स
भारतीय सेना लॉजिस्टिक ड्रोन की खरीद में जुटी है.लॉजिस्टिक ड्रोन से ऊंची पोस्ट तक राशन और दवाएं पहुंचाई जाएंगी.सबल-20 ड्रोन 20-25 किलो वजन उठा सकता है.LOGISTIC DRONE: पारंपरिक युद्ध अब तकनीकी युद्ध में बदल चुका है. ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने खुद इसका एहसास किया. सारी लड़ाई हवा में ही लड़ी गई. ड्रोन और एंटी ड्रोन तकनीक ने पूरे जंग का तरीका ही बदल दिया. रूस-यूक्रेन युद्ध हो या अर्मेनिया-अजरबैजान, हमास-हिजबुल्लाह-हूती और ईरान के साथ इजरायल की जंग, सभी में ड्रोन और लॉयटरिंग म्यूनिशन का सबसे ज्यादा इस्तेमाल हुआ. चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान ने साफ कहा कि आज के जटिल युद्ध में ‘कल के हथियारों’ से जीत संभव नहीं है और भारत को ‘भविष्य की तकनीक’ से लैस होना होगा. भारतीय सेना लंबे समय से स्वदेशी ड्रोन और एंटी ड्रोन सिस्टम की खरीद को आगे बढ़ा रही है. भारतीय सेना ड्रोन को सर्विलांस और काइनेटिक यूज के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है. अब लॉजिस्टिक ड्रोन की बारी है. यानी इन ड्रोन के जरिए विषम परिस्थितियों में सेना तक जरूरी सामान पहुंचाना.
लॉजिस्टिक ड्रोन की खरीद जारी
चीन ने बड़ी तादाद में ऐसे ड्रोन का इस्तेमाल करना शुरू किया जो ऊंची पहाड़ियों पर तैनात सैनिकों के लिए रसद, गोलाबारूद और अन्य सामग्री पहुंचा सके. भारतीय सेना ने भी खुद को लॉजिस्टिक ड्रोन से लैस करने का फैसला लिया था. लॉजिस्टिक ड्रोन हिमालय के हाई ऑल्टिट्यूड और मीडियम ऑल्टिट्यूड में इस्तेमाल के मकसद से साल 2022 में रिक्वेस्ट फॉर प्रपोजल जारी किया गया था. कुल 363 लॉजिस्टिक ड्रोन लेने थे जिसमें से 163 हाई ऑल्टिट्यूड एरिया के लिए और 200 मीडियम ऑल्टिट्यूड एरिया के लिए लेने थे. इसके अलावा 570 ड्रोन के लिए रिक्वेस्ट फॉर इंफॉर्मेशन भी जारी किया था.दो साल बाद ही लॉजिस्टिक ड्रोन सबल 20 को शामिल कर लिया गया.सबल ड्रोन की खासियत है कि यह मीडियम ऑल्टिट्यूड ड्रोन है और 20 से 25 किलो तक का वजन उठा सकता है. लॉजिस्टिक ड्रोन होने के कारण यह वर्टिकल लैंडिंग और टेक ऑफ करता है. सेना को अभी हाई ऑल्टिट्यूड में ऑपरेट करने वाले लॉजिस्टिक ड्रोन की तलाश है जो 50 से 80 किलो तक का वजन आसानी से उठा सके. माना जा रहा है कि अगले 5 साल में यह जरूरत पूरी हो सकती है.
क्या होगा लॉजिस्टिक ड्रोन का काम?
सेना के राशन, दवाएं और अन्य सामग्री को ऊंची पोस्ट तक पहुंचाने के लिए एक प्रक्रिया है. इसमें गोदाम से ट्रकों में भरकर सामान सेना के बेस डिपो तक पहुंचता है. बेस डिपो से यह सप्लाई प्वाइंट तक पहुंचता था और फिर सीधा रेजिमेंटल/बटालियन/फॉर्मेशन हेडक्वार्टर तक आता है. यहां तक रसद और सामान सड़क के जरिए पहुंचता है. उसके बाद शुरू होता था पोस्ट पर तैनात सैनिकों तक इन्हें पहुंचाना. सर्दियों में बर्फबारी से पहले ही सामान पोस्टों में जमा कर दिया जाता था. इसकी वजह थी कि भारी बर्फबारी के चलते पोस्ट पूरी तरह से बेस से कट जाते थे. इसे विंटर स्टॉकिंग कहा जाता था. यह सारा काम अब भी पोर्टर और जानवरों के जरिए किया जाता है. इस काम के लिए अप्रैल से सितंबर तक का ही समय होता है. एक पोर्टर अपने साथ 20 किलो और एक पोनी 60 किलो तक का ही वजन उठा सकता है. यह प्रक्रिया पहले भी ऐसी ही चलती थी और अब भी जारी है. लेकिन लॉजिस्टिक ड्रोन की एंट्री अब जरूरी हो गई है. मसलन, बर्फ से ढकी चोटियों में अगर किसी सैनिक को मेडिकल इमरजेंसी के तहत कोई दवा या फिर गोला बारूद भेजना हो तो इन लॉजिस्टिक ड्रोन के जरिए आसानी से पहुंचाया जा सकेगा. हालांकि इस काम के लिए हेलिकॉप्टर का भी इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन हेलिकॉप्टर तभी उड़ान भर सकते हैं जब मौसम ठीक हो. इस काम में जोखिम भी होता है. लेकिन लॉजिस्टिक ड्रोन के आने से काफी हद तक इन सब चुनौतियों से आसानी से पार पाया जा सकेगा.