Last Updated:September 03, 2025, 17:36 IST
kagahar chunav 2025: प्रशांत किशोर ने बिहार चुनाव 2025 में रोहतास जिले की करगहर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. यह सीट ब्राह्मण और राजपूत बहुल सीट है. क्या पीके बिहार की राजनीति में किन-किन पार्टियों की मुश्किलें बढ...और पढ़ें

पटना. जन सुराज के संस्थापक प्रशांत किशोर ने इशारा किया है कि वह अपने जन्मभूमि रोहतास जिले के करगहर सीट से चुनाव लड़ सकते हैं. दरअसल प्रशांत किशोर ने एक डिजिटल न्यूज चैनल में कहा, ‘सभी लोगों को कहता हूं दो जगहों से लड़ना चाहिए. जन्म भूमि या कर्म भूमि. बता दें, करगहर विधानसभा सीट ब्राह्मण और राजपूत बहुल सीट है, लेकिन इस सीट पर मायावती की पार्टी बीएसपी बीते कुछ सालों से हार-जीत का फैसला करती है. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि पीके ने करगहर सीट को ही क्यों चुना? प्रशांत किशोर इस सीट से चुनाव लड़कर सीएम नीतीश कुमार की नींद उड़ाने वाले हैं या फिर तेजस्वी यादव की चैन छीनेंगे?
बिहार विधानसभा चुनाव 2020 में करगहर सीट पर कांग्रेस के संतोष मिश्रा ने जीत हासिल की थी. वहीं जेडीयू के वशिष्ठ सिंह दूसरे नंबर पर रहे थे. इस बार इस सीट से नीतीश के खासमखास आईएएस अधिकारी रहे दिनेश राय की भी चुनाव लड़ने की चर्चा है. जेडीयू की भी इस सीट पर दबदबा रहा है. ऐसे में अगर प्रशांत किशोर चुनाव लड़ते हैं तो निश्चितरूप से ब्राह्मण-राजपूत वोटरों के साथ-साथ कोइरी-कुर्मी के यूथ वोटों में बंटवारा होगा. इस सीट से चुनाव लड़कर प्रशांत किशोर पूरे बिहार को मैसेज देंगे. बता दें कि इस सीट पर जीत हार अंतर दलित वोटरों की भूमिका अहम होती है. पिछली बार मयावती पार्टी बीएसपी की वजह से जेडीयू यह सीट हार गई थी.
पीके ने क्या ले लिया बड़ा फैसला?
बुधवार को पीके ने एक निजी चैनल के कार्यक्रम में यह कहकर अपनी मंशा साफ कर दी कि हर व्यक्ति को दो जगहों से चुनाव लड़ना चाहिए, एक अपनी जन्मभूमि और दूसरी अपनी कर्मभूमि. उन्होंने बताया कि चूंकि करगहर उनकी जन्मभूमि है, इसलिए वह यहां से चुनाव लड़ना चाहेंगे. हालांकि, उनके इस बयान के बाद उनके मीडिया प्रभारी ने स्पष्ट किया है कि यह केवल एक संभावना है और पार्टी जहां से कहेगी, वह वहीं से चुनाव लड़ेंगे. लेकिन इस एक बयान ने ही बिहार की राजनीति में एक भूचाल ला दिया है.
करगहर सीट का क्या है गणित?
ऐसे में यह समझना जरूरी है कि करगहर सीट का जातीय समीकरण क्या है? यह सीट ब्राह्मण बहुल मानी जाती है. हालांकि, यहां कुर्मी, कोइरी और अनुसूचित जाति के वोट भी निर्णायक भूमिका में हैं. प्रशांत किशोर खुद एक ब्राह्मण हैं, ऐसे में उनका यहां से चुनाव लड़ना एक सीधा संदेश देता है कि वह पारंपरिक ब्राह्मण वोट बैंक को अपनी तरफ खींचने की कोशिश करेंगे. लेकिन यह इतना आसान नहीं है. करगहर सीट फिलहाल महागठबंधन के कब्जे में है और 2020 के चुनाव में यहां से कांग्रेस के संतोष कुमार मिश्र विजयी हुए थे.
रणनीतिकार क्या कहते हैं?
विशेषज्ञों का मानना है कि पीके का यह कदम न सिर्फ महागठबंधन, बल्कि एनडीए के लिए भी परेशानी खड़ी कर सकता है. अगर पीके अपने ब्राह्मण वोट बैंक को मजबूत करते हैं तो यह सीधे तौर पर कांग्रेस और बीजेपी के वोटों में सेंध लगाएगा. इसके अलावा, जन सुराज के नाम पर वह जो नया राजनीतिक विकल्प पेश कर रहे हैं, वह युवाओं और उन मतदाताओं को आकर्षित कर सकता है जो पारंपरिक पार्टियों से ऊब चुके हैं. करगहर सीट पर राजपूत मतदाताओं की भी अच्छी संख्या है, जो लंबे समय से बीजेपी और जेडीयू के साथ रहे हैं. पीके का यहां से लड़ना इस वोट बैंक में भी बिखराव पैदा कर सकता है.
हालांकि, जेडीयू प्रवक्ता अभिषेक झा और कांग्रेस प्रवक्ता असित नाथ तिवारी ने प्रशांत किशोर के इस ऐलान पर तंज कसते हुए कहा है कि उनकी भूमिका केवल ‘वोटकटवा’ की होगी और उन्हें अपनी जमानत बचाने में भी मुश्किलें आएंगी. हालांकि, पीके की रणनीति हमेशा से लीक से हटकर रही है,और वह पर्दे के पीछे से खेल को पलटने में माहिर माने जाते हैं. उनका करगहर सीट को चुनना कोई सामान्य फैसला नहीं है, बल्कि एक सोची-समझी रणनीति का हिस्सा हो सकता है. पीके का असली मकसद केवल एक सीट जीतना नहीं, बल्कि पूरे बिहार में नए राजनीतिक समीकरण बनाना है.
रविशंकर सिंहचीफ रिपोर्टर
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...और पढ़ें
भारतीय विद्या भवन से पत्रकारिता की पढ़ाई करने वाले रविशंकर सिंह सहारा समय न्यूज चैनल, तहलका, पी-7 और लाइव इंडिया न्यूज चैनल के अलावा फर्स्टपोस्ट हिंदी डिजिटल साइट में भी काम कर चुके हैं. राजनीतिक खबरों के अलावा...
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First Published :
September 03, 2025, 17:36 IST