क्या कोई राइफल से सीने पर गोली मार अपनी जान ले सकता है, साइंस क्या कहती है

4 hours ago

Last Updated:September 03, 2025, 15:17 IST

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक मामले में सवाल उठाया है कि क्या कोई व्यक्ति राइफल से खुद अपने सीने में गोली मार सकता है, क्योंकि ऐसा एक मामला उसके पास आया है

क्या कोई राइफल से सीने पर गोली मार अपनी जान ले सकता है, साइंस क्या कहती है

सुप्रीम कोर्ट ने मध्य प्रदेश के एक मामले को लेकर सवाल उठाया कि कोई क्या राइफल से छाती पर खुद गोली मारकर आत्महत्या कर सकता है. ये मामला एक 17 वर्षीय लड़के की मौत का है. जिसको पुलिस ने आत्महत्या बताया था. राइफल चूंकि थोड़ी लंबी होती है, लिहाजा ये काम बहुत मुश्किल होता है. फोरेंसिक साइंस के तथ्यों के जरिए जानेंगे कि ऐसा हो सकता है या नहीं.

दरअसल सुप्रीम कोर्ट को इस बात पर संदेह था कि असल में कोई व्यक्ति राइफल से सीने में गोली मार कर आत्महत्या कर सकता है या नहीं. इसलिए कोर्ट ने इस मामले की पूरी जांच कराने और सभी पहलुओं, खासकर हत्या की आशंका की जांच के लिए मध्य प्रदेश सरकार से हलफनामा मांगा है.

मामला इस तरह है – शूटिंग अकादमी में एक लड़के पर वहीं के कुछ अन्य छात्रों ने 40 हजार रुपए चोरी करने का आरोप लगाया. दबाव बनाया गया कि वह चोरी की बात मान ले. उसकी पिटाई की गई. फोन छीना. जबरन मैसेज भिजवाए. इस अत्याचार से टूटकर लड़के ने आत्महत्या कर ली. उसने सुसाइड नोट भी छोड़ा, जिसमें उसने उन छात्रों और आरोपी को दोषी ठहराया.

सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में जांच एजेंसी से मृतक की पोस्टमार्टम रिपोर्ट, राइफल की जब्ती, उसकी लंबाई तथा जांच के दौरान मिले अन्य सबूत भी मांगे हैं. सुप्रीम कोर्ट इस मामले की गहराई से जांच चाहता है क्योंकि आम समझ से राइफल से खुद को सीने में गोली मारना आसान या संभव नहीं लगता.

क्या ये संभव है

चैट जीपीटी एआई का फोरेंसिक साइंस के हवाले से कहना है कि राइफल से खुद सीने पर गोली मारकर आत्महत्या करना करीब असंभव है. अलबत्ता पिस्तौल या रिवॉल्वर से ये संभव है.

राइफल की लंबाई आमतौर पर 40-45 इंच लंबी होती है. इसमें 303, 7.62, एक-47 या शॉटगन जैसी लंबी बंदूकें आती हैं.इसकी लंबाई की वजह से उसे सीने पर टिकाकर, ट्रिगर दबाने के लिए हाथ का इस्तेमाल आसानी से तो कतई नहीं हो सकता. सामान्य इंसान के हाथ इतने लंबे नहीं होते कि बंदूक की नाल सीधे सीने से सटाकर रखा जाए और आसानी से ट्रिगर दबाया जा सके. अगर कोई ऐसा कर पाता है तो उसे ट्रिगर दबाने के लिए किसी तकनीक या लकड़ी, छड़ी या किसी दूसरे के हाथ की मदद लेनी होगी.

ऐसे मामले दुर्लभ हैं नहीं के बराबर

फॉरेंसिक केसों में अनुभव का कहता है कि राइफल से आत्महत्या के मामले बहुत दुर्लभ हैं. जब होते हैं तो अधिकतर लोग मुंह में या ठोड़ी के नीचे राइफल की नाल रखकर गोली चलाते हैं, क्योंकि तब ट्रिगर पैर से दबाना संभव होता है. सीने पर राइफल लगाकर आत्महत्या करने के डॉक्युमेंटेड केस करीब नहीं के बराबर हैं, क्योंकि ये मैकेनिकली नहीं हो सकता.

सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने से इंकार कर दिया है.

कोर्ट में संदेह क्यों उठता है?

अगर कोई कहे कि किसी ने राइफल से खुद अपने सीने में गोली मारी है, तो फॉरेंसिक एक्सपर्ट सबसे पहले यह देखेंगे कि राइफल की लंबाई और मृतक की भुजा की लंबाई मेल खाती थी या नहीं.
– क्या ट्रिगर दबाने का कोई संभव तरीका था?
– हथियार की पोज़िशन और घाव का कोण सही बैठता है या नहीं.
अगर यह मेल नहीं खाता तो अदालतें मानती हैं कि मामला आत्महत्या नहीं बल्कि हत्या का हो सकता है. इसीलिए ऐसे मामलों में अदालतें संदेह करती हैं और फॉरेंसिक सबूतों की गहराई से जांच करती हैं.

ऐसे मामलों में फॉरेंसिक एक्सपर्ट क्या करते हैं

राइफल से व्यक्ति द्वारा खुद सीने में गोली मारकर आत्महत्या करना तकनीकी रूप से और फॉरेंसिक दृष्टि से बहुत संदिग्ध और असंभव माना जाता है. ऐसे मामलों में जांचकर्ताओं और अदालतों द्वारा कई बातों का गहराई से विश्लेषण किया जाता है, जैसे – जैसे राइफल की लंबाई, ट्रिगर की पहुंच, गोली का प्रवेश मार्ग, गनशॉट रेजिड्यू, अंगों में घाव के कोण.

सिर पर या मुंह में बंदूक रखना आसान है, लेकिन छाती पर बंदूक टिकाकर ट्रिगर दबाना अपेक्षाकृत मुश्किल. अगर हथियार पिस्तौल या रिवॉल्वर है, तो इसे दिल की तरफ रखकर ट्रिगर दबाना संभव है. आत्महत्याओं में सिर पर गोली मारने के केस 80 फीसदी होते हैं.

राइफल से आत्महत्या के केस कम

राइफल से आत्महत्या के केस कम हैं, लेकिन होते हैं. पिस्तौल या रिवॉल्वर यानि छोटी बंदूक से आत्महत्या के मामलों में अक्सर निशाना बनाए जाने वाले अंग सिर, कनपटी, मुंह के अंदर और ठोड़ी के नीचे होते हैं. अमेरिका की फोरेंसिक रिपोर्ट्स में 70 फीसदी से ज्यादा गन-सुसाइड्स सिर पर होते हैं.

Sanjay Srivastavaडिप्टी एडीटर

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...और पढ़ें

लेखक न्यूज18 में डिप्टी एडीटर हैं. प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में काम करने का 30 सालों से ज्यादा का अनुभव. लंबे पत्रकारिता जीवन में लोकल रिपोर्टिंग से लेकर खेल पत्रकारिता का अनुभव. रिसर्च जैसे विषयों में खास...

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Location :

Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh

First Published :

September 03, 2025, 15:15 IST

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