क्या गंगा में 'विसर्जित' हो जाएंगी ममता बनर्जी? समझिये BJP का बंगाल विजय प्लान

10 hours ago

पश्चिम बंगाल की सियासत में एक बार फिर हलचल मच गई है. भारतीय जनता पार्टी (BJP के प्रदेश अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री सुकांता मजूमदार ने तृणमूल कांग्रेस (TMC) सुप्रीमो ममता बनर्जी पर तीखा हमला बोला है. मजूमदार ने ममता पर बंगाल की जनता को ‘बंगाली मंत्र’ के सहारे भटकाने और ‘वोट बैंक की राजनीति’ करने का आरोप लगाया. उनके इस बयान ने 2026 के विधानसभा चुनावों से पहले बंगाल में सियासी तापमान को और बढ़ा दिया है.

सुकांता मजूमदार ने रविवार को ANI से बातचीत में ममता बनर्जी पर निशाना साधते हुए कहा, ‘जब भी ममता बनर्जी मुसीबत में फंसती हैं, वह ‘बंगाली मंत्र’ का जाप शुरू कर देती हैं. लेकिन अब बंगाल के हिंदू एकजुट हो रहे हैं ताकि इस ‘पाकिस्तान समर्थक’ सरकार को हटाकर एक ‘हिंदू समर्थक’ सरकार लाई जाए.’

मजूमदार ने ममता पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा कि टीएमसी ने लोकसभा और राज्यसभा में गैर-बंगाली लोगों को सांसद बनाकर बंगाल के हितों की अनदेखी की है. उन्होंने दावा किया, ‘अगर ममता बनर्जी को बंगालियों की इतनी ही चिंता है, तो उन्होंने इतने सारे गैर-बंगाली सांसद क्यों बनाए? यह बंगालियों के पेट में लात मारने जैसा है.’

‘डेमोग्राफिक चेंज’ का आरोप

मजूमदार ने टीएमसी पर बंगाल की जनसांख्यिकी (डेमोग्राफी) बदलने का भी आरोप लगाया. उन्होंने कहा, ‘ममता बनर्जी और उनकी पार्टी बांग्लादेशियों को जबरन नागरिकता देने की कोशिश कर रही है ताकि टीएमसी की सत्ता बरकरार रहे. उनका मकसद है कि आने वाले सालों में बंगाल का मुख्यमंत्री कोई मुस्लिम हो.’ मजूमदार ने दावा किया कि टीएमसी रोहिंग्या और मुस्लिम समुदाय को हिंदू बहुल इलाकों में बसाने के लिए समर्थन दे रही है, चाहे वह नागरिकता हो, आधार कार्ड हो या वोटर कार्ड.

उन्होंने चेतावनी दी, ‘लोगों को अभी समझ नहीं आ रहा, लेकिन जब इनकी आबादी 40-50% से ज्यादा हो जाएगी, तब न ममता होगी, न कानून होगा. इसलिए अब समय आ गया है कि ममता सरकार को गंगा में विसर्जित किया जाए.’ यह बयान बीजेपी की उस रणनीति का हिस्सा माना जा रहा है, जिसमें वह बंगाल में धार्मिक और क्षेत्रीय ध्रुवीकरण के जरिए टीएमसी को घेरने की कोशिश कर रही है.

बंगाली पहचान का मुद्दा

इससे पहले ममता बनर्जी और टीएमसी ने इन आरोपों का जवाब देते हुए बीजेपी पर बंगालियों की पहचान पर हमला करने का आरोप लगाया था. टीएमसी ने 12 जुलाई को राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के खिलाफ कोलकाता में एक विरोध मार्च निकाला, जिसमें उन्होंने बीजेपी शासित राज्यों में बंगाली भाषी प्रवासियों को ‘बांग्लादेशी’ बताकर उत्पीड़न करने का आरोप लगाया.

राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने कहा, ‘यह बंगाली पहचान और सम्मान पर हमला है. ममता बनर्जी हमेशा अन्याय के खिलाफ खड़ी होती हैं, और वह इस बार भी ऐसा करेंगी.’ टीएमसी ने दावा किया कि बीजेपी बंगालियों को बदनाम करने की साजिश रच रही है. ममता 16 जुलाई को कोलकाता में एक विशाल रैली का नेतृत्व करने वाली हैं, जो कॉलेज स्क्वायर से शुरू होकर डोरिना क्रॉसिंग तक जाएगी. इस रैली में हावड़ा, भांगर, दमदम और साल्ट लेक के टीएमसी कार्यकर्ता शामिल होंगे.

बीजेपी का बंगाल विजय प्लान

बीजेपी बंगाल में 2026 के विधानसभा चुनावों को लेकर पहले से ही रणनीति बना रही है. सुकांता मजूमदार ने पहले भी दावा किया था कि अगर बीजेपी को टीएमसी से एक सीट भी ज्यादा मिली, तो ममता सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाएगी. पार्टी ने बंगाल में भ्रष्टाचार, महिलाओं के खिलाफ अपराध और कानून-व्यवस्था की बिगड़ती स्थिति को प्रमुख मुद्दा बनाने की योजना बनाई है.

मार्च 2025 में एक रैली में मजूमदार ने कहा था, ‘टीएमसी की सरकार भ्रष्टाचार और अराजकता का पर्याय बन चुकी है. संदेशखाली जैसे मामलों और RG कर अस्पताल में बलात्कार-हत्या की घटना ने साबित कर दिया कि ममता सरकार अपराधियों को संरक्षण देती है.’ बीजेपी ने CAA और राम मंदिर जैसे मुद्दों को भी बंगाल में भुनाने की कोशिश की, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनावों में उसे केवल 12 सीटें मिलीं, जबकि टीएमसी ने 29 सीटें जीतीं.

बाहरी बनाम बंगाली की लड़ाई

बीजेपी अब बंगाल में ‘बाहरी बनाम बंगाली’ और ‘हिंदू बनाम मुस्लिम’ के नैरेटिव को मजबूत करने की रणनीति पर काम कर रही है. मजूमदार ने 18 जुलाई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की बंगाल यात्रा का जिक्र करते हुए कहा कि यह यात्रा बीजेपी के लिए एक गेम-चेंजर साबित होगी. PM मोदी इस दौरान बंगाल के विभिन्न हिस्सों में रैलियां करेंगे और टीएमसी के खिलाफ जनमत तैयार करने की कोशिश करेंगे.

टीएमसी के लिए कितनी बड़ी मुसीबत

ममता बनर्जी ने अपनी ‘लक्ष्मीर भंडार’ और ‘कन्याश्री’ जैसी कल्याणकारी योजनाओं के जरिए महिलाओं और अल्पसंख्यक समुदाय का मजबूत वोट बैंक बनाया है. 2024 के लोकसभा चुनावों में टीएमसी ने 45.76% वोट शेयर के साथ शानदार जीत हासिल की, जबकि बीजेपी का वोट शेयर 38.73% रहा. ममता ने बंगाली अस्मिता और क्षेत्रीय गौरव को अपनी ताकत बनाया है, जिसके जरिए उन्होंने बीजेपी को ‘बाहरी’ करार देकर नुकसान पहुंचाया.

हालांकि, संदेशखाली जैसे विवाद और भ्रष्टाचार के आरोपों ने टीएमसी की छवि को नुकसान पहुंचाया है. बीजेपी इन मुद्दों को भुनाने की कोशिश कर रही है, खासकर ग्रामीण और हिंदू बहुल इलाकों में. मजूमदार का दावा है कि बंगाल की जनता अब टीएमसी के ‘भ्रष्ट शासन’ से तंग आ चुकी है और बदलाव चाहती है.

क्या ममता सरकार ‘विसर्जित’ होगी?

सुकांता मजूमदार के बयानों और बीजेपी की रणनीति ने बंगाल की सियासत को गरमा दिया है. लेकिन ममता बनर्जी की सियासी चतुराई और जनता से सीधा जुड़ाव उनकी सबसे बड़ी ताकत है. 2021 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी ने 77 सीटें जीती थीं, लेकिन टीएमसी ने 213 सीटों के साथ भारी जीत हासिल की थी. विश्लेषकों का मानना है कि बीजेपी को बंगाल में जीत के लिए न केवल हिंदू वोटों को एकजुट करना होगा, बल्कि ममता की कल्याणकारी योजनाओं का जवाब भी देना होगा.

मजूमदार के ‘गंगा में विसर्जन’ वाले बयान ने टीएमसी को एक नया मुद्दा दे दिया है, जिसे वह ‘बंगाली अस्मिता’ के खिलाफ हमले के रूप में भुना सकती है. दूसरी ओर, बीजेपी की रणनीति ध्रुवीकरण और केंद्रीय नेतृत्व की ताकत पर टिकी है. PM मोदी की 18 जुलाई की यात्रा इस लड़ाई को और तेज कर सकती है.निष्कर्षबंगाल की सियासत में ‘बंगाली बनाम बाहरी’ का मुद्दा एक बार फिर केंद्र में है. सुकांता मजूमदार के तीखे हमलों और ममता बनर्जी की जवाबी रणनीति ने 2026 के चुनावों को रोमांचक बना दिया है. बीजेपी की योजना बंगाल में धार्मिक और क्षेत्रीय ध्रुवीकरण के जरिए सत्ता हासिल करने की है, लेकिन ममता की जमीनी पकड़ और बंगाली अस्मिता की राजनीति इसे आसान नहीं होने देगी. क्या ममता बनर्जी की सरकार वाकई ‘गंगा में विसर्जित’ होगी, या वह एक बार फिर बीजेपी को मात देंगी? इसका जवाब समय और बंगाल की जनता देगी.

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